किसानों ने किया सरकार का प्रस्ताव खारिज

किसानों ने सरकार का प्रस्ताव खारिज किया
नई दिल्ली। कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसान संगठनों ने सरकार के प्रस्ताव को खारिज किया और सर्वोच्च राजनीतिक स्तर पर वार्ता की मांग करते हुए आने वाले दिनों में दिल्ली की सभी पांचों सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन तेज करने की बात कही है।
किसान संगठनों ने बैठक के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के उस प्रस्ताव भी आज ठुकरा दिया है, जिसमें उन्होंने बुराड़ी में मुहैया कराई गई जगह पर सभी किसानों के इकट्ठा होने के बाद बातचीत शुरू करने की बात कही थी। इतना ही नहीं किसान संगठनों ने यह भी फैसला किया है कि बुराड़ी पहुंचे किसान भी वापस सिंघु बॉर्डर लौटेंगे। किसानों ने कहा कि टिकरी बॉर्डर और सिंघु बॉर्डर तो सील कर दिया गया है। इसके अलावा आने वाले दिनों में हापुड़, आगरा और जयपुर रोड को भी सील किया जाएगा। पंजाब, हरियाणा और राजस्थान से आए हजारों किसान सिंघु और टीकरी बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
अमित शाह ने किसानों से धरने के लिए निर्धारित बुराड़ी स्थित संत निरंकारी मैदान में पहुंचने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि निर्धारित स्थल पर पहुंचने के अगले ही दिन वार्ता होगी वहीं, किसानों ने अमित शाह की इस शर्त को ठुकरा दिया है।
किसान नेताओं ने गृह मंत्रालय और खुफिया एजेंसियों के माध्यम से आंदोलनकारियों से वार्ता के प्रयास की निन्दा कर सर्वोच्च राजनीतिक स्तर पर वार्ता की मांग करते हुए कहा कि सरकार तीन किसान विरोधी, जनविरोधी कानूनों को तत्काल रद्द करे। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने एक बयान जारी कर कहा कि किसान एकताबद्ध हैं और एक सुर में केन्द्र सरकार से तीन किसान विरोधी, जनविरोधी कानूनों, जो कारपोरेट के हित की सेवा करते हैं और जिन्हें बिना चर्चा किए पारित किया गया तथा बिजली विधेयक-2020 की वापसी की मांग कर रहे हैं। किसान शांतिपूर्वक और संकल्पबद्ध रूप से दिल्ली पहुंचे हैं और अपनी मांग हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। पंजाब और हरियाणा से किसान भारी संख्या में सिंघु और टिकरी बार्डर पर पहुंच रहे हैं। उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के किसानों की गोलबंदी भी सिंघु बार्डर पर हो रही है।
उन्होंने कहा कि देश के किसानों ने तय करके दिल्ली में भारी संख्या में विरोध जताया क्योंकि सरकार ने सितम्बर से जारी किये गये उनके ''दिल्ली चलो'' आह्नान के बाद हुए देशव्यापी विरोध कार्यक्रमों पर कोई ध्यान नहीं दिया। उन्होंने स्थानीय स्तर पर देश भर में बहुत सारे विरोध आयोजित किये, जबकि दिल्ली के आसपास के किसान राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की ओर आगे बढ़ रहे हैं। किसानों ने दिल्ली पहुंचने की बहुत विस्तारित तैयारी की हुई है पर उन्हें एक दमनकारी अमानवीय व असम्मानजनक हमलों का सामना करना पड़ा है, जिसमें सरकार ने उनके रास्ते में बहुत सारी बाधाएं डालीं, पानी की बौछारें की, आंसू गैस के गोले दागे, लाठीचार्ज किया और राजमार्ग खोद दिये। सरकार में पैदा हुए अविश्वास और भरोसे की कमी के लिए सरकार खुद भी जिम्मेदार है।
बयान में कहा गया है कि अब तीन काले कानून और बिजली विधेयक-2020 वापस लेने की मांग पर अपनी प्रतिक्रिया देने की जगह सरकार इस प्रयास में है कि बहस का मुद्दा यह बने कि किसान कहां रुकेंगे? पूरे शहर में पुलिस तैनात की गयी है जिससे विरोध कर रहे किसान और दिल्ली की जनता भी आतंक और संदेह के माहौल में आ गयी है। किसानों के रास्ते में लगाए गये बैरिकेड अब भी नहीं हटाए गये हैं।
उन्होंने कहा कि अगर सरकार किसानों की मांगों को सम्बोधित करने पर गम्भीर है तो उसे शर्तें लगाना बंद कर देना चाहिए। किसान अपनी मांगों पर बहुत स्पष्ट हैं।