DDCA के चुनाव रद्द, सचिव तिहारा पर हस्तक्षेप का आरोप

नई दिल्ली। दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) के अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष और चार निदेशकों के लिए 17 से 20 अक्टूबर तक होने वाले बहु प्रतीक्षित चुनावों को निर्वाचन अधिकारी नवीन बी चावला ने शनिवार को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि डीडीसीए के सचिव विनोद तिहारा इन चुनावों में अनधिकृत रुप से हस्तक्षेप कर रहे हैं।
डीडीसीए के चुनावों को रद्द किए जाने का मतलब है कि दिवंगत केंद्रीय मंत्री और डीडीसीए के पूर्व अध्यक्ष अरुण जेटली के पुत्र रोहन जेटली को डीडीसीए का अध्यक्ष बनने के लिए अभी इंतजार करना पड़ेगा। रोहन जेटली ने पिछले बुधवार को इन चुनावों में अध्यक्ष पद के लिए नामांकन भरा था। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के पूर्व कार्यवाहक अध्यक्ष सीके खन्ना ने चुनावों को रद्द किए जाने को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। खन्ना ने कहा कि जो कुछ हुआ है वो दुर्भाग्यपूर्ण है और दिल्ली की क्रिकेट के हित में नहीं है। इन चुनावों में सीके खन्ना की पत्नी शशि खन्ना कोषाध्यक्ष पद के लिए खड़ी हुई थीं और जीतने की प्रबल दावेदार मानी जा रही थीं।
रोहन जेटली ने पिछले बुधवार को इन चुनावों में अध्यक्ष पद के लिए नामांकन भरा था और यह माना जा रहा था कि उनका अध्यक्ष बनना तय है। उल्लेखनीय है कि डीडीसीए चुनावों के लिए निर्वाचन अधिकारी नवीन बी चावला ने तिहारा को गुरुवार को लिखे पत्र में कहा था कि आप 17 अक्टूबर को होने वाली असाधारण आम बैठक (ईजीएम) के एजेंडे में बदलाव लाने का प्रयास कर रहे हैं औऱ एजेंडे या चुनावों के कार्यक्रम को किसी भी तरह से बदला नहीं जाएगा। लेकिन इसके 48 घंटे बाद ही उन्होंने चुनावों को रद्द करने का फैसला किया।
चावला ने सभी सदस्यों को भेजे पत्र में कहा कि चुनावों को डीडीसीए के जस्टिस (सेवानिवृत) दीपक वर्मा की सलाह पर रद्द किया जा रहा है। चावला ने अपने पत्र में कहा कि यह फैसला सचिव की गैर जिम्मेदाराना और अनधिकृत गतिविधियों के मद्देनजर लिया गया है। तिहारा ने निर्वाचन अधिकारी को एक पत्र भेजकर ईजीएम के एजेंडे को बदलने की मांग की थी जबकि चावला ने तिहारा को भेजे पत्र में कहा था कि आपके पास एजेंडा या चुनावों के कार्यक्रम को बदलने का कोई अधिकार नहीं है।
चुनावों के रद्द होने से डीडीसीए के संयुक्त सचिव राजन मनचंदा को राहत पहुंची होगी जिनका मामला ईजीएम में उठाया जाना था। उल्लेखनीय है कि डीडीसीए के लोकपाल ने राजन मनचंदा को निदेशक पद से अयोग्य घोषित किया था और मनचंदा की निदेशक, संयुक्त सचिव तथा प्राथमिक सदस्यता को समाप्त करने की पुष्टि के लिए उनका मामला ईजीएम में रखने का निर्देश दिया था।
वार्ता