वह समझौता जिससे दहले चीन और पाक
नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के रिश्ते तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मधुरस से भर ही दिये हैं। अब वहां अगले महीने अर्थात् 3 नवम्बर को राष्ट्रपति के चुनाव होने जा रहे हैं। इससे पहले ही ट्रम्प के विदेश एवं रक्षामंत्री के साथ मोदी के विदेश एवं रक्षामंत्री ने इस तरह के समझौते किये हैं जिससे चीन और पाकिस्तान दहल गये हैं। दोनों देशों के बीच कारोबार, हिन्द व प्रशांत महासागरीय क्षेत्र की सुरक्षा और सामरिक व रणनीतिक सहयोग पर चर्चा हुई है। इस समझौता वार्ता को 2प्लस2 क नाम दिया गया। क्योंकि विदेश एवं रक्षा विभाग किसी भी देश में महत्व की दृष्टि से नम्बर दो का स्थान रखते हैं। दोनों देशों ने इस प्रकार इसे 2प्लस2 नाम दिया है। समझौते के बाद पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करके भारत के मिसाइल और सैन्य परीक्षणों पर सवाल खड़े किये। पाक का कहना है कि दक्षिण एशिया शांति और स्थिरता के लिए यह खतरा है। इसी प्रकार चीन ने भी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात के बाद कहा था कि अमेरिका भारत की ओर से अपनी अखंडता के लिए किये जाने वाले प्रयासों में उसके साथ खड़ा है। इसी के बाद चीन ने अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो से कहा वह बीजिंग एवं क्षेत्र के देशों के बीच कलह के बीज न बोएं।
भारत और अमेरिका के बीच 27 अक्टूबर को टूप्लसटू वार्ता के तहत मंत्री स्तरीय बैठक जिसमें बेसिक एक्सचेंज ऐंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट (बेका) समेत कई अहम रक्षा समझौते हुए। बता दें कि बेका समझौते के तहत दोनों देश एक-दूसरे को अत्याधुनिक सैन्य प्रौद्योगिकी, साजो-सामान और भू-स्थानिक मानचित्र साझा करेंगे। बैठक में भारत की तरफ से विदेश मंत्री एस. जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जबकि अमेरिका की तरफ से विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो और रक्षा मंत्री मार्क एस्पर इस बैठक में शामिल थे। इसके अलावा शीर्ष सैन्य और सुरक्षा अधिकारियों की मौजूदगी भी बैठक में रही। दोनों देशों ने कारोबारी, हिंद व प्रशांत महासागरीय क्षेत्र की सुरक्षा, सामरिक व रणनीतिक सहयोग पर चर्चा की। इस समझौते पर चीन के बाद भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करके भारत के मिसाइल और सैन्य परीक्षणों पर सवाल खड़े किए हैं। बयान में कहा गया है कि भारत को आधुनिक सैन्य साजो-सामान, तकनीक और ज्ञान मुहैया कराने के कारण दक्षिण एशिया में रणनीतिक स्थिरता के खतरे को पाकिस्तान लगातार आगाह करता रहा है। भारत का युद्धक सामग्री का लगातार इकट्ठा करना, परमाणु ताकतों को बढ़ाना, अस्थिर करने वाली नई हथियार प्रणालियों को विकसित करने जैसी चीजें दक्षिण एशिया की शांति और स्थायित्व के लिए गंभीर नतीजे लेकर आ सकती हैं। पाकिस्तान ने बयान जारी कर कहा है कि भारत द्वारा हाल ही में किए गए लगातार मिसाइल परीक्षण एक खतरनाक भारतीय पारंपरिक और परमाणु सैन्य निर्माण की अभिव्यक्ति हैं। इसने फिर से भारत के साथ उच्च तकनीक के सैन्य व्यापार को लेकर कई अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की चिंताओं की पुष्टि की है। जिसने न केवल अंतरराष्ट्रीय मानदंडों को मिटा दिया है, बल्कि दक्षिण एशिया में रणनीतिक स्थिरता को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। यह घटनाक्रम साफतौर पर इस तर्क को खारिज करते हैं कि अंतरराष्ट्रीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं में भारत के इस प्रसार पर रोक लगाई जाएगी।
बैठक के बाद अमेरिकी रक्षा मंत्री माइक एस्पर ने कहा, दोनों देशों के बीच रक्षा समझौते हमारे साझा मूल्यों और हितों पर आधारित हैं। सब के लिए खुला और स्वतंत्र इंडो-पैसिफिक क्षेत्र हो इसके लिए हम कंधे से कंधा मिलाकर साथ खड़े हैं। खासकर चीन की बढ़ती आक्रामकता और अस्थिर करने वाली गतिविधियों के मद्देनजर। मार्क एस्पर ने कहा कि दो दिनों की बैठक में रक्षा के क्षेत्र में क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने, रक्षा व्यापार को बढ़ाने और सेनाओं के बीच पारस्परिक सहयोग पर भी बातचीत हुई। बाद में अमेरिकी विदेश मंत्री ने भारत और अमेरिका के बीच स्वास्थ्य के क्षेत्र में हुई नई संधि का ऐलान किया, जिसमें उन्होंने चीन पर निशाना साधा। बैठक के बाद एक साझा बयान जारी किया गया जिसमें दोनों देशों ने एक-दूसरे के साथ सहयोग बढ़ाने का संकल्प लिया। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने कहा, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी लोकतंत्र, कानूनी नियमों, एक-दूसरे के बीच स्पष्टता और नौ-परिवहन की स्वतंत्रता (नैविगेशन की आजादी) को लेकर मित्रवत नहीं है जो कि मुक्त और खुले इंडो-पैसेफिक क्षेत्र का आधार है। इस बैठक से पहले माइक पॉम्पियो नेशनल वॉर मेमोरियल गए थे जिसकी तस्वीर के साथ एक ट्वीट को रीट्विट करते हुए उन्होंने लिखा कि हम उन वीर पुरुषों, महिलाओं को कभी नहीं भूलेंगे जिन्होंने दुनिया के सबसे बड़े लोकत्रंत की रक्षा में अपनी जान दी है। अमेरिकी मंत्रियों के भाषणों में गलवान का भी जिक्र हुआ जहां चीनी फौज के साथ झड़प में भारत के 20 सैनिकों की मौत हो गई थी लेकिन भारत के दोनों मंत्री- एस. जयशंकर और राजनाथ सिंह चीन का नाम लेने से बचते दिखे।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बेका को महत्वपूर्ण कड़ी बताते हुए कहा कि महत्वपूर्ण मुद्दों पर हमारे बीच बातचीत हुई। अमरीका के साथ हमारा सैन्य सहयोग बहुत बढ़िया तरीके से आगे बढ़ रहा है। हमने रक्षा उपकरणों के संयुक्त विकास के लिए परियोजनाओं को चिह्नित किया है। उन्होंने कहा, इंडो-पैसेफिक क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के प्रति हमने अपनी प्रतिबद्धता जताई। रक्षा मंत्री ने बताया कि दोनों देशों के बीच जो महत्वपूर्ण समझौते हुए हैं उनमें अमरीकी-भारतीय लाइजन ऑफिसर की नियुक्ति, कॉमसैट अकाउंट, दोनों देशों के बीच सैन्य अभ्यास को बढ़ाना शामिल है। अगले महीने दोनों देश मालाबार एक्सरसाइज में शामिल होंगे। यह एक्सरसाइज इंडो-पैसेफिक क्षेत्र में होने वाला संयुक्त सैन्य अभ्यास है जिसमें क्वाड, यानी क्वाडिलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग में शामिल चारों देश भाग लेंगे। ये चार देश हैं- भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया। इस दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इतना जरूर कहा, इस बैठक के दौरान हमारे पड़ोसी देशों में चल रही गतिविधियों पर भी बातचीत हुई। हमने यह स्पष्ट किया कि सीमा पार से आतंकवादी गतिविधियां बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है। चीन और पाकिस्तान को यह भी मिर्च की तरह कड़ुई लगी। (अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)