प्राण घातक हो रहा डेंगू का डंक
लखनऊ। उत्तर प्रदेश हो या उत्तराखण्ड, पंजाब हो या हरियाणा, दिल्ली हो या राजस्थान, बिहार हो या झारखण्ड, हर राज्य में डेंगू का डंक कहर बरपा रहा है। अस्पतालों में डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़ने से सोशल मीडिया पर प्लेटलेट्स की मांग वाले संदेशों की संख्या काफी बढ़ गई है।
डेंगू के लगातार बढ़ते मामले स्वास्थ्य विभाग के लिए देश के अनेक हिस्सों में गंभीर चिंता का सबब बन रहे हैं। कई जगहों से डेंगू के कारण लोगों की जान जाने की खबरें भी निरन्तर आ रही हैं। उत्तर प्रदेश हो या उत्तराखण्ड, पंजाब हो या हरियाणा, दिल्ली हो या राजस्थान, बिहार हो या झारखण्ड, हर राज्य में डेंगू का डंक कहर बरपा रहा है। अस्पतालों में डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़ने से सोशल मीडिया पर प्लेटलेट्स की मांग वाले संदेशों की संख्या काफी बढ़ गई है। दरअसल डेंगू होने पर मरीज की प्लेटलेट्स काफी कम हो जाती है और प्लेटलेट्स बहुत ज्यादा कम होने पर मरीज की जान को खतरा हो सकता है। दिल्ली में तो डेंगू के मरीजों की संख्या पिछले साल के मुकाबले सारे रिकॉर्ड तोड़ रही है।
दिल्ली नगर निगम के मुताबिक दिल्ली में सितंबर महीने में डेंगू के 693 दर्ज किए गए जबकि अक्तूबर महीने में एक हजार से भी मामले सामने आए हैं, जो 2017 के बाद सर्वाधिक हैं। दिल्ली में अब तक डेंगू के 2200 से भी ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं और साथ ही मलेरिया के मामले भी बढ़ रहे हैं। कमोवेश देश के कई अन्य इलाकों का भी यही हाल है। डेंगू का प्रकोप पहले के मुकाबले और भी भयावह इसलिए होता जा रहा है क्योंकि अब डेंगू के कई ऐसे मरीज भी देखे जाने लगे हैं, जिनमें डेंगू के अलावा मलेरिया के भी लक्षण होते हैं और दोनों बीमारियों के एक साथ धावा बोलने से कुछ मामलों में स्थिति काफी खतरनाक हो जाती है। अब हर साल इसी प्रकार डेंगू का कहर देखा जाने लगा है, हजारों लोग डेंगू से पीड़ित होकर अस्पतालों में भर्ती होते हैं, जिनमें से सैंकड़ों लोग डेंगू के शिकार होकर मौत के मुंह में समा जाते हैं। प्रतिवर्ष मानसून के बाद देशभर में डेंगू के कई हजार मामले सामने आते हैं। डेंगू की दस्तक के बाद डॉक्टरों व प्रशासन द्वारा आम जनता को कुछ हिदायतें दी जाती हैं लेकिन डॉक्टर व प्रशासन इस मामले में खुद कितने लापरवाह रहे हैं, इसका उदाहरण डेंगू फैलने के बाद भी कमोवेश सभी राज्यों में जगह-जगह पर फैले कचरे और गंदगी के ढ़ेर तथा विभिन्न अस्पतालों में सही तरीके से साफ-सफाई न होने और अस्पतालों में भी मच्छरों का प्रकोप हर साल देखकर स्पष्ट रूप से मिलता रहा है। प्रशासनिक लापरवाही का आलम यही रहता है कि ऐसी कोई बीमारी फैलने के बाद एक-दूसरे पर दोषारोपण कर जिम्मेदारी से बचने की होड़ दिखाई देती है। वैसे डेंगू की दस्तक तो हर साल सुनाई पड़ती है किन्तु हर तीन-चार वर्ष के अंतराल पर डेंगू एक महामारी के रूप में उभरकर सामने आता है और तभी हमारी सरकारें तथा स्थानीय प्रशासन कुम्भकर्णी नींद से जागते हैं। डेंगू बुखार एक वायरल संक्रमण है, जो हमारे घरों के आसपास खड़े पानी में ही पनपने वाले ऐडीस मच्छर के काटने से होता है। यह काले रंग का स्पॉटेड मच्छर होता है, जो प्रायः दिन में ही काटता है।
डेंगू का वायरस शरीर में प्रविष्ट होने के बाद सीधे शरीर के प्रतिरोधी तंत्र पर हमला करता है। इस मच्छर का सफाया करके ही इस बीमारी से पूरी तरह से बचा जा सकता है। प्रायः मानसून के बाद ही डेंगू के ज्यादा मामले देखने को मिलते हैं। डेंगू प्रायः दो से पांच दिनों के भीतर गंभीर रूप धारण कर लेता है। ऐसी स्थिति में प्रभावित व्यक्ति को बुखार आना बंद हो सकता है और रोगी समझने लगता है कि वह ठीक हो गया है लेकिन वास्तव में ऐसा होता नहीं है बल्कि यह स्थिति और भी खतरनाक होती है। अतः बेहद जरूरी है कि आपको पता हो कि डेंगू बुखार होने पर शरीर में क्या प्रमुख लक्षण उभरते हैं। डेंगू के अधिकांश लक्षण मलेरिया से मिलते-जुलते होते हैं लेकिन कुछ लक्षण अलग भी होते हैं। तेज बुखार, गले में खराश, ठंड लगना, बहुत तेज सिरदर्द, थकावट, कमर व आंखों की पुतलियों में दर्द, मसूडों, नाक, गुदा व मूत्र नलिका से खून आना, मितली व उल्टी आना, मांसपेशियों व जोड़ों में असहनीय दर्द, हीमोग्लोबिन के स्तर में वृद्धि, शरीर पर लाल चकते (खासकर छाती पर लाल-लाल दाने उभर आना), रक्त प्लेटलेट (बिम्बाणुओं) की संख्या में भारी गिरावट इत्यादि डेंगू के प्रमुख लक्षण हैं।
बीमारी कोई भी हो, उसके उपचार से बेहतर उससे बचाव ही होता है और डेंगू के मामले में तो बचाव ही सबसे बड़ा हथियार माना गया है। आपके घर या आसपास के क्षेत्र में डेंगू का प्रकोप न हो, इसके लिए जरूरी है कि मच्छरों के उन्मूलन का विशेष प्रयास हो। डेंगू के लक्षण उभरने पर तुरंत योग्य चिकित्सक की सलाह अवश्य लें। डेंगू हो जाने पर रोगी को पौष्टिक और संतुलित आहार देते रहना बेहद जरूरी है। डेंगू होने पर तुलसी का उपयोग बेहद लाभकरी है। आठ-दस तुलसी के पत्तों का रस शहद के साथ मिलाकर लें या तुलसी के 10-15 पत्तों को एक गिलास पानी में उबाल लें और जब पानी आधा रह जाए, तब पी लें। नारियल पानी पीएं, जिसमें काफी मात्रा में इलैक्ट्रोलाइट्स होते हैं, साथ ही यह मिनरल्स का भी अच्छा स्रोत है, जो शरीर में ब्लड सेल्स की कमी को पूरा करने में मदद करते हैं। विटामिन सी शरीर के इम्यून सिस्टम को सही रखने में मददगार होता है। इसलिए आंवला, संतरा, मौसमी जैसे विटामिन सी से भरपूर फलों का सेवन करें। बुखार होने पर पैरासिटामोल का इस्तेमाल करें और ध्यान रखें कि बुखार किसी भी हालत में ज्यादा न बढ़ने पाए लेकिन ऐसे मरीजों को एस्प्रिन, ब्रूफिन इत्यादि दर्दनाशक दवाएं बिल्कुल न दें क्योंकि इनका विपरीत प्रभाव हो सकता है। (हिफी)