188वीं जयंती पर आजादी की अलख जलाने वाली वीरांगना को श्रद्धांजलि

188वीं जयंती पर आजादी की अलख जलाने वाली वीरांगना को श्रद्धांजलि

लखनऊ। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की महानायिका वीरंगना रानी लक्ष्मीबाई की 188वीं जयंती गुरूवार को उत्तर प्रदेश में पूरी शिद्दत के साथ मनायी गयी।

वीरांगना की कर्मभूमि झांसी में इस मौके पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया वहीं लखनऊ,कानपुर,जौनपुर, प्रयागराज, मेरठ और वाराणसी समेत तमाम जिलों में आजादी की अलख जलाने वाली महानायिका को श्रद्धासुमन अर्पित किये गये।

उत्तर प्रदेश सरकार ने ट्वीट कर महारानी लक्ष्मीबाई को श्रद्धाजंलि अर्पित की। ट्वीट में लिखा " आजादी के महान संघर्ष को अपने अद्म्य साहस, पराक्रम और शौर्य से एक नई ऊर्जा प्रदान कर महिला शक्ति को गौरवान्वित करने वाली महान वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई जी की जयंती पर शत-शत नमन...। "

ट्वीट में लिखा " वर्ष 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में ब्रिटिश शासन के विरूद्ध क्रांति की अलख जलाकर अपना सर्वोच्च बलिदान करने वाली नारी शक्ति की सर्वश्रेष्ठ प्रतीक महान वीरंगना रानी लक्ष्मीबाई की जयंती पर शत शत नमन। "

जौनपुर से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार जिले के सरांवा गांव में स्थित शहीद लाल बहादुर गुप्त स्मारक पर हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी एवं लक्ष्मीबाई ब्रिगेड के कार्यकर्ताओं ने देश के प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन की महानायिका वीरांगना झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का 185 वां जन्मदिन मनाया । इस अवसर पर कार्यकर्ताओं ने शहीद स्मारक मोमबत्ती और अगरबत्ती जलाया और वीरांगना के चित्र पर माल्यार्पण कर उनके व्यक्तित्व व् कृतित्व को याद किया ।

शहीद स्मारक पर मौजूद लोगो को संबोधित करते हुए लक्ष्मी बाई ब्रिगेड की अध्यक्ष मंजीत कौर ने कहा कि देश की प्रथम आज़ादी की लड़ाई की महानायिका रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवम्बर 1835 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर के भदैनी ( अस्सी घाट ) मुहल्ले में हुआ था। उनकी शादी झांसी के राजा गंगाधर राव हुई थी। उस समय अंग्रेजो का शासन था , रानी लक्ष्मीबाई ने देश को आज़ाद करने के अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी ,और लड़ते-लड़ते 17 जून 1857 को मात्र 22 साल की उम्र में वे शहीद हो गई।

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने देश की आज़ादी की शुरुआत की थी और 90 साल बाद यानी 1947 में देश आज़ाद हो गया , आज भी लोग रानी लक्ष्मीबाई की गाथा गाते है कि बुंदेले हर बोले कि मुख हमने सुनी कहानी थी ' खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।

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