रमजान क्यों मनाया जाता है पढ़िए पूरी खबर
इस्लामिक कैलेंडर में 9वां महीना रमजान का होता है। चांद के हिसाब से गिने जाने वाले इस कैलेंडर में 29 या 30 दिन होते हैं। इस हिसाब से हर साल करीब 10 दिन कम होकर अगला रमजान का महीना शुरू होता है। मतलब इस साल 25 अप्रैल को रोजे शुरू हुए तो 10 दिन कम होने पर 2021 में 15 अप्रैल से यह पवित्र महीना शुरू हो सकता है। इसी तरह हर साल 10 दिन का फर्क पड़ता है। ऐसा माना जाता है कि मोहम्मद साहब को साल 610 में लेयलत उल-कद्र के मौके पर पवित्र कुरान शरीफ का ज्ञान प्राप्त हुआ था। उसी समय से रमजान को इस्लाम धर्म के पवित्र महीने के तौर पर मानाया जाने लगा। इस पवित्र में महीने में मुसलमान लोगों को कुछ खास सावधानियां बरतने की सलाह दी गई है। रमजान के दौरान रोजे रखने का मतलब केवल यह नहीं होता कि आप भूखे-प्यासे रहें। बल्कि, इस दौरान मन में बुरे विचार ना आने देने के लिए भी कहा गया है। रमजान में मुसलमान को किसी की बदनामी करने, लालच करने, झूठ बोलने और झूठी कसम खाने से बचना चाहिए। पैंगम्बर मुहम्मद साहब के अनुसार रमजान महीने का पहला अशरा (दस दिन) रहमत का होता है। जबकि दूसरा अशरा मगफिरत और तीसरा अशरा दोजख से आजादी दिलाने वाला होता है। मुस्लिम समुदाय का सबसे पाक रमजान का महीना जल्द शुरू होने वाला है। रमजान के महीने में लोग 30 दिनों तक रोजे रखते हैं। इस एक महीने, रोजे के दौरान सभी तय वक्त पर सुबह को सहरी और शाम को इफ्तार करते हैं। रोजे में सहरी और इफ्तार दोनों ही बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। आपको बता दें कि रमजान के दिनों में लोग सुबह उठकर सहरी करते हैं। सहरी खाने का वक्त सुबह (सूरज निकलने से करीब डेढ़ घंटे पहले का वक्त) होने से पहले का होता है। सहरी खाने के बाद फज्र की अजान से रोजा शुरू हो जाता है। रोजेदार पूरे दिन कुछ भी खा और पी नहीं सकता और सूरज ढलने के बाद मगरिब की अजान होने पर रोजा खोला जाता है। फिर रात की इशा की नमाज (करीब 9 बजे) के बाद तरावीह की नमाज अदा की जाती है। इस दौरान मस्जिदों में कुरान भी पढ़ा जाता है। ये सिलसिला पूरे महीने चलता है। महीने के अंत में 29 का चांद होने पर ईद मनाई जाती है। 29 का चांद नहीं दिखने पर 30 रोजे पूरे कर अगले दिन ईद का जश्न मनाया जाता है। इस वर्ष रमजान महीने का पहला रोजा लगभग 14 घंटा 15 मिनट और अंतिम रोजा लगभग 14 घंटा 43 मिनट का होगा। पहले रोजे की सहरी सुबह 4:48 बजे और इफ्तार शाम 7:03 बजे किया जाएगा। आखिरी रोजे में सहरी सुबह 4:30 बजे और इफ्तार शाम 7:13 बजे होगा। कुछ लोगों को रोजे से छूट मिलती है, अगर कोई बीमार हो या बीमारी बढ़ने का डर हो तो रोजे से छूट मिलती है। हालांकि, ऐसा डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए। प्रेग्नेंट लेडी और बच्चे को दूध पिलाने वाली मां को भी रोजे से छूट रहती है। बहुत ज्यादा बुजुर्ग शख्स को भी रोजे से छूट रहती है।