मीडिया का कमाल कंगना गंगाजल, रिया गंदा पानी
नई दिल्ली। बेरोजगारी, माइनस में जाती जीडीपी, भूखमरी, बंद होते उद्योग, गरीब ये सब भी कोई मुद्दे हैं बात करने को। देश में सबसे बड़ा मुद्दा है कंगना, रिया, मुंबई, शिवसेना बस ये ही चार विषय बचे हैं देश में बात करने को। 84 दिनों से दिन-रात भारतीय न्यूज चैनल 'सुशांत मर्डर' साॅल्व कर रहे थे और 8 सितंबर को भारतीय न्यूज चैनल को बड़ी कामयाबी हाथ लगी जब रिया चक्रवर्ती गिरफ्तार की गईं लेकिन आपको बताना मेरी जिम्मेदारी है कि रिया को सुशांत आत्महत्या केस संबंध में नहीं बल्कि ड्रग्स के संबंध में गिरफ्तार किया गया है। रिया के संबंध में पल-पल की खबरें दिलाने वाले न्यूज चैनल अब एक बार कंगना के बारे में पल-पल की खबर दे रहे हैं- जहां एक तरफ दिखाया जा रहा है कि कंगना अपने पैतृक घर से निकलीं और अब कंगना एयरपोर्ट पहंुचीं तो वहीं दूसरी तरफ दिखाया जा रहा है कि कैसे बीएमसी ने कंगना के दफ्तर को तोड़ दिया। साथ ही न्यूज चैनल वाले आम जनता को यह भी बताने की कोशिश में हैं कि बीएमसी की यह कार्रवाई कंगना से खुन्नस निकालने से पे्ररित है और यह एक बदले की कार्रवाई है। चलो मान लेते हैं कि महाराष्ट्र सरकार की तरफ से की गई है यह कार्रवाई बदले से प्ररित थी पर ऐसे में एक सवाल उठता है कि ये न्यूज चैनल वालों ने कैसे मान लिया कि कंगना गलत नहीं हो सकतीं? और बीएमसी ने बिना किसी सबूत के तोड़-फोड़ की होगी। मुझे लगता है हमारे देश में न्यायपालिका को बंद कर देना चाहिए क्योंकि देश की मीडिया ने यह जिम्मा संभाल लिया है कि कौन कसूरवार है और कौन बेगुनाह है। ऐसा ही कुछ हमें कंगना और रिया चक्रवर्ती के केस में देखने को मिला। जहां मीडिया ने पहले ही रिया चकवर्ती को सुशांत की आत्महत्या का जिम्मेदार बना दिया (जब कि अभी तक कोर्ट में एक दिन भी इस केस पर सुनवाई नहीं हुई है) और कंगना रनौत को बेगुनाही का प्रमाणपत्र दे दिया। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि मीडिया ने कंगना रनौत को गंगाजल बना दिया और रिया चक्रवर्ती को गंदा पानी।
पिछले कई दिनों से कंगना और शिवसेना के बीच जुबानी जंग देखने को मिल रही है। बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत और महाराष्ट्र सरकार के बीच जारी वाक युद्ध ने 9 सितंबर को एक आक्रामक मोड़ ले लिया। बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने बांद्रा वेस्ट के पाली हिल रोड पर स्थित कंगना रनोट के दफ्तर के अवैध निर्माण को ध्वस्त कर दिया। बीएमसी की टीम जेसीबी और मजदूरों के साथ कंगना के दफ्तर पहुंची और अवैध निर्माण को तोड़ा गया। दूसरी तरफ कंगना रनौत के वकील ने उनकी संपत्ति पर बीएमसी द्वारा की जा रही तोड़फोड़ के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। कंगना रनौत सोशल मीडिया पर हमेशा सक्रिय रहती हैं। उन्होंने इस घटना के बाद ट्विटर पर बीएमसी की कार्रवाई की आलोचना की है। कंगना रनौत ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर बीएमसी कर्मचारियों की तस्वीरों को साझा किया है, जिसमें वह कंगना रनौत के ऑफिस में कथित अवैध निर्माण को तोड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। इन तस्वीरों को साझा करते हुए कंगना ने अपने ट्वीट में लिखा, 'बाबर और उसकी सेना।' वहीं एक और तस्वीर साझा करते हुए कंगना रनौत ने अपने ट्वीट में लिखा, 'पाकिस्तान'। तीसरे ट्वीट में बीएमसी की ओर से ही उनके ऑफिस में हो रही कार्रवाई की तस्वीर को साझा करते हुए कंगना ने लिखा, 'मैं कभी गलत नहीं रहती और मेरे दुश्मन बार-बार साबित करते हैं। यही कारण है कि मेरी मुंबई अब पीओके है।' साथ ही उन्होंने दफ्तर तोड़े जाने को लेकर एक अन्य ट्वीट में कहा, मणिकर्णिका फिल्म्ज में पहली फिल्म अयोध्या की घोषणा हुई, यह मेरे लिए एक इमारत नहीं राम मंदिर ही है, आज वहां बाबर आया है, आज इतिहास फिर खुद को दोहराएगा राम मंदिर फिर टूटेगा मगर याद रख बाबर यह मंदिर फिर बनेगा यह मंदिर फिर बनेगा, जय श्री राम, जय श्री राम, जय श्री राम।
सुशांत सिंह राजपूत में अभिनेत्री कंगना रनौत का खुलकर दिवंगत अभिनेता के पक्ष में आना और राज्य सरकार पर हमलावर रुख ने कब इसे सियासी लड़ाई बना दिया पता ही नहीं चला और यह लड़ाई बीजेपी बनाम शिवसेना बन गई। एक तरफ जहां शिवसेना कंगना पर लगातार हमले बोल रही है और उन्हें बेईमान, देशद्रोही और हरामखोर तक बता चुकी है तो वहीं, बीजेपी ने अभिनेत्री का बचाव किया। राजनीतिक विश्लेषक भी इसे दो दलों की सियासी लड़ाई बताने लगे हैं। बता दें कि सुशांत राजपूत की कथित मौत के बाद से कंगना और शिवसेना के बीच जुबानी जंग चालू है। कंगना ने कहा था कि मुंबई में उन्हें सुरक्षित नहीं महसूस होता और उन्हें मुंबई पीओके की तरह लगता है। इसके बाद शिवसेना नेता ने उन्हें मुंबई न आने के लिए कहा था। बस यहीं से मामला बढ़ता चला गया। अब कंगना को केंद्र सरकार ने वाई प्लस सिक्योरिटी कवर दिया है। बीते दिनों कंगना ने मुंबई पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए थे और कहा था कि उन्हें मुंबई से डर लगात है क्योंकि वहां हालात पीओके जैसे हो गए हैं। कंगना के इस बयान से महाराष्ट्र शासन और प्रशासन दोनों में नाराजगी है। बीएमसी ने यह भी कहा है कि यदि कंगना 7 दिनों से ज्यादा समय के लिए मुंबई आ रही हैं तो उन्हें क्वॉरंटीन कर दिया जाएगा। इसके साथ महाराष्ट्र सरकार ने एक और फैसला किया है कि वह कंगना के ड्रग कनेक्शन की जांच करेगी, तो वहीं बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत ने महाराष्ट्र सरकार को चुनौती देते हुए कहा है कि अगर जांच में उनके और ड्रग पैडलर्स के बीच किसी तरह के संबंध होने के सबूत मिलता है तो वह हमेशा के लिए मुंबई छोड़ने के लिए तैयार हैं।
तीन नेशनल अवॉर्ड्स समेत कमर्शियल फिल्मों में धमाकेदार कमाई के बावजूद कंगना रनौत नेपोटिज्म से लेकर बॉलीवुड माफिया वगैरह पर खुलकर बोलती रही हैं लेकिन ये पहला मौका है जब कंगना एक ऐसे मुद्दे के केंद्र में आ गई हैं जिसमें उनके निशाने पर मुंबई पुलिस, बीएमसी और महाराष्ट्र सरकार है। राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो कंगना-शिवसेना विवाद के पीछे एक राजनीतिक अंडर करंट है जिसकी वजह से दोनों पक्षों के बीच आक्रामकता इतनी ज्यादा बढ़ गई है। फिल्म समीक्षक तनुल ठाकुर के मुताबिक ''मैं उन्हें क्वीन और उससे पहले से देखता आ रहा हूं। एक कलाकार के रूप में वह समय के साथ बेहतर से बेहतरीन हुई हैं। मुझे ये कहने में गुरेज नहीं है कि वह एक महान अदाकारा हैं लेकिन जब बात आती है कि एक शख्स के रूप में कंगना के व्यवहार की तो मुझे काफी दुख होता है कि उन्होंने शायद अपने एक्टिंग करियर को महत्व देना बंद कर दिया है और शायद वह राजनीति में जाने के संकेत दे रही हैं। साल 2017-18 तक कंगना मुख्यधारा की अभिनेत्रियों में गिनी जाती थीं जिन्होंने अपने अच्छे काम से जगह बनाई लेकिन इसके बाद धीरे-धीरे उनकी टिप्पणियां इतनी अपमानजनक होती गईं कि अब लोगों के लिए उनके साथ काम करना मुश्किल होगा। ऐसे में उनके साथ कौन काम कर पाएगा?'' हाल ही के घटनाक्रम को देखने के बाद यह कहना गलत नहीं होगा कि कंगना के करियर का पीक एक तरह से खत्म हो गया है और अब उनकी राष्ट्रीय छवि बढ़ रही है। अभी वह इसका फायदा भी उठा रही हैं। शायद वह राष्ट्रपति के कोटे से राज्यसभा जा सकती हैं। उनकी महत्वाकांक्षाएं बड़ी हो सकती हैं। वह इसका राजनीतिक लाभ ले रही हैं और शिवसेना भी उनकेे जाल में फंसती नजर आ रही है।
(नाज़नींन-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)