कर्नाटक में बच्चों की ऑनलाइन क्लासेज पर रोक
कर्नाटक। कर्नाटक सरकार ने पहली से पांचवीं कक्षा तक के छात्र-छात्राओं के लिए ऑनलाइन क्लास पर रोक लगा दी है। अब विद्यालय इन छात्र-छात्राओं को ऑनलाइन नहीं पढ़ा पाएंगे। कोरोना वायरस के चलते लगाए गए लॉकडाउन के कारण भारत में ऑनलाइन अध्ययन का प्रचलन बढ़ गया था। स्कूल, कालेज समेत अधिकतर शिक्षण संस्थानों में इस वैकल्पिक तरीके का इस्तेमाल किया जा रहा था। परन्तु इस व्यवस्था का दुरुपयोग व बच्चों पर बढ़ते मानसिक दबाव के कारण इसका विरोध शुरू हो गया। उक्त निर्णय कर्नाटक सरकार के प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा कई अभिभावकों की शिकायतों के बाद लिया गया है। अभिभावकों ने आरोप लगाया था कि अनेक निजी विद्यालय केजी व नर्सरी बच्चों के लिए भी ऑनलाइन क्लासेज चला रहे हैं। अभिभावकों की शिकायतों के बाद कर्नाटक सरकार ने घोषणा कर दी कि राज्य में अब केजी से लेकर 5वीं कक्षा तक ऑनलाइन क्लासेज नहीं ली जाएगी। सरकार ने दो कदम उठाए। एनकेजी, यूकेजी, प्राथमिक कक्षाओं के बच्चों के लिए ऑनलाइन क्लासेज पर तत्काल रोक लगे तथा ऑनलाइन क्लासेज के नाम पर ली जा रही फीस भी न ली जाए।
राज्य के शिक्षा मंत्री एस. सुरेश कुमार ने उक्त जानकारी देते हुए बताया ऑनलाइन क्लासेज के सम्बन्ध में हमें कई शिकायतें प्राप्त हो रही थीं। इसे देखते हुए विशेषज्ञों के साथ चर्चा की गई। ऑनलाइन क्लासेज बच्चों के स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है। कुमार ने यह भी कहा कि एनआईएमएचएएनएस की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि यह केवल 6 वर्ष से ज्यादा उम्र के बालकध्बालिकाओं के लिए आयोजित किया जाना चाहिए। क्योंकि एलकेजी से कक्षा पांचवीं तक के बच्चों के स्वास्थ्य पर पर वर्चुअल क्लासेज का गलत प्रभाव पड़ेगा, ये बच्चों के स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है। लगातार कम्प्यूटर, टैबलेट या मोबाइल के सामने बैठने से बच्चां की आंखें, पीठ व मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। साथ ही भविष्य में उन्हें गम्भीर बीमारी का शिकार भी होना पड़ सकता है। यह निर्णय लेने से पहले विभाग ने विभिन्न विशेषज्ञों के साथ कई दौर में विमर्श किया । इस विमर्श में प्रो एम. के. श्रीधर , प्रो वीपी निरंजनध्याय, डा. जान विजय सागर तथा अन्य विभागों के साथ गृह व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी सहभागी हुए ।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि हमने छात्रों के ज्ञान बढ़ाने के सम्बन्ध में दिशा-निर्देश तैयार करने के लिए प्रो. एम.के. श्रीधर के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया है। ज्यादातर सभी का मत है कि ऑनलाइन क्लासेज कक्षाशः पढ़ाई का विकल्प नहीं हो सकती। विशेषज्ञों से चर्चा में इस बात पर भी चर्चा की गई, ऐसे समय जबकि स्कूलों को दोबारा खोलने को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है तो बच्चों को घर पर ही किस प्रकार वयस्त रखा जाय। श्रीधर समिति इन सभी पहलुओं पर विचार कर दिशा-निर्देश तय करेगी।
सुरेश कुमार कहते हैं कि राज्य सरकार ने सर्कुलर जारी कर शिक्षण संस्थाओं से मानवीय आधार पर शुल्क न बढ़ाने की अपील की है। कोविड-19 की वजह से नई परिस्थितियों के कारण जनता को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। यदि विद्यालय फीस कम करने का निर्णय लेते हैं, तो स्वागत योग्य होगा। कर्नाटक ने ऑनलाइन क्लासेज पर प्रतिबन्ध लगाकर बालपन को बचाने का जो निर्णय लिया है, वह स्वागत योग्य है। ऑनलाइन क्लासेज विद्यालय क्लारूम का विकल्प नहीं हो सकते। परन्तु घर में भी बच्चे कैसे व्यस्त रहें, इसकी योजना बनाना सकारात्मक सोच है। केन्द्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि 15 अगस्त से पूर्व स्कूल-कालेज नहीं खोले जा सकेंगे। तो भी प्रायवेट शिक्षण तंत्र स्कूल खोलने या न खोल सकने की स्थिति में ऑनलाइन क्लासेज की कवायद फीस वसूली के लिए करने का प्रयास कर रहे हैं। कोरोना वायरस संक्रमण के चलते देशव्यापी लॉकडाउन के कारण लोगों को आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। फिर भी मुनाफाखोरी की बढ़ती लिप्सा समाज को पतनोन्मुख करती नजर आ रही है। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने स्कूल-कालेजों को खोलने के विरुद्ध चेताया है। उन्होंने अनेक पश्चिमी देशों का उदाहरण देते हुए कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण बच्चों की जिन्दगी खतरे में पड़ गई। इसके फलस्वरूप स्कूलों को दोबारा बन्द करना पड़ा। ऐसे समय जब कोरोना संक्रमण का प्रसार तेजी पकड़ रहा है। कर्नाटक में 10वीं बोर्ड की परीक्षाएं 25 जून से 4 जुलाई तक कराने का निर्णय.औचित्य से.परे लगता है। शिक्षा मंत्री ने दावा किया है कि बच्चों की सुरक्षा व स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखा जाएगा। परन्तु कोविड-19 के सामुदायिक संक्रमण की ओर बढ़ने की आशंका स के चलते ऐसे निर्णय पर पुनर्विचार किया जाय, तो बेहतर होगा।
(मानवेन्द्र नाथ पंकज-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)