किसान महापंचायतः गरजे किसान- किसी ने भी नहीं दिया टैंट

किसान महापंचायतः गरजे किसान- किसी ने भी नहीं दिया टैंट

बागपत। राकेश टिकैत के आंसुओं के बाद किसान आंदोलन में अब धार आनी शुरू हो गई है। मुजफ्फरनगर के बाद आज बागपत में किसानों की महापंचायत हो रही है, जिसमें किसानों का हुजूम उमड़ पड़ा है। प्रशासन द्वारा महापंचायत के लिए टैंट वालों को टैंट देने से मना करने के बाद किसानों को टैंट के भी लाले पड़े गये। किसानों का साहस इतना रहा कि बिना टैंट के ही किसानों ने महापंचायत की और सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला।

कृषि बिलों को वापिस लेने को किसानों का आंदोलन लगभग दो माह से अधिक समय से चल रहा है। 26 जनवरी को दिल्ली में हुई हिंसा के बाद यह आंदोलन टूटने की कगार पर पहुंच गया था। अनेक संगठनों ने आंदोलन से हाथ पीछे खींच लिये थे। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि आंदोलन अब समाप्ति की ओर तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन आंदोलन के दौरान भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के आंसुओं ने नई क्रांति को जन्म दे दिया।

राकेश टिकैत के आंसुओं को देखकर किसानों में एकाएक नए जोश का संचार हुआ। इसके ही अगले दिन मुजफ्फरनगर के राजकीय इंटर काॅलेज में हुई किसानों की महापंचायत ने सभी रिकार्ड तोड़ दिये। हजारों की संख्या में किसानों ने जिस प्रकार से महापंचायत में सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला, उससे सभी राजनीतिक संगठनों की आंखें खुल गई। इस महापंचायत में आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल आदि ने प्रतिभाग कर किसानों का पूर्ण रूप से समर्थन किया।

आज बागपत में किसानों की महापंचायत चल रही है। इस महापंचायत में कई खापों के चौधरियों ने प्रतिभाग किया। राष्ट्रीय लोकदल, आम आदमी पार्टी के नेता मौजूद रहे। हजारों की संख्या में किसान ट्रैक्टर-ट्रालियों में सवार होकर महापंचायत में पहुंचे। महापंचायत में राकेश टिकैत के आंसु और धरने पर लाठीचार्ज का मुद्दा मुख्य रूप से छाया रहा।

पुलिस प्रशासन किसानों को दबाने का किस प्रकार से प्रयास कर रहा है, इसका पता उस समय चला, जब किसानों को पंचायत स्थल के लिए कहीं से भी टैंट नहीं मिला। बताया जा रहा है कि प्रशासन ने टैंट वालों को सख्त मना किया था कि वे पंचायत के लिए टैंट मुहैया न कराये।


भाकियू के राजेंद्र चौधरी ने कहा कि आंदोलन को मजबूती के साथ लड़ा जायेगा। जब तक कृषि बिल वापिस नहीं होंगे, आंदोलन समाप्त नहीं होगा। आम आदमी पार्टी के सोमेन्द्र ढाका ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कृषि कानूनों को पूंजीपतियों को लाभ देने के लिए बनाया है, इन्हे बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। उन्होंने कहा कि यदि जयंत चौधरी को किसान संसद में पहुंचाते, तो यह कानून पास ही नहीं होते। राकेश टिकैत ने हनुमान बनकर आंदोलन को संजीवनी दी है। महिला वक्ताओं ने भी मंच से महापंचायत को सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि चौधरी चरण सिंह कहते थे कि अपमान और एहसान दोनों को ही नहीं भूलना चाहिए। बागपत और गाजीपुर में जो हुआ वह चौधरी चरण सिंह की विरासत पर हमला है। इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।



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