कोरोना काल में पंजाब में दोगुनी हुई ऑनलाइन ठगी
पंजाब। जैसे-जैसे दुनिया में इंटरनेट के उपयोग में बढ़ोतरी हो रही है, वैसे-वैसे साइबर अपराध भी बढ़ रहे हैं। वैश्विक स्तर पर लगभग 65 फीसदी इंटरनेट उपयोक्ता साइबर क्राइम के शिकार होते हैं जबकि भारत में यह संख्या 76 प्रतिशत है। इनमें कंप्यूटर वायरस, ऑनलाइन क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी और आइडेंटी चोरी जैसे अपराध शामिल हैं। पंजाब में पिछले सवा 2 महीने में ही ठगों ने 2700 लोगों से 90 लाख से ज्यादा रुपए उड़ाए हैं। इसमें एटीएम कार्ड क्लोनिंग के मामले भी शामिल हैं। अगर आप ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं या ऑनलाइन ट्रांजेक्शन कर रहे हैं तो सतर्क हो जाइए। आपके हर लेन-देन पर किसी तीसरे की नजर है। क्योंकि, लॉकडाउन के दौरान की गई ऑनलाइन शॉपिंग का फायदा सबसे ज्यादा साइबर ठगों ने उठाया है।
पंजाब में ठगी मामले में मोहाली सबसे आगे है। यहां 2 माह में 293 शिकायतें आई हैं और करीब 27 लाख रुपए ठगे गए हैं। सिर्फ कार्ड क्लोनिंग से ही 23 लाख की ठगी हुई। लुधियाना में 16 से ज्यादा मामलों में साढ़े 8 लाख की ठगी की गई है। वहीं, 10 फीसद ऐसे मामले भी हैं, जिनके फोन या कम्प्यूटर हैक कर ब्लैकमेल किया गया। 20 फीसद लोगों ने सिर्फ शिकायतें कर छोड़ दीं। इससे पहले हर माह करीब 800 शिकायतें आती थीं। वजह लॉकडाउन के दौरान ज्यादातर नए लोग ऑनलाइन शॉपिंग साइटों पर गए, जो सतर्कता की कमी के कारण ठगों के शिकार हो गए। हैकरों ने ठगी का तरीका बदल दिया है। उन्हें अब बैंक के ओटीपी, पिन और पासवर्ड की जरूरत नहीं रहती है। अकाउंट नंबर से ही पैसे निकाल लिए जाते हैं। साइबर क्राइम में इसे फिशिंग अटैक कहते हैं। इसके लिए हैकरों ने फेक वेबसाइट बनाने के साथ, बैंकों की फेक ऐप, स्कूलों की फीस जमा कराने को फर्जी ऐप बना रखे हैं। हैकर इसे दिल्ली, यूपी और झारखंड से ऑपरेट करते हैं।
बठिंडा में शातिर ठगों ने शराब की होम डिलीवरी के नाम पर एक व्यक्ति से ठगी की। पीड़ित प्रीतमहिंदर ने बताया कि 11 अप्रैल को किसी ने 9348524907 नंबर से कॉल की और ऑनलाइन शराब मंगवाने और डिस्काउंट का वादा किया। इस पर मैंने शराब मंगवाने का मन बनाया तो उसने कहा, उन्हें सिर्फ खाता नंबर दे दें, जिससे वह प्रक्रिया शुरू कर देगा। खाता नंबर देते ही कुछ समय बाद डेढ़ लाख निकल गए। शिकायत दी पर कुछ नहीं हुआ। कूमकलां गांव के मंजीत के अनुसार उसने फेसबुक पर फौज में भर्ती के लिए एक ऑनलाइन लिंक देखा। बेटे को भर्ती कराने के लिए उस लिंक को खोला और उसमें बैंक डिटेल भरी। थोड़ी देर बाद खाते से 2 लाख उड़ गए। शिकायत पर कुछ नहीं हुआ। पटियाला के लखवीर कौर ने क्रेडिट कार्ड बनवाया था। एक दिन फोन आया कि उनके बाउचर आए हुए हैं जिन्हें फिल करना है। वाउचर को भरने से और सुविधाएं मिलेंगी। आरोपियों ने कहा उनके फोन पर आने वाले 5 कोड बताने होंगे। ऐसे करने पर खाते से 2 लाख 4 हजार निकाल लिए।
इतना ही नहीं हाल में हैकरों ने पंजाब पुलिस की भर्ती का सोशल मीडिया पर नोटिस चला दिया। इनमें भर्ती के बारे में कहा था। हालांकि, पुलिस ने आरोपियों को पकड़ लिया है। इसमें युवा भर्ती के नाम पर ऑनलाइन फार्म भरने के साथ भर्ती को रखी फीस जमा करवाते तो फीस की राशि के साथ खाते की डिटेल हैकरों के पास आ जाती। जब से आॅनलाइन पैसों की लेनदेन शुरू हुई है तब से हैकर नित-नए तरीके अपना अकाउंट से पैसे उड़ देते है। आज कल तो हैकर फोन व ईमेल पर कोरोना की जानकारी देने के लिए मैसेज में एक लिंक भेज रहे हैं। जैसे ही लोग उसे ओपन करते हैं तो फोन व कंप्यूटर हैक कर लिया जाता है। अक्सर लोग ऑनलाइन ट्रांजेक्शन फोन या लैपटाप से करते हैं। इस लिंक पर जाने के बाद बैंक की सारी डिटेल को हैक कर वे खाते खाली कर देते हैं।
हम जितनी तेजी से डिजिटल दुनिया की ओर बढ़ रहे हैं, ठीक उतनी ही तेजी से साइबर अपराध की संख्या में भी वृद्धि हो रही है। यूं तो साइबर अपराध ऑनलाइन होते हैं, लेकिन ये वास्तविक लोगों के जीवन को प्रभावित करते हैं। इनमें से कुछ अपराधों में साइबर उत्पीड़न और साइबर स्टॉकिंग, चाइल्ड पोर्नोग्राफी का वितरण, विभिन्न प्रकार के स्पूफिंग, क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी, मानव तस्करी, पहचान की चोरी और ऑनलाइन बदनाम किया जाना शामिल हैं। साइबर अपराध की इस श्रेणी में किसी व्यक्ति या समूह के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण या अवैध जानकारी को ऑनलाइन लीक कर दिया जाता है। पहले देश में साइबर अपराध का मुख्य केन्द्र दिल्ली, मुम्बई, बेंगलुरु और पुणे जैसे महानगर ही होते थे लेकिन आजकल साइबर अपराध का विस्तार छोटे शहरों तक में भी हो गया है। साइबर अपराध के मामले में भारत विश्व के पांचवें पायदान पर खड़ा है। भारत में तीन-चैथाई इंटरनेट उपभोक्ता किसी न किसी तरह साइबर अपराधों का शिकार हो रहे हैं। देश में साइबर संबंधी अपराधों की घटनाओं में करीब 50 फीसदी की बढ़ोत्तरी हर साल हो रही है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा जारी रिपोर्ट में इस संबंध में जानकारी दी गई है। इसके अनुसार सबसे अधिक साइबर अपराध पोर्नोग्राफी से संबंधित हैं। इनमें सबसे खास बात यह है कि इन वारदातों को अंजाम देने वाले अपराधियों की उम्र 18 से 30 वर्ष के बीच है।
साइबर अपराध की तेजी से बढ़ती घटनाओं के मुकाबले पुलिस और इनफोर्समेंट एजेसियां कंप्यूटर तकनीक के मायाजाल से पूरी तरह वाकिफ नहीं हैं। हैकिंग, डाटा चोरी, डिजिटल हस्ताक्षर, सर्विलेंस और गोपनीय दस्तावेजों को खुफिया हमले से बचाने के लिए राज्यों में अपनाई जा रही कंप्यूटर इमर्जेन्सी रिस्पांस टीम (सर्ट-इन) तकनीक भी पूरी तरह से सफल साबित नहीं हो पा रही है। ऐसा माना जा रहा है कि आईटी दक्षता के मद्देनजर आने वाले समय में सभी प्रदेशों में साइबर अपराध आतंकवाद को पीछे छोड़ देगा। ये साइबर अपराधी राज्यों में विशेषकर सॉफ्ट टारगेट के तौर पर देश के छोटे शहरों को निशाना बना रहे हैं। इनमें पुणे, नोएडा, गुड़गांव, पंजाब और भोपाल के अलावा दिल्ली, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तमिलनाडु समेत देश के सभी राज्य शामिल हैं। आज तेजी से विकसित हो रही सूचना तकनीक ने साइबर अपराधियों की मुश्किलों को आसान बना दिया है। अब तो सोशल मीडिया जैसे प्लेटफार्म व्हाट्सऐप में भी सेंध लगाई जा चुकी है। भारतीय साइबर कानून 2000 में भी संशोधन किया जा चुका है। लोग फिर भी जागरूक नहीं हैं, बड़ी राशि पुरस्कार स्वरूप पाने के लिए वह अपने खाते की जानकारी दे देते हैं और अपनी जीवनभर की कमाई गंवा देते हैं। अभी तक साइबर अपराधाों से बचने के लिए कोई ठोस तंत्र विकसित नहीं हो पाया।
लाॅकडाउन और आनलाॅक के दौरान साइबर अपराध एक गम्भीर खतरे के रूप में विकसित हो रहा है। संयुक्त राष्ट्र के निरस्त्रीकरण मामले की प्रमुख ने भी लाॅकडाउन के दौरान सावधान किया था कि कोविड-19 महामारी के दौरान साइबर अपराध बढ़ रहा है और दुर्भावनापूर्ण ईमेल में 600 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। दुनिया भर की सरकारों, पुलिस विभागों और गुप्तचर इकाइयों ने साइबर अपराध के खिलाफ प्रतिक्रिया दे रहे हैं। साइबर खतरों पर अंकुश लगाने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी कई प्रयास किए जा रहे हैं। भारतीय पुलिस के देशभर में विशेष साइबर सेल स्थापित हो चुके हैं और लोगों को शिक्षित करना शुरू कर दिया है ताकि वे ज्ञान हासिल करें और ऐसे अपराधों से खुद को बचाएं।
(नाजनीन -हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)