मेरे शब्द मेरी कविता– हम अपने टूटे हुए रिश्ते को कुछ इस तरह से निभाएंगे

तुम ही कहती थी हम अपने टूटे हुए रिश्ते को कुछ इस तरह से निभाएंगे।
हम आपसे दूर होकर भी आपको हर बार याद आयेंगे।।
आंखों से छलकने वाले आंसू आपको नहीं दिखाएंगे।
और हां हम फिर भी एक वक्त में तुम्हारे आंसू बन जाएंगे।।
हां हम उस टूट चुके रिश्ते को कुछ इस तरह निभाएंगे !!
तेरी शादी के सजे मंडप में चार फूल हां हम भी लगाएंगे।
जिस रकीब से तू खुश हुई थी उस रकीब के हाथों में तेरा हाथ हम खुद थमाएगे।।
हां मेहंदी शायद उस अजनबी के नाम की होगी लेकिन तू देखना तेरी धड़कनों में हम नाम तुझको अपना ही सुनाएंगे।
और हां हम उस टूट चुके रिश्ते को कुछ इस तरह निभाएंगे!!
खामोशियां तेरे होठों पर आज दस्तक दिए हुए हैं।
तू दुल्हन के लिबास में यकीनन बहुत सुंदर लग रही है।।
ना जाने तू क्यों इतनी सुंदर बनकर इतनी गहरी नींद में सोई हुई है।
तेरे इन होठों पर एक अजीब सी खामोशी क्यों छाई हुई है।।
ना जाने मुझको कोई अनहोनी होने की भनक सी क्यों लग रही है!!
हां लोगों ने मुझको तेरे फर्जी इश्क की दास्तां बार-बार कही है।
पर तू यकीन मान, मुझे किसी की भी बात पर कोई विश्वास नहीं है।।
सुन इतना कुछ बोल चुका हूं, तू बता तेरे दुल्हन के लिबास में नूर भरे चेहरे पर यह खामोशी क्यों छाई हुई है।
मुझको तेरी यह खामोशी अंदर ही अंदर से झंकझोर रही है।।
एक बार नींद से उठ और यह बता हमारे टूटे हुए उस रिश्ते की नीव कहां टिकी हुई है!!
रिपोर्टर/ कवयित्री= मेघा गुप्ता
