सैनिटाइज किए शव से नहीं होता संक्रमण, बस रखें ये सावधानी
गोरखपुर। कोरोना संक्रमण से लगातार हो रही मौतों के बीच विभाग ने लोगों को सलाह दी है कि सैनिटाइज किए गए शव से डरें नहीं, केवल सावधानी रखें। पहले कोरोना संक्रमित का दाह संस्कार कराने वाले डॉक्टर नंद कुमार ने बताया कि ब्लड प्रेशर, शुगर, सांस संबंधी बीमारियां, कैंसर की शिकायत वालों को कोरोना का ज्यादा खतरा है। अब तक ऐसे ही लोगों की मौत भी हुई है। मौत के बाद जो लोग संक्रमित के परिजनों के प्रति व्यवहार बदल रहे हैं, यह ठीक नहीं है। अगर सावधानी से दाह संस्कार कराया जाए, तो खतरा बिल्कुल भी नहीं है।
उन्होंने कहा कि अब तक गोरखपुर में 39 लोगों की मौत कोरोना से हो चुकी है लेकिन कोई भी दाह संस्कार करने वाला कोरोना संक्रमण का शिकार नहीं हुआ। इसकी वजह यह है कि शव सैनिटाइज करके दिया जा रहा है। कई जगहों पर ऐसी शिकायतें मिली है कि लोग उनके परिजनों से मुंह मोड़ रहे हैं, जो ठीक नहीं है।
बताया कि कैंपियरगंज के पहले कोरोना संक्रमित की मौत मई महीने में हुई थी। समाज में भय का माहौल था। मृतक के परिजन भी घर चले गए थे। प्रशासन ने दाह-संस्कार की जिम्मेदारी दी। काफी समझाने के बाद परिजन देर रात आए। उन्हें बताया गया कि शव से संक्रमण नहीं हो सकता क्योंकि शव सैनिटाइज था। इसके बाद रात में शव का दाह-संस्कार किया। पीपीई किट की भी वहां आवश्यकता नहीं थी लेकिन कोविड-19 के तहत मानकों का पालन किया।
सीएमओ डॉ. श्रीकांत तिवारी ने बताया कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) इस तथ्य पर शोध करने जा रहा है कि मृतक के शरीर पर अधिकतम कितने देर तक कोरोना वायरस टिक सकता है। अलग-अलग सतह पर कोरोना के टिकने के संबंध में लैंसेट (पत्रिका) का अध्ययन तो है ही लेकिन कोरोना संक्रमण मृतक शरीर के बारे में कोई स्पष्ट अध्ययन उपलब्ध नहीं है। सावधानी ही संक्रमण से बचाव का सबसे बेहतर तरीका है।
सीएमओ डॉ. श्रीकांत तिवारी ने कहा कि जागरूकता के अभाव में कोरोना के प्रति तमाम भ्रांतियों का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। ऐसी सूचनाएं इस लड़ाई को कमजोर करेंगी। चिकित्सकों, स्वास्थ्यकर्मियों और समुदाय का मनोबल टूटेगा। टूटे मनोबल के साथ इस बीमारी का मुकाबला घातक होगा। सैनिटाइज हो चुके संक्रमित के शव के बारे में भ्रांतियां न पालें। सावधानी रखेंगे तो संक्रमण नहीं होगा। (हिफी न्यूज)