चीनी ऐप्स पर पाबंदी 'Digital Strike' बताया

चीनी ऐप्स पर पाबंदी Digital Strike बताया

मुंबई शिवसेना ने भारत सरकार द्वारा 59 चीनी ऐप पर प्रतिबंध लगाए जाने को गुरुवार को 'डिजिटल स्ट्राइक (हमला) करार दिया. साथ ही, यह सवाल भी किया कि यदि ये ऐप देश की सुरक्षा के लिए खतरा थे, तो इतने वर्षों तक देश में संचालित होने की इन्हें अनुमति कैसे मिली. शिवसेना के मुखपत्र सामना में लिखे गए एक संपादकीय में यह सवाल भी किया गया है, '' केंद्र सरकार को कब पता चला कि ये ऐप राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं। मराठी भाषा में प्रकाशित होने वाले शिवसेना के मुखपत्र में कहा गया है, ''चीनी ऐप को प्रतिबंधित कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के हितों की रक्षा की और उनके साहस की प्रशंसा करनी होगी। केंद्र ने सोमवार को टिकटॉक, यूसी ब्राउजर, शेयर इट और वी चैट जैसे 59 चीनी ऐप पर यह कहते हुए प्रतिबंध लगा दिया कि ये ऐप देश की अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा के लिए नुकसानदेह हैं।

शिवसेना ने कहा, 'अगर ये ऐप देश की सुरक्षा के लिए खतरा थे, तो फिर कैसे बगैर किसी बाधा के पिछले कई वर्षों से ये संचालित होते रहे. अगर विपक्ष यह कहता है कि सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा को नजरअंदाज किया है, तो केंद्र सरकार का इसपर क्या जवाब होगा ?

सामना में कहा गया राष्ट्रीय डेटा को देश से बाहर जाने की अनुमति देने के सबंध में सभी पूर्ववर्ती सरकारों से सवाल पूछा जाना चाहिए. सामना में कहा गया कि चीन ने भारत सरकार के इस फैसले (चीनी ऐप पर प्रतिबंध) पर नाखुशी जाहिर की है. इसमें कहा गया है, ''चीन के सैनिक अब भी 'गलवान घाटी (लद्दाख) से जाने को तैयार नहीं हैं।

शिवसेना ने कहा कि 20 सैनिकों के बलिदान के बाद जाकर सरकार को यह एहसास हुआ कि भारत के डेटा को गैरकानूनी तरीके से देश के बाहर ले जाया जा रहा है. शिवसेना ने कहा, 'सरकार ने 'डिजिटल स्ट्राइक से बदला लिया। शिवसेना ने कहा कि इससे पहले ऐसी कई शिकायतें आई थीं कि चीनी ऐप पर मौजूद उपयोगकर्ताओं के डेटा को गैरकानूनी तरीके से देश से बाहर भेजा जा रहा है और टिकटॉक जैसे ऐप ' अश्लीलताश् को बढ़ावा दे रहा है।

शिवसेना ने दावा किया, 'कई टिक-टॉक स्टार कथित तौर पर भाजपा में शामिल भी हुए थे. अब उनका क्या होगा? शिवसेना ने कहा, 'चीनी अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ने की जरूरत है और ये ऐप पर प्रतिबंध लगा कर नहीं होगा. असल मुद्दा दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश का है। सामना में कहा गया है, '' चीन का सबसे ज्यादा निवेश गुजरात में है. चीनी कंपनी हुवावेई ने भारत में 5 जी नेटवर्क शुरू करने का अनुबंध प्राप्त किया है. भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था की चाभी रखने वाली इस कंपनी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी जैसी है।

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