टकराव क्या केजरीवाल की मजबूरी है
लखनऊ। केन्द्र शासित प्रदेश दिल्ली की राजनीतिक परिस्थिति कुछ ऐसी है कि केन्द्र में और दिल्ली राज्य में अलग-अलग पार्टी की सरकार होने पर टकराव हो जाता है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार के समय को इसका अपवाद माना जा सकता है। अब तो केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने नया कानून बनाकर दिल्ली की चुनी सरकार से ज्यादा अधिकार वहां के उपराज्यपाल (एलजी) को दे दिये हैं। अधिकार ज्यादा मिले हैं तो कोरोना जैसी महामारी के समय उनको कर्तव्य भी ज्यादा निभाने चाहिए लेकिन देखा यही जा रहा है कि कोरोना से लड़ाई मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार ही ज्यादा लड़ रही है।
दिल्ली में कोरोना की पहली लहर में भी समस्या आयी थी और दूसरी लहर में भी कोरोना वायरस ने कहर बरपाया। इस लहर के समय वैक्सीन आ चुकी थी और केजरीवाल को वैक्सीन के लिए केन्द्र सरकार से निवेदन करना पड़ा। उपराज्यपाल ने उस समय भी कुछ नहीं कहा था। अब एक नयी बीमारी ब्लैक फंगस और यलो फंगस ने दिल्ली वासियों को भयभीत कर रखा है। ब्लैक फंगस और यलो फंगस के कई मामले सामने आने के बाद केजरीवाल ने इसकी दवाई देने के लिए केन्द्र सरकार से मांग की है। दिल्ली के पड़ोस गाजियाबद (यूपी) में भी ब्लैक और ह्वाइट के बाद यलो फंगस का खतरा बढ़ा है। केजरीवाल को शिकायत है कि केन्द्र सरकार से उन्हें कोरोना महामारी के समय भी पर्याप्त मदद नहीं मिल रही है। इस प्रकार का टकराव कम से कम महामारी के समय तो नहीं होना चाहिए।
दिल्ली में कोरोना की धीमी रफ्तार के बीच ब्लैक फंगस के मामलों में तेजी देखने को मिल रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी में ब्लैक फंगस के कुल मामले 620 हो चुके हैं। सोमवार (24 मई) तक 500 मामलों की जानकारी थी। ब्लैक फंगस के मामलों की बढ़ोतरी के साथ इसकी दवा की कमी भी एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आई है। अब इसको लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच टकराव की स्थिति बन गई है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का मानना है कि केंद्र द्वारा इसकी दवा नहीं देने के कारण यह समस्या बढ़ रही है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली को रोजाना ब्लैक फंगस के 3500 इंजेक्शन की जरूरत है लेकिन केंद्र सिर्फ 400 इंजेक्शन ही उपलब्ध करवा रहा है। दिल्ली के सबसे बड़े कोरोना अस्पताल लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल में इन दिनों कोरोना से ज्यादा ब्लैक फंगस के मरीज भर्ती हो रहे हैं। इस 2000 बेड्स की क्षमता वाले अस्पताल में इन दिनों करीब 30 मरीज रोजाना भर्ती हो रहे हैं। अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. सुरेश कुमार कहते हैं कि? ब्लैक फंगस के मामले बहुत तेजी से सामने आ रहे हैं। लगभग 3 से 4 दिन पहले हमारे अस्पताल में 13 ब्लैक फंगस के मरीज एडमिट थे, जबकि आज यह बढ़कर 64 हो चुके हैं। इतने मरीज तो कोरोना के एडमिट नहीं हो रहे जितने ब्लैक फंगस के एडमिट हो रहे हैं। यह भी देखने को मिला है कि नमी वाले इलाके में रहने वाले लोग इससे ज्यादा ग्रसित हो रहे हैं। जिन लोगों के घरों में सूरज की रोशनी नहीं आती और उन्होंने कोविड का इलाज होम आइसोलेशन में रहकर किया है, साथ ही गीले कपड़े और गंदे मास्क का इस्तेमाल किया है, ऐसे में लोगों को ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ जाता है। इसमें सावधानी बरतने की जरूरत होती है मास्क को लगातार 3-4 दिन तक इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
दरअसल, कोरोना महामारी की दूसरी लहर में तेजी से फैले ब्लैक फंगस के मामले अब डराने लगे हैं। दिल्ली में कोरोना महामारी की रफ्तार धीमी पड़ी तो यहां ब्लैक फंगस यानी म्यूकोरमाइकोसिस के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। दिल्ली के सबसे बड़े कोरोना अस्पताल लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल में कोरोना से ज्यादा ब्लैक फंगस के मरीज भर्ती हो रहे हैं। लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल में इन दिनों करीब 30 मरीज रोजाना भर्ती हो रहे हैं, जिनमें से 15 से 20 मामले ब्लैक फंगस के होते हैं और 10 से 12 मामले कोरोना के होते हैं।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बताया था कि दिल्ली में ब्लैक फंगस के इलाज के लिए दिल्ली के लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल, गुरु तेग बहादुर अस्पताल और राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में विशेष सेंटर बनाए जाएंगे। लोकनायक अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर ने बताया कि उन्होंने अपने अस्पताल में ब्लैक फंगस के इलाज के लिए 2 वार्ड बनाए थे, जिनमें 30-30 मरीजों की क्षमता थी, यह दोनों वार्ड अब भर चुके हैं और तीसरा तैयार हो रहा है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मीडिया को जानकारी दी थी कि दिल्ली में इस समय 500 से ज्यादा ब्लैक फंगस के मामले सामने आ चुके हैं। जबकि दो दिन पहले भी जब मुख्यमंत्री से पूछा गया था तो उन्होंने बताया था कि करीब 200 ब्लैक फंगस के मामले सामने आए थे। लोकनायक अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर ने अपने अस्पताल में एडमिट हुए 64 ब्लैक फंगस के मरीजों का आकलन किया और बताया कि इन मरीजों में केवल दो ही लोकनायक में इलाज करवाने वाले मरीज थे जबकि बाकी सभी मरीज प्राइवेट अस्पतालों से आए हैं या एनसीआर और अन्य जगहों से आए हैं। मरीजों के ट्रेंड के बारे में डॉ. सुरेश कुमार ने बताया कि 61 मरीजों का आकलन किया गया। इनमें से 35 मरीजों को अनकंट्रोल्ड डायबिटीज है। इन 35 में से भी पांच वह लोग हैं जिनको पिछले एक हफ्ते में ही पता चला कि उनको डायबिटीज है। इसका कारण कोविड के ट्रीटमेंट में स्टेराइड लेना हो सकता है। ज्यादा स्टेराइड के बाद डायबिटीज की वजह से उनको ब्लैक फंगस ने चपेट में ले लिया।
यह भी देखने को मिला है कि नमी वाले इलाके में रहने वाले लोग इससे ज्यादा ग्रसित हो रहे हैं। गीले कपड़े और गंदे मास्क से ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ जाता है। इसमें सावधानी बरतने की जरूरत होती है मास्क को लगातार 3-4 दिन तक इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। मास्क धोने के बाद सूरज की रोशनी में सुखाना चाहिए। डॉ। सुरेश कुमार ने बताया कि ब्लैक फंगस के 4 मरीज ऐसे हैं जिन्होंने होम केयर में रहकर कोरोना का इलाज किया और स्टेरॉयड का भी इस्तेमाल किया है।
बहरहाल, कोरोना महामारी इंसानों की लापरवाही का नतीजा रही है। चीन के वुहान में डाक्टरों की आवाज को दबाकर वहां की सरकार ने लापरवाही की तो उसकी सजा समूची दुनिया ने भुगती। अब कोरोना की दूसरी लहर से पहले सियासत के खेल में जो लापरवाही हुई है, उसका खामियाजा हमारे देश की जनता भी भुगत रही है। (हिफी)