इटावा में चंबल पुल की एप्रोच धसकने से हड़कंप

इटावा में चंबल पुल की एप्रोच धसकने से हड़कंप

इटावा। उत्तर प्रदेश में इटावा के चकरनगर इलाके में स्थिति चंबल पुल की धसकी एप्रोच से हड़कंप मचा है।

अधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को यहां बताया कि इटावा के चकरनगर इलाके में स्थिति चंबल पुल की एप्रोच धसकी होने से लोगों में डर का माहौल है। पुल से हर रोज सैकड़ों यात्री वाहन निकलते है।

उन्होंने बताया कि चकरनगर क्षेत्र के चंबल पुल की छतिग्रस्त हुई है। इसी मार्ग से दिन भर सैकड़ों वाहन गुजरते है। जिनमें सबसे अधिक संख्या थ्री व्हीलरों की है, जो तादाद से दो गुना अधिक सवारी लेकर सड़क पर अनियंत्रित होकर दौड़ते है। सड़क पर दौड़ते यात्री वाहनों के साथ कभी भी हादसा हो सकता है।

उदी से भिंड मार्ग पर जाम लगने के बाद इसी मार्ग पर यातायात डायवर्ड कर दिया जाता है क्यों कि इसके उपरांत जिले से मध्य प्रदेश जाने के लिए अन्य कोई मार्ग नहीं है।इसी मार्ग से तहसील स्तरीय अधिकारियों का भी आवागमन रहता है लेकिन इसके बावजूद भी अधिकारी इसे नजर अंदाज किये है। चंबल नदी की एप्रोच धसकने का यह पहला मामला नहीं है, बल्कि वर्ष भर में दो बार इसको धसकना आम बात हो गयी है।

सूत्रों ने बताया कि चंबल पुल की दोनों एप्रोचों पर अन्य पुलों की तरह पत्थर नहीं लगाये गये है, जब कि शासन द्वारा करोड़ों रूपये खर्च कर मंगाया गया पत्तथर आज भी लखना सिंडौस मार्ग किनारे सहसों के समीप बने विधुत उप केन्द्र से लेकर हनुमंतपुर चौराहे तक फुटपाथ पर पड़े है। जिन्हे क्षेत्रीय कुछ लोग अपने वाहनों से उठाकर भी ले गये। समस्या के समाधान के लिए क्षेत्रीय समाजसेवी विद्याराम त्रिपाठी, किशन राजावत, कौशलेन्द्र राजावत, देवेन्द्र दुबे आदि ने प्रशासन से एप्रोच मरम्मत की मांग की है।

किशन राजावत ने बताया कि चंबल पुल की एप्रोच अधिकतर छतिग्रष्त ही रहती है, कभी नीचे धसक जाती है, तो कभी पीडव्ल्यूडी के कर्मचारी ऊंची बनाकर ठोकर बना देते है। यहां हमेशा समस्या ही बनी रहती है।

लंकू यादव ने बताया कि चंबल पुल के एप्रोच की समस्या कभी समाप्त नहीं हुई। कभी सहसों तो कभी ढ़करा की तरफ धसक जाती है और अधिकारी इस बात पर ध्यान नहीं देते है। बिजेंद्र यादव के मुताबिक चंबल पुल पर एप्रोच की समस्या कभी समाप्त नहीं हुई और ना होगी, जब तक इसके दोनों हिस्सों पर पत्थर नहीं लगाये जाते। बंटी पोरवाल ने बताया कि पुलिया काफी समय से छतिग्रस्त है, यहां कभी भी हादसा हो सकता है। अधिकारी जानबूझकर भी नजरअंदाज कर रहे हैं। सं भंडारी वार्ता

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