क्षुब्ध हैं एयर इंडिया के कर्मचारी
लखनऊ। दस-पांच दिन की छुट्टी पर कर्मचारी हंसी-खुशी चले जाते हैं लेकिन पूरे पांच साल के लिए बिना वेतन छुट्टी पर जाना कौन पसंद करेगा? एयर इंडिया के कर्मचारियों के साथ यही हुआ है। इस बात पर वे नाराज हैं।एअर इंडिया के कर्मचारियों को 5 साल के लिए लीव विदाउट पे देने की स्कीम पर इसके कर्मचारी यूनियन ने सख्त रवैया अपनाया है। यूनियन ने एअर इंडिया के सीएमडी को लेटर लिखकर कई गंभीर आरोप लगाए हैं।
एअर इंडिया एम्प्लॉइज यूनियन (एआईईयू) ने इस मसले पर सीएमडी को एक सख्त लेटर लिखा है। यूनियन का कहना है कि निदेशक मंडल ने लीव विदाउट पे स्कीम को मंजूर तो किया है, लेकिन उन्हें जमीनी सच्चाई से रूबरू नहीं किया गया और अंधेरे में रखा गया। गौरतलब है कि 14 जुलाई को एअर इंडिया ने कर्मचारियों को भेजे लेटर में कहा था, कर्मचारी छह महीने से 2 साल की बिना वेतन की छुट्टी का विकल्प अपना सकते हैं और इसे बढ़ाकर 5 साल तक किया जा सकता है। इस स्कीम में सीएमडी को यह अधिकार है कि वह कंपनी के नाम से ऑर्डर जारी कर किसी कर्मचारी को छह महीने या दो साल (जिसे बढ़ाकर 5 साल तक किया जा सकता है) के लिए लीव पर भेज सकता है। यूनियन ने कहा, हम स्पष्ट शब्दों में यह कहना चाहते हैं कि उक्त लेटर पूरी तरह से बेरहम, असंवैधानिक, अवैध, मनमाना और एकतरफा है। यह सभी तरह के श्रम कानूनों के साथ धोखा है और बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा हमारी 2013 की याचिका संख्या 1606 पर दिए गए आदेश तथा इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है।
यूनियन के लेटर में कहा गया है, हम कहना चाहते हैं कि यह योजना इस तरह से तैयार की गई है ताकि कंपनी के टॉप एक्जीक्यूटिव्स को फायदा हो और इससे कामगारों के हक को छीना जा रहा है और उनको दंडित किया जा रहा है, जबकि उनकी कोई गलती नहीं है। पिछले कुछ महीनों में डायरेक्टर, जनरल मैनेजर आदि पोस्ट पर जिस तरह से प्रमोशन हुए हैं उसके लिए कोई तर्क नहीं है, जबकि दूसरों के वाजिब समयबद्ध प्रमोशन को भी साल 2012 से रोककर रखा गया है। ऐसा लगता है कि कंपनी का शीर्ष प्रबंधन अपनी अकर्मण्यता और गलत निर्णयों को ढंकने की जल्दी है और जमीनी सच्चाई से आंखें मूंदे हुए है।