कश्मीर में आतंकी नर्सरी

कश्मीर में आतंकी नर्सरी

नई दिल्ली। ईरान की पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि पाक अधिकृत कश्मीर के निकट ही वहां की सरकार आतंकी नर्सरी बनाए हुए है। पाक अधिकृत कश्मीर के लोगों का भ्रम भी दूर हो जाना चाहिए कि पाकिस्तान का उसके प्रति प्रेम कितना छलावे से भरा है। सर्जिकल स्ट्राक चाहे भारत करे अथवा ईरान, उसका खामियाजा तो बलुचिस्तान के लोग ही भुगत रहे हैं। वहां के लोग अपने को स्वतंत्र करने के लिए आंदोलन चला रहे हैं।

ईरान ने भी पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक की है। ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड ने पाकिस्तान में घुसकर अपने 2 सैनिकों को रिहा करा लिया है। ये सैनिक 2018 में किडनैप किए गए 12 सैनिकों में शामिल थे। पाकिस्तान के भीतर खुफिया जानकारी के आधार पर इस ऑपरेशन को अंजाम दिया गया।

दक्षिण-पूर्व ईरान में ग्राउंड फोर्स की ओर से बयान जारी करते हुए कहा गया है कि, आतंकी संगठन जैश उल-अदल की ओर से करीब ढाई साल पहले बंधक बनाकर रखे गए बॉर्डर गार्ड्स के दो सैनिकों को बचाने के लिए 2फरवरी को एक सफल ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। इस ऑपरेशन में दोनों सैनिकों को पाकिस्तान में घुसकर सुरक्षित निकाल लिया गया है। फोर्स के मुताबिक दोनों सैनिकों को ईरान भेज दिया गया है। फोर्स की ओर से जानकारी दी गई है कि ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड ने इस सफल ऑपरेशन को अंजाम दिया है।

जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान के एक कट्टरपंथी वहाबी आतंकवादी संगठन जैश उल-अदल ने 16 अक्टूबर, 2018 को दोनों देशों की सीमा पर बलूचिस्तान प्रांत के मर्कवा शहर से ईरान के 12 गार्ड्स का अपहरण कर लिया था। इन सभी गार्ड्स का अपहरण कर उन्हें बलूचिस्तान प्रांत में रखा गया था। इसके बाद दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों की एक ज्वॉइंट कमिटी बनाई गई और 12 सैनिकों में से 5 सैनिकों को रिहा कर दिया गया। नवंबर 2018 में 5 सैनिकों को रिहा करने के बाद 21 मार्च 2019 को पाकिस्तानी सेना ने 4 और सैनिकों को मुक्त कराया था। जैश उल-अदल या जैश अल-अदल एक सलाफी जिहादी आतंकी संगठन है जो मुख्यतौर पर दक्षिणी-पूर्वी ईरान में सक्रिय है। ये आतंकी संगठन ईरान में कई सैन्य ठिकानों पर हमले भी कर चुका है।

यहां पर खास बात यह है कि पाकिस्तान ने आतंकवाद की नर्सरी अपने अधिकृत कश्मीर में लगा रखी है। इसी क्षेत्र पर चीन की नजर है। चीन कर्ज देकर घुसपैठ का अपना पुराना नुस्खा अपनाते हुए पाकिस्तान में बड़ी पैठ बना चुका है। ये भारत के लिए दोहरा झटका है क्योंकि दोनों ही देश भारत से खराब संबंध रखते हैं। इधर, पाक में निवेश के नाम पर इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ा रहे चीन को एक नई मुसीबत का सामना करना पड़ा रहा है, वो है बलूच विद्रोहियों की हिंसा। पाकिस्तान को आएदिन अपने ही हिस्से के लोगों का विद्रोह झेलना पड़ रहा है। यहां तक कि अब चीन का पाकिस्तान में खरबों डॉलर का निवेश खतरे में आ चुका है। इसका आखिरकार खामियाजा पाकिस्तान को ही भुगतना पड़ सकता है।

दरअसल हो ये रहा है कि दशकों से पाकिस्तान से अलग खुद को आजाद देश के तौर पर बनाए जाने की मांग कर रहे बलूच विद्रोहियों की मांग अब हिंसक हो चुकी है। हिंसा के लिए भी बलूच सीधे पाकिस्तानी सेना पर ही हमला नहीं कर रहे, बल्कि छांट-छांटकर उन हिस्सों पर हमला कर रहे हैं, जहां चीन का कोई बड़ा निवेश हुआ है और कोई सड़क या पुल तैयार हो रहा है।

बलूच निर्माण स्थल पर सामान पहुंचने में भी रुकावट डाल रहे हैं। साल 2020 में ऐसी कई घटनाएं हुईं और दिसंबर में पाकिस्तानी सेना को एक भीषण हमले में अपने 7 जवान गंवाने पड़े थे। कहना न होगा कि ये जवान चीन के इकनॉमिक कॉरिडोर की सुरक्षा में लगे थे। इस घटना के बाद चीन और पाकिस्तान की आंतरिक बातचीत भले ही सामने नहीं आई लेकिन पैसों को दांत से पकड़ते चीन के गुस्से के बारे में अनुमान लगाना खास मुश्किल नहीं। हमले के बाद एक बार फिर से चीन का बलूचिस्तान के ग्वादर पोर्ट और फ्री ट्रेड जोन में अरबों डॉलर का निवेश संकट में आ चुका है। पाक में चीन 60 अरब डॉलर से अधिक का निवेश कर चुका है और जो गुप्त ढंग से उसने पाक को भारी भरकम कर्ज दिए हैं, वो अलग हैं।

इसी लिए चीन बलूचिस्तान में आंदोलन को कुचलने का प्रयास करता है। एक चौकाने वाले रहस्योद्घाटन में पाकिस्तान सेना के एक जनरल ने पाकिस्तान में बलूच स्वतंत्रता आंदोलन को कुचलने में चीन की भूमिका को स्वीकारा है। उन्होंने कहा कि बीजिंग ने उसे बलूच लोगों के स्वतंत्रता संघर्ष को समाप्त करने के लिए छह महीने का काम दिया है। ईरान को पाकिस्तान का सबसे बड़ा दुश्मन बताते हुए पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल अयमान बिलाल ने कहा था कि पाकिस्तान की सेना ईरान के अंदर जाएगी और उनके खिलाफ कार्रवाई करेगी।

उन्होंने कहा, चीन ने मुझे वेतन और बड़ी राशि का भुगतान किया है और मुझे आधिकारिक तौर पर अपने क्षेत्रीय हितों के लिए और चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा के खिलाफ ईरान की साजिशों को विफल करने के लिए यहां पोस्ट किया है, क्योंकि यह क्षेत्रीय हितों में एक तरह का निवेश है। पिछले दिनों इस्लामाबाद द्वारा कई विकास परियोजनाओं के बावजूद बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे गरीब और सबसे कम आबादी वाला प्रांत बना हुआ है। विद्रोही समूहों ने दशकों से प्रांत में एक अलगाववादी विद्रोह को भड़काया है। उनकी शिकायत है कि इस्लामाबाद और पंजाब प्रांत में केंद्र सरकार उनके संसाधनों का गलत तरीके से शोषण करती है।

इस्लामाबाद ने 2005 में इस इलाकें में सैन्य अभियान शुरू किया था। और 2015 में, चीन ने पाकिस्तान में 46 बिलियन अमेरिकी डॉलर के आर्थिक परियोजना की घोषणा की, जिसमें से बलूचिस्तान एक अभिन्न अंग है। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के साथ, बीजिंग का उद्देश्य अमेरिका और भारतीय प्रभाव का मुकाबला करने के लिए पाकिस्तान और मध्य और दक्षिण एशिया में अपने प्रभाव का विस्तार करना है। यह मार्ग पाकिस्तान के दक्षिणी ग्वादर बंदरगाह (626 किलोमीटर, कराची से 389 मील पश्चिम) को अरब सागर में चीन के पश्चिमी शिनजियांग क्षेत्र से जोड़ता है। इसमें चीन और मध्य पूर्व के बीच संपर्क को बेहतर बनाने के लिए सड़क, रेल और तेल पाइपलाइन लिंक बनाने की योजना भी शामिल है। बलूच अलगाववादी, आतंकवादी और राजनीतिक समूह, दोनों प्रांत में चीन की बढ़ती भागीदारी का विरोध करते हैं। पाकिस्तान में बलूच अलगाववादियों द्वारा किए गए घातक हमलों में एक उछाल ने चीन के महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट्स के जोखिम और लागत को बढ़ा दिया है।

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