'रक्षा-बंधन' से भी बड़ी जिम्मेदारी 'सुरक्षा-बंधन से बंधे हैं हमः आईपीएस अजय
मैनपुरी । समाज को सुरक्षा के प्रति निश्चिित करने के लिए दिन और रात सड़क से लेकर जंगल तक ड्यूटी के लिए मुस्तैद, सतर्क और निडर नजर आने वाले पुलिस कर्मचारियों के लिए त्यौहार का जश्न भी ड्यूटी से बढ़कर नहीं होता। परिवार को, माता-पिता को, यार-दोस्तों को छोड़कर कर कहीं दूर किसी चौराहे पर, किसी सड़क पर यातायात सुरक्षा, किसी बाजार में महिलाओं और लड़कियों की सामाजिक सुरक्षा के लिए तैनात या फिर किसी जंगल में बदमाशों से लोहा लेते हुए नजर आने वाला पुलिसकर्मी आज रक्षाबंधन पर भी अपनी हाथों पर बहनों के प्यार में राखी का धागा बांधने के लिए चिंतित होने के बजाये शहर से गुजर रहे भाई बहनों को सुरक्षा देने की चिंता में भीषण गर्मी में जुटा नजर आया। पुलिस कर्मियों की ड्यूटी के प्रति इस प्रतिबद्धता को आईपीएस और मैनपुरी जनपद के पुलिस अधीक्षक अजय कुमार पाण्डेय ने अपने शब्दों में आम जन तक पहुंचाने का काम किया है।
इन दिनों में मैनपुरी जनपद में पुलिस कप्तान का कार्यभार संभालते हुए पब्लिक में गुड पुलिसिंग कर रहे आईपीएस अजय कुमार ने रक्षाबंधन के पर्व पर पुलिस कर्मियों के सबसे बड़े 'सुरक्षा बंधन' को जनमानस तक पहुंचाने का सुन्दर प्रयास किया है। आईपीएस अजय कुमार ने अपने संदेश में कहा, '''रक्षा-बंधन' से भी बड़ी जिम्मेदारी के बंधन से बंधे हैं हम पुलिस-जन...... इस बंधन का नाम है-'सुरक्षा-बंधन'....!
आज पवित्र सावन महीने का आखिरी दिन है। आज रक्षा-बंधन का पावन पर्व है। बहिन अपने भाई की कलाई पर राखी बाँधेगी। उसे अपने हाथों से तिलक लगाएगी, मिठाई खिलाएगी और अपने हृदय की गहराइयों से लाख-लाख दुआएँ देगी ताकि भाई मजबूत बने, अच्छा इंसान बने, और तभी वह बहिन की रक्षा कर सकेगा, देश की रक्षा कर सकेगा।
हम पुलिस जन तपती धूप में धूल और धुआं झेलते हुए, चैराहों पर खड़े रहकर ट्रैफिक ठीक रखते हैं ताकि कोई अकाल ही काल के गाल में न समा जाए। कहीं आग लग जाने की सूचना पर हम दमकल (फायर टेंडर) लेकर दौड़ पड़ते हैं ताकि कोई जल कर अकाल ही मौत के मुंह में न चला जाए। पशु, पक्षी, मनुष्य किसी पर भी सुरक्षा का संकट आता है, हमें सूचना मिलती है तो हम भोजन, आराम, परिवार का सानिध्य, पूजा, इबादत, त्यौहार सब कुछ छोड़कर बस दौड़ पड़ते हैं-सबकी सुरक्षा के लिए। पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए, अपराधी को पकड़ने के लिए हम दिन-रात एक कर देते हैं। हमारे बच्चे, हमारी बहिनें, माता-पिता व परिवार के सारे लोग हमारे संग बैठकर तसल्ली से बात करने को, समय बिताने को तरस जाते हैं, सामाजिक सुरक्षा के लिए ड्यूटी के प्रति क्या यह कम बड़ा त्याग है?
तमाम अभावों में भी हम पुलिस जन इन सभी मुश्किलों, दुश्वारियों को हंसते-हंसते झेल जाते हैं, क्योंकि हम अतिशय पवित्र 'सुरक्षा-बंधन' में बँधे हैं। हमारी कलाई को सभी ने 'सुरक्षा-बंधन' के पवित्र एवं अटूट उम्मीदों के धागों से सजाया है। हमें आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि सभी के हृदय की गहराइयों से हम पुलिस जनों को दुआएँ, आशीष व शुभकामनाएँ मिलेंगी, ताकि हम और भी अधिक मजबूती से सभी की सुरक्षा कर पाने में कामयाब हों...
तह-ए-दिल से सभी को रक्षा-बंधन के पावन पर्व पर बारम्बार शुभकामनाएँ...
अजय कुमार, आईपीएस
पुलिस अधीक्षक, मैनपुरी।