स्किल डेवलपमेंट एवं औद्योगिक प्रशिक्षण विभाग का बेरोजगार होना पूरे देश का बेरोजगार होना है?
लखनऊ। हमारे प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में आत्मनिर्भर भारत की बात की है और अरबों का बजट पास किया है। आत्मनिर्भर भारत के रास्ते सभी राज्यों के स्किल डेवलपमेंट एवं औद्योगिक विभाग से होकर जाते है जो युवाओं को नए-नए कामों के लिए प्रशिक्षित करते है। आज कोरोना के दौर में ये विभाग युवाओं को प्रशिक्षित कर रोजगार के लायक बना सकता है तो फिर क्यों इस विभाग की तरफ हरियाणा एवं अन्य राज्य सरकारों के साथ केंद्र सरकार ध्यान नहीं दे रही।
हरियाणा के बीटेक एवं एम् टेक पास हज़ारों युवा आजकल तनाव के दौर में है। दो साल पहले हरियाणा सरकार ने सालों के लम्बे इंतज़ार के बाद इन बेहद प्रतिभाशाली युवाओं के लिए हरियाणा सरकार के स्किल डेवलपमेंट एवं औद्योगिक विभाग के तहत लगभग दो हज़ार आईटीआई इंस्ट्रक्टर पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी। युवाओं के अथक प्रयासों के बाद सरकार ने इन पदों के लिए लिखित परीक्षा करवाई। विभिन्न ट्रेड्स के लिए आयोजित ये परीक्षाएं लगभग एक माह चली थी।
युवाओं ने सुनहरे भविष्य के सपने देख रात-रात भर तैयारी कर एक माह तक भूखे प्यासे रहकर घर से दो सौ -तीन सौ किलोमीटर दूर जाकर अपने पेपर लिखे. एक लम्बे इंतज़ार के बाद इस भर्ती परीक्षा का परिणाम जारी किया गया. कोरोना से पहले कुछ एक ट्रेड्स के लिए डॉक्युमनेट्स वेरिफिकेशन के लिए हरियाणा कर्मचारी आयोग ने पास आवेदकों को पंचकूला भी बुलाया. मगर मार्च माह के बाद इस भर्ती पर हरियाणा सरकार ने कोई संज्ञान नहीं लिया. भर्ती परीक्षा पास अभ्यर्थी अब सदमे में है.वे भविष्य को लेकर चिंतित है। इनमे से अधिकांश युवा २५-३० उम्र के है जिन्होंने पहले साइंस स्ट्रीम से इंटरमीडिएट किया और उसके बाद बीटेक एवं एम् टेक किया. एक लम्बी पढाई की और घर वालों ने इन पर लाखों रुपये खर्च किये. लेकिन आज ये अपनी दिन चर्या चलाने के लिए दर-दर की ठोकरे खा रहें है. इनकी उम्र शादी कर घर बसाने की हो चुकी है मगर जो अपने ही पेट नहीं भर सकते वो जीवन साथी के साथ जिंदगी को कैसे चलाएंगे।
आखिर सरकार इनके साथ कौन-सा खेल अब खेल रही है?.मोदी जी का आत्मनिर्भर भारत क्या केवल कागज़ों और सोशल मीडिआ की सुर्खिया बनकर रह गया है. अगर ऐसा नहीं है तो हरियाणा जो पूरे देश में प्रगतिशील राज्यों का नेतृत्व करता है वहां की सरकार को स्किल डेवलपमेंट एवं औद्योगिक विभाग के जरिये अपने युवाओं को प्रशक्षित करना चाहिए. हाल ही यहाँ के डिप्टी सीएम् दुष्यंत चौटाला ने कहा कि हरियाणा में कोरोना के दौरान राजस्व देश के मुकाबले बढ़ा है तो फिर क्यों हरियाणा सरकार बजट का बहाना बनाकर सरकारी भर्तियों को रोक रही है. अगर ऐसा होता है तो यहाँ के बेरोजगार युवा या तो आत्महत्या की राह पर चलेंगे या फिर आंदोलन का रूख करेंगे।
स्किल डेवलपमेंट एवं औद्योगिक विभाग वर्तमान दौर में नयी आशा की किरण है. इस विभाग में आईटीआई इंस्ट्रक्टर जैसे पदों का खाली रहना अपने आप में एक बड़ा प्रश्न है। दूसरी बात यहाँ के डिप्टी सीएम् दुष्यंत चौटाला ने कहीं की वो राज्यभर के युवाओं के लिए कम्पटीशन परीक्षा का खर्च उठायेंगे। अगर भर्ती ही नहीं निकली और पूरी नहीं करनी तो ऐसी घोषणाओं का क्या औचित्य है।
हरियाँ सरकार ने कोरोना महामारी के चलते देशभर में लॉकडाउन लागू होने के चलते आईटीआई इंस्ट्रक्टर भर्ती दस्तावेजों की जांच प्रक्रिया को बंद कर दिया। लॉकडाउन हटने के बाद प्रक्रिया को दोबारा शुरू नहीं किया गया है। अब युवाओं ने कहा है कि सरकार भी कह चुकी है अब लोगों को कोरोना के साथ ही जीना होगा। इस विभाग में जुलाई-अगस्त में आइटीआइ में दाखिला प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। राजयभर के युवाओं ने सांसदों से लेकर राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नाम ज्ञापन सौंपा है और जल्द भर्ती प्रक्रिया को पूरा कराने की मांग की है। अगर ऐसा हो रहा है तो सरकार अपने आप क्या कर रही है ?
हरियाणा ही नहीं देश भर में स्किल डेवलपमेंट एवं औद्योगिक विभाग एवं शिक्षा-स्वास्थ्य विभाग में कर्मचारियों की कमी होना देश के लिए चिंता का विषय है, इन तीनों विभागों के लिए केंद्र सरकार को हर साल भर्ती निकाल कर उसी वर्ष पूरा करना चाहिए ताकि देश भर के युवाओं को प्रशिक्षण और शिक्षा मिल सके और लोगों को सुचारु रूप से सेवाएं मिल सकें. हरियाणा जैसे राज्य में बीटेक एवं एम् टेक पास युवाओं का बेरोजगार होना यहाँ की सरकार की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह है. इतना खर्च उठाकर ये युवा अरमानों के साथ मेहनत कर यहां तक पहुँचते है . अगर राज्य सरकार इनको अपने विभागों और कंपिनयों में रोजागर नहीं दिला सकती तो इनको ये बीटेक एवं एम् टेक कोर्स बंद कर देने चाहिए।
स्किल डेवलपमेंट एवं औद्योगिक विभाग का बेरोजगार होना पूरे राज्य का बेरोजगार होना है, हमारे प्रधानम्नत्री जी को इस विषय को गम्भीरता से लेना चाहिए अन्यथा उनकी आत्मनिर्भर भारत की योजना अपने शिशुकाल में ही दम तोड़ देगी. जिस देश और राज्य में पिछले दस सालों से ऐसे महत्वपूर्ण पद रिक्त पड़े होंगे वहां कैसा प्रशिक्षण और कैसी आत्मनिर्भरता सोचिये?
(आईपीएन)