गरिमा को गलत ढंग से पेश करना पाक सरकार की सोच
इस्लामाबाद। पाकिस्तान हमारा पड़ोसी देश है और उसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का हमको कोई अधिकार नहीं है लेकिन अगर कोई मामला हमारे देश से जुड़ा है और हमारी गरिमा, परम्परा को गलत ढंग से पेश किया जा रहा है तो हमें बोलना पड़ेगा। पाकिस्तान की सूचना और संस्कृति मामलों की मंत्री फिरदौस आशिक अवान ने भले ही मजाक में यह कहा लेकिन भारत की गरिमा के खिलाफ है। भारत का अपने पड़ोसी देशों से सौहार्दपूर्ण संबंध रहता है लेकिन पाकिस्तान की मंत्री भारत की आलोचना और बुराई को अपने देश की जनता के लिए चूर्ण बताती हैं। वह कहती हैं कि भारत का विरोध करना ही हमारी रोजी-रोटी है। इससे पाकिस्तान की दूषित भावना का पता चलता है। साथ ही इससे यह भी जाहिर होता है कि पाकिस्तान दुनिया भर में यह राग अलापता रहता है कि हम तो भारत के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध रखना चाहते हैं लेकिन भारत की तरफ से कोई प्रयास ही नहीं किया जाता। अब पाकिस्तान की एक मंत्री ही बता रही है कि वे भारत के प्रति कैसी भावना रखती है। भारत के व्यवहार के बारे में अभी हाल ही में अफगानिस्तान के राष्ट्रपति ने शंघाई सहयोग संगठन के आयोजन में जिस तरह से भारत की तरफ से मिली मदद का उल्लेख किया है, उससे भारत का पड़ोसी देश से रिश्ता कैसा रहता है, इसका पता चलता है।
पाकिस्तान की इस प्रकार की नीयत के बारे में विश्व मंचों पर कई बार उसे बेनकाब भी किया जा चुका है। अभी पिछले दिनों शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पाकिस्तान को लेकर कहा था कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एससीओ के एजेण्डे में द्विपक्षीय मुद्दों को अनावश्यक रूप से उठाया जाता है। नरेंद्र मोदी ने यह बात तब कही जब पाकिस्तान के एनएसए ने पाकिस्तान का ऐसा नक्शा रखा जिसमें भारत की क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन किया गया है।
पाकिस्तान में नेताओं की राजनीति भारत विरोध पर टिकी हुई है। ये बात खुद इमरान खान सरकार की मंत्री ने कबूल की है। इमरान खान के करीबियों में शुमार फिरदौस आशिक अवान ने कहा कि पाकिस्तान में एंटी इंडिया सेंटीमेंट का चूरन सबसे ज्यादा बिकता है। भारत का विरोध करना ही हमारी रोजी-रोटी है। इसलिए सभी राजनेता इस मुद्दे को सबसे ज्यादा उछालते हैं। पाकिस्तानी पंजाब सूबे की सूचना और संस्कृति मामलों की स्पेशल असिस्टेंट फिरदौस आशिक अवान ने पाकिस्तानी मीडिया के साथ बातचीत में ये बातें कहीं। प्रोग्राम में एंकर ने उनसे पूछा कि हमने क्या गद्दारी, भारत, मोदी जैसे मुद्दों का हर जुमले में इस्तेमाल करना बहुत आम नहीं कर दिया है? इसके जवाब में फिरदौस आशिक अवान ने कहा, हमारे अवाम के जो एंटी इंडिया सेंटीमेंट्स हैं, वो चूरन सबसे ज्यादा बिकता है। जो सबसे ज्यादा बिकता हो लोग उसी को सबसे ज्यादा बेचते भी हैं। यह केवल सरकार ही नहीं, बल्कि सभी लोग कर रहे हैं। विपक्ष ने तो ऐसे-ऐसे मसाले बेचे हैं जो मोदी के लिए मजेदार और लजीज हैं। फिरदौस ने पीटीआई की सरकार से पहले इमरान खान के मूवमेंट फॉर चेंज अभियान में भी सक्रिय भागीदारी की थी। इसी दौरान इमरान खान ने इस्लामाबाद का करीब महीने भर घेराव किया था। वे पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की सरकार में भी केंद्रीय मंत्री रह चुकी हैं। अप्रैल 2019 में इमरान खान ने अपनी सरकार में उन्हें सूचना और प्रसारण मंत्रालय में स्पेशल असिस्टेंट का पद दिया था।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान खुद इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं। ऐसा एक भी दिन नहीं जाता, जब वो भारत के खिलाफ बयान न देते हों। संयुक्त राष्ट्र महासभा की 75वीं वर्षगांठ के दौरान भी वे अपने नापाक इरादों से बाज नहीं आए। कश्मीर मुद्दे पर हर बार मुंह की खाने के बाद भी इमरान खान नहीं सुधरे। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के मंच का कीमती समय भारत की बुराई करने में खत्म कर दिया। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, भारत की सेना पर कई झूठे आरोप भी लगाए। इमरान के विरोध में उस समय यूएनजीए के कॉन्फ्रेंस हॉल में मौजूद भारतीय राजनयिक ने वॉकआउट किया था।
इमरान ने अपने भाषण के दौरान कश्मीर का राग भी अलापा। उन्होंने कहा कि भारत ने कश्मीर पर अवैध तरीके से कब्जा किया हुआ है और वहां के लोगों के मानवाधिकार का हनन कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र को अपने रिज्योलूशन के तहत इसका हल निकालना चाहिए। उन्होंने अनुच्छेद 370 के खात्मे का जिक्र करते हुए कहा कि इससे कश्मीरी लोगों के अधिकारों को खत्म किया गया है।
उधर, गत 11 नवम्बर को कोरोना संकट के बीच शंघाई सहयोग संगठन के आयोजन में अफगानिस्तान के राष्ट्रपति ने भारत का आभार जताया था। एससीओ की वर्चुअल समिट में कोरोना काल में भारत की मदद के लिए अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने पूरी दुनिया के सामने भारत को शुक्रिया कहा थी।
एससीओ की बैठक के दौरान गनी ने बताया कि कोरोना काल के दौरान बाजार की अनिश्चितता के बीच भारत ने एक लाख टन गेंहू भेजा। वहीं हमारी मदद के लिए एयर कॉरिडोर भी खुला रखा। दरअसल महामारी के दौरान अफगानिस्तान को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से 75,000 मीट्रिक टन गेहूं की आपूर्ति की गई थी। अप्रैल से सितंबर के बीच 10 किस्तों में गेंहू की ये खेप भारत के सहयोग से ईरान में बने चाबहार पोर्ट के जरिए भेजी गई थी।
अफगानिस्तान में भारतीय मिशन ने एक बयान में कहा कि खाद्यान्न सहायता भारत के मानवीय और आर्थिक सहायता कार्यक्रम का हिस्सा है। बड़े पैमाने पर हुई ये आपूर्ति चाबहार पोर्ट की प्रासंगिकता और क्षेत्र की आर्थिक व्यवहार्यता को दिखाती है।
इससे पहले अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मोहम्मद हनीफ अतमर इस मानवीय मदद के लिए भारत का आभार जता चुके थे। अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय के साथ जारी किए गए बयान में कहा गया था कि महामारी के दौरान भारत ने मानवता की भलाई और हमारे नागरिकों की बुनियादी जरूरतों के लिए जो मदद की उसके लिए हम तहे दिल से आभारी हैं।
पाकिस्तान के पीएम इमरान खान और उनकी मंत्री को कम से कम अपने पड़ोसी देश अफगानिस्तान से ही सीख लेनी चाहिए जो भारत से मिली मदद का सार्वजनिक रूप से उल्लेख तो करता है। पाकिस्तान को भी भारत से इसी तरह की मदद मिल सकती है। (हिफी)