युवाओं को आतंकी बनने से रोकने का प्रयास

युवाओं को आतंकी बनने से रोकने का प्रयास

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर पुलिस के महानिदेशक (डीजीपी) दिलबाग सिंह ने कहा कि सुरक्षा बलों ने इस साल अब तक अर्थात 7 महीने के दौरान दो दर्जन से अधिक आतंकवादी कमांडरों को मार गिराया है। इस वजह से आतंकी संगठनों के नेतृत्व ढांचे की कमर काफी हद तक टूट चुकी है। उन्होंने कहा, 'हमारा प्रयास सिर्फ आतंकवादियों को मारना नहीं है क्योंकि आतंकवादियों को मारने से आतंकवाद खत्म नहीं होता है। हमारा प्रयास युवाओं को आतंकवादी बनने से रोकना है और इसके लिए हमें अभियान चलाना होगा और साथ ही कानून-व्यवस्था को उचित तरीके से संभालना होगा। केंद्र शासित प्रदेश के शीर्ष पुलिस अधिकारी ने घाटी के लोगों को बधाई दी क्योंकि 2019 में और 2020 में अब तक कानून-व्यवस्था के रखरखाव में कोई हताहत नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि सुरक्षा बल किसी भी नागरिक को मारना नहीं चाहता है। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में लोगों को राजनीति की मुख्यधारा में लाने के लिए ही नौकरशाह गिरीशचन्द्र मुर्मू को उपराज्यपाल पद से हटाकर अनुभवी राजनेता मनोज सिन्हा को वहां का उपराज्यपाल बनाया गया है।

ध्यान रहे कि सुरक्षा बलों ने जम्मू-कश्मीर में आतंकी संगठनों के खिलाफ बड़ा अभियान छेड़ा हुआ है। एक के बाद एक आतंकी कमांडरों के मारे जाने की वजह से तकरीबन सभी बड़े संगठन नेतृत्व विहीन होने की कगार पर पहुंच गए हैं। इस दौरान पुलिस और सुरक्षा बलों की सबसे बड़ी सफलता ये रही कि आम लोगों को इससे सबसे कम नुकसान हुआ है। पुलिस और सुरक्षा बलों ने इस बात का खयाल रखा है कि आतंकी ऑपरेशन्स के दौरान किसी भी आम नागरिक को कोई दिक्कत न पहुंचे। साथ ही सूचना तंत्र को मजबूत कर कोशिश की गई है कि पुलिसकर्मियों को भी कम से कम नुकसान पहुंचे। डीजीपी ने उत्तरी कश्मीर में कुपवाड़ा जिले के हंदवाड़ा क्षेत्र में संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि पिछले साढ़े सात महीनों में कुल 26 आतंकवादी कमांडर मारे गए, जिसके बाद उनका नेतृत्व ढांचा काफी हद तक टूट चुका है। ये सब अपने संगठन में नंबर एक या नंबर दो थे। सुरक्षा बलों के लिए यह बड़ी सफलता है और इससे लोगों को राहत मिली है। हालांकि, डीजीपी सिंह ने कहा कि आतंकवादियों को मारने से ही केवल आतंकवाद खत्म नहीं होता है, बल्कि अन्य युवाओं को बंदूक उठाने से रोकना होगा। यह काम अब उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को करना है। जम्मू कश्मीर में जब तक विधानसभा के चुनाव नहीं होते, तब तक वहां का प्रशासन और सरकार दोनों का दायित्व उपराज्यपाल को ही निभाना है। आतंकवाद को लेकर भारत का नजरिया किसी से छिपा नहीं है। हमारे लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने अभी हाल ही संसद के स्पीकरों के 5वें वैश्विक सम्मेलन में भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई की। आतंकवाद से मुकाबला और हिंसक अतिवाद: पीड़ितों के नजरिए विषय पर विशेष कार्यक्रम के दौरान भारत ने पाकिस्तान के नेशनल असेंबली स्पीकर की टिप्पणी का जवाब दिया। भारत ने कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने संसद में आतंकी ओसामा बिन लादेन को शहीद बताया था। भारत ने आतंकवाद के मुद्दे पर कहा कि आतंकवाद को लेकर इस तरह की दोहरी मानसिकता नहीं होनी चाहिए।अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान को अलग-थलग करना चाहिए ताकि उसे आतंकी गतिविधियों में शामिल होने का खामियाजा चुकाना पड़े। ध्यान रहे कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने अपनी धरती पर लगभग 40,000 आतंकवादियों के होने की बात स्वीकार की थी। ओम बिरला ने कहा कि 1965, 1971, 1999 (कारगिल), मुंबई और संसद, उरी, पुलवामा आदि पर हमले पाकिस्तान के राज्य प्रायोजित आतंकवाद को दर्शाते हैं। उसने हाफिज सईद, मसूद अजहर और एहसानुल्लाह एहसान के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। लोक सभा स्पीकर ने कहा कि जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग रहा है और रहेगा। हम पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद को समाप्त करने का आह्वान करते हैं कि हमारी सहनशीलता और गंभीरता को कमजोरी के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने वर्चुअल रूप से इस सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में भाग लिया था। लोकसभा सांसद राजीव प्रताप रुड़ी और मीनाक्षी लेखी तथा लोकसभा की महासचिव स्नेहलता श्रीवास्तव ने भी सम्मेलन में हिस्सा लिया। इस सम्मेलन का सीधा सम्बंध जम्मू कश्मीर से नहीं था लेकिन आतंकवाद से था और आतंकवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित जम्मू कश्मीर ही रहा है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद स्कूल खुल गये हैं। स्कूलों के आसपास सुरक्षा काफी बढ़ाई गई है। श्रीनगर में एलपीजी वितरण करने वाली सभी 19 कंपनियों को फरमान जारी किया गया है कि गैस की होम डिलीवरी कराएं। अब जम्मू और कश्मीर से धारा 370 और अनुच्छेद 35 ए हटे ठीक एक साल हुआ है और इस बीते एक साल में जैसा गतिरोध कश्मीरियों और सरकार में है, माना यही जा रहा है कि आईआईटी की पढ़ाई कर चुके मनोज सिन्हा अपनी सूझ बूझ और शालीनता से इस गतिरोध को काफी हद तक कम करने का प्रयास करेंगे। उपराज्यपाल पद से जीसी मुर्मू को हटाने की अहम वजह भी शायद यही रही कि मुर्मू उस पॉलिटिकल वैक्यूम को भरने में असमर्थ साबित हुए जो जम्मू कश्मीर में 4जी इंटरनेट की बहाली पर उनके रुख और नागरिक प्रशासन में 'शिथिलता' के कारण आया। ये बात काबिल ए गौर है कि आईएएस होने के कारण चीजों को लेकर मुर्मू का रवैया एक नौकरशाह जैसा था।

जबकि जैसे हालात कश्मीर में धारा 370 और 35 ए के बाद बने हैं, वहां लोगों को एक ऐसा नेता चाहिए जो सीधे स्थानीय लोगों से जुड़ा हो और आम लोगों और उनकी समस्याओं का निस्तारण सीधे संवाद के जरिये कर सके।

चूंकि मनोज सिन्हा भाजपा के एक ऐसे नेता हैं जिनका राजनीतिक कौशल जम्मू और कश्मीर में स्थिति को आसान बनाने में मदद करेगा इसलिए वो शिथिलता भरेगी जो केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद घाटी में आ गयी थी। पुलिस महानिदेशक भी इसी दिशा में प्रयासरत हैं। डीजीपी के बयान का यह मतलब कतई नहीं निकालना चाहिए कि आतंकवादियों के खिलाफ जो अभियान चल रहा है, उसमें कोई शिथिलता आ जाएगी। अभियान उसी गति से चलेगा लेकिन कश्मीर के युवाओं तक यह संदेश भी पहुंचेगा कि आतंकवाद का रास्ता कतई उचित नहीं है।

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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