बिजली कर्मियों ने काम किया बन्द - तो सक्रिय हुई सरकार
देहरादून। उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड, उत्तराखंड ऊर्जा निगम लिमिटेड और विद्युत पारेषण निगम लिमिटेड के हजारों अधिकारी और कर्मचारियों द्वारा मंगलवार को बिजलीघरों में तालाबन्दी और उत्पादन केंद्रों में काम बंद करने के बाद जागी राज्य सरकार ने हड़ताल पर प्रतिबंध लगाने के साथ कर्मचारियों की मनुहार शुरू की। ऊर्जा मंत्री के आश्वासन के बाद देर शाम कर्मचारियों ने हड़ताल स्थगित कर दी।
ऊर्जा विभाग कर्मी लंबे समय से अपनी विभिन्न मांगों को पूरा कराने के लिये चरणबद्व आंदोलन कर रहे थे। मंगलवार को उन्होंने अपना काम पूरी तरह बन्द कर दिया। जिससे उत्तरकाशी स्थित मलेरी भाली नामक दो उत्पादन केंद्रों में टरबाइन बन्द होने से विद्युत आपूर्ति ठप्प हो गई। इस बीच राज्य के विभिन्न स्थानों में भी आपूर्ति में व्यवधान पैदा हो गया। अपराह्न ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत और महानिदेशक दीपक रावत ने कर्मचारी नेताओं से वार्ता शुरू की। इसके बाद हड़ताल को स्थगित कर दिया गया। इस मध्य राज्यपाल की स्वीकृति से शासन ने ऊर्जा विभाग में हड़ताल पर छह माह तक के लिये प्रतिबन्ध लगा दिया।
यह कर्मचारी पिछले चार सालों से एसीपी की पुरानी व्यवस्था तथा उपनल के माध्यम से कार्य कार्योजित कार्मिकों के नियमितीकरण एवं समान कार्य हेतु समान वेतन को लेकर लगातार सरकार से वार्ता कर रहे हैं। 22 दिसंबर 2017 को कार्मिकों के संगठनों तथा सरकार के बीच द्विपक्षीय समझौता हुआ परंतु आज तक उस समझौते पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। ऊर्जा निगम के कार्मिक इस बात से क्षुब्ध हैं कि सातवें वेतन आयोग में उनकी पुरानी चली आ रही 9-5-5 की एसीपी व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है, जो राज्य गठन से पहले से उन्हें मिल रही थी।
कर्मचारियों का कहना है कि पे-मैट्रिक्स में भी काफी छेड़खानी की गई है। संविदा कार्मिकों को समान कार्य समान वेतन के विषय में कोई कार्यवाही नहीं हुई। इसके अतिरिक्त ऊर्जा निगमों में इंसेंटिव एलाउंसेस का रिवीजन नहीं हुआ।
ऊर्जा मंत्री से वार्ता के दौरान तय हुआ कि निगम स्तर की समस्याओं का निस्तारण अगले 15 दिन औऱ सरकार स्तर की समस्याओं को एक माह में निपटाया जायगा।
वार्ता