आतंकियों पर कहर साबित हुआ 2020
नई दिल्ली। हमारे देश की शान-ए-शौकत में शामिल कश्मीर को एक बदनीयत पड़ोसी देश ने स्वर्ग से नर्क में तब्दील कर दिया था। जम्मू कश्मीर के युवा वर्ग को बरगलाया गया और पढ लिखकर कुछ सर्जनात्मक कार्य करने की जगह उनके हाथों में पत्थर और राइफल्स थमा दी गयीं। उन्हें जन्नत का ख्वाब दिखाकर हिंसा के रास्ते पर धकेल दिया गया। कश्मीर, जहां की खूबसूरत वादियों को देखने के लिए दुनिया भर के लोग आया करते थे, वहां भय व आतंक का साया छा गया। इन हालात से निपटने के लिए सरकारों ने प्रयास तो किये लेकिन कारगर साबित नहीं हुए। नरेंद्र मोदी ने जब 2014 में देश के प्रधानमंत्री का पद संभाला, तब से इस दिशा में प्रयास तेज हुए कि जम्मू कश्मीर को राष्ट्र की मुख्य धारा से कैसे जोड़ा जाए। भाजपा जब जनसंघ के नाम से पुकारी जाती थी, तभी उसके नेता डाॅ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 का विरोध किया था। नरेंद्र मोदी सरकार की भी समझ में यही आया कि कश्मीर की समस्या का समाधान उसका विशेष दर्जा खत्म करना ही है। पिछले साल अर्थात 5 अगस्त 2019 को मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर से इस विशेष कानून को हटा दिया और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया।
इसका प्रभाव 2020 में यह दिखाई दिया कि आतंकवादी संगठनों की कमर टूट गयी है। सुरक्षा बलों ने उनका सफाया कर दिया और आतंकवादी किसी बड़ी घटना को अंजाम नहीं दे सके। इतना ही नहीं पहले गिरीश चन्द्र मुर्मू ने और अब उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने वहां लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत किया है। जिला विकास परिषद के चुनाव में जनता ने उत्साहजनक भागीदारी करके यह साबित भी कर दिया है।
जम्मू कश्मीर में सुरक्षा बलों ने 2020 के दौरान 20 आतंकवादियों को मार गिराया। मारे गये आतंकियों में 166 स्थानीय आतंकी भी शामिल थे। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में इस दौरान 43 नागरिक भी मारे गए जबकि 92 अन्य घायल हो गए। उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों ने इस साल 49 आतंकवादियों को गिरफ्तार किया जबकि नौ आतंकवादियों का आत्मसमर्पण भी सुनिश्चित किया। अधिकारियों ने कहा कि यह संयुक्त सुरक्षा ग्रिड में काम कर रही सेना, पुलिस और केरिपुब के समन्वित प्रयासों का नतीजा है। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में इस साल 37 पाकिस्तानी या फिर विदेशी मूल के आतंकी ढेर किये गये। तीन आतंकी तो 30 दिसम्बर को मारे गये। उन्होंने बताया कि 2020 में आतंकवाद संबंधी 96 घटनाएं हुई हैं और इन घटनाओं में 43 नागरिकों की भी जान गई जबकि 92 अन्य घायल हो गए।
उन्होंने कहा कि हताहत नागरिकों की संख्या में 2019 के मुकाबले कमी आई है। पिछले साल यहां 47 नागरिकों की मौत हुई थी और 185 अन्य घायल हुए थे। सूत्रों ने बताया कि 2020 के दौरान 14 आईईडी बरामद की गईं जबकि 2019 में 36 आईईडी बरामद की गईं थीं। जम्मू कश्मीर में 2019 में सुरक्षा बलों ने 120 स्थानीय और 32 पाकिस्तानी मूल के आतंकियों समेत कुल 152 आतंकवादियों को मार गिराया था जबकि 2018 में सुरक्षा बलों के हाथों 215 आतंकी मारे गए थे। रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में जम्मू कश्मीर में 614 आतंकी घटनाओं में कुल 257 आतंकवादी, 91 सुरक्षाकर्मी और 39 नागरिक मारे गए थे। सूत्रों के मुताबिक दक्षिण कश्मीर में सर्वाधिक मुठभेड़ हुई जहां सबसे ज्यादा आतंकवादी मारे गए। शोपियां, कुलगाम और पुलवामा जैसे क्षेत्रों में आतंकी समूहों द्वारा स्थानीय युवकों की भर्ती के मामले सामने आए और यहीं सबसे ज्यादा मुठभेड़ भी हुईं।
जम्मू-कश्मीर पुलिस और भारतीय सेना ने संयुक्त रूप से कार्रवाई करते हुए जम्मू-कश्मीर के पुंछ में पाकिस्तान की कई आतंकी साजिशों को नाकाम कर दिया। पाकिस्तानी आतंकी पुंछ के मंदिर में ग्रेनेड से हमला करके दंगा भड़काने की साजिश को अंजाम देना चाहते थे। पुलिस और सेना ने संयुक्त कार्रवाई में इस साजिश को नाकाम करते हुए आतंकियों के चार मददगारों को गिरफ्तार किया। इनके पास से 6 ग्रेनेड, पाकिस्तानी झंडे और ग्रेनेड फेंकने की ट्रेनिंग का वीडियो समेत अन्य चीजें बरामद की गयीं।
बताया गया है कि ये सभी 4 आतंकी पाकिस्तान में बैठे अपने हैंडलर के संपर्क में थे। पुलिस ने पहले बालाकोट सेक्टर में दो आतंकी गिरफ्तार किए थे, फिर उनसे पूछताछ में दो अन्य आतंकियों का सुराग लगा था। इसके बाद दो और मददगारों को गिरफ्तार किया गया। इनमें दो सगे भाई भी शामिल हैं जो पाकिस्तानी हैंडलर के संपर्क में थे और पुंछ में एक बडे़ मंदिर पर हमला करने की फिराक में थे। पुंछ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रमेश कुमार अग्रवाल ने बताया कि गिरफ्तार किये गये ये लोग जिले में शांति एवं सामुदायिक सद्भाव भंग करने के इरादे से पाकिस्तानी आका के इशारे पर एक मंदिर पर ग्रेनेड हमला करने की साजिश रच रहे थे। उन्होंने बताया कि साजिश का पता तब लगा जब रात करीब आठ बजे मेंढर सेक्टर में बसूनी के पास वाहन तलााशी के दौरान स्थानीय पुलिस के विशेष अभियान समूह (एसओजी) ने 49 राष्ट्रीय राइफल के जवानों के साथ मिलकर दो भाइयों मुस्तफा इकबाल और मुर्तजा इकबाल को हिरासत में लिया। दोनों गलहुटा गांव के रहने वाले हैं।
बटालियन मुख्यालय में उनसे पूछताछ की गयी और पूछताछ में पाया गया कि मुस्तफा को एक पाकिस्तानी नंबर से कॉल आया था तथा उसे ग्रेनेड हमला करने का निर्देश दिया गया था। सख्ती से पूछताछ करने पर उसने कबूल किया कि उसे अरी गांव में एक मंदिर पर ग्रेनेड फेंकने का काम सौंपा गया था। उसके मोबाइल में एक वीडियो मिला जिसमें सामने आया कि मुस्तफा आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त था और उसके कबूलनामे के आधार पर नियंत्रण रेखा के समीप बालाकोटे के डब्बी गांव से उसके दो साथियों मोहम्मद यासीन और रईस अहमद को भी पकड़ा गया। इस प्रकार की कयी घटनाएं रोकने में सेना और सुरक्षा एजेंसियों को सफलता मिली है।
इसी साल के अंत में जम्मू -कश्मीर में संपन्न हुए जिला विकास परिषद के चुनाव ने अपने परिणाम के बाद केंद्र की मोदी सरकार को एक सकारात्मक उम्मीद दे दी है। कभी चुनावी बहिष्कार के दिन देख चुके जम्मू-कश्मीर में जिला विकास परिषद के इलेक्शन में लोगों की भागीदारी देखने से एक ओर जहां केंद्र सरकार उत्साहित है, वहीं दूसरी ओर सरकार को 370 के अंत के बाद हुए चुनाव के परिणाम से राज्य का जीवन पटरी पर लौटता दिखने लगा है। ये सारे चुनाव उस पृष्ठभूमि पर हुए हैं, जिसमें 370 के अंत के बाद घाटी में उमड़ी अनिश्चितता और तमाम राजनीतिक बयान देखे गए थे। अब इन सब के बीच राजनीतिक गतिविधियों की बहाली एक सकारात्मक कदम जैसी है।
केंद्र के अफसर वोटरों की एक बड़ी भागीदारी को भी एक अच्छे संकेत के रूप में देख रहे हैं। कश्मीर घाटी के जिन इलाकों में पंचायत और लोकसभा चुनाव में बेहद कम वोटिंग देखने को मिली थी, वहां डीडीसी चुनाव में पहले की अपेक्षा अच्छा वोटर टर्नआउट देखने को मिला। मसलन श्रीनगर शहर में जहां लोकसभा चुनाव में कुल 7.9 फीसदी और पंचायत चुनाव में 14.5 फीसदी वोट पड़े, वहीं डीडीसी चुनाव में 35.3 फीसदी मतदान हुआ। इसके अलावा पुलवामा के अवंतिपोरा में लोकसभा चुनाव में कुल 3 फीसदी और पंचायत चुनाव में 0.4 फीसदी वोटिंग हुई। इसकी अपेक्षा डीडीसी चुनाव 9.9 फीसदी वोटिंग हुई। ऐसे में ठंड के मौसम के बावजूद लोगों की चुनावी प्रक्रिया में इतनी बड़ी भागीदारी को लेकर केंद्र काफी उत्साहित है। इससे लगता है कि साल 2020 जम्मू कश्मीर की जनता के लिए बेहतर साबित हुआ और आतंकवादियों के लिए कहर बन गया। (हिफी)