अपराधियों में पैदा होगा भय!
लखनऊ। समाज में पुरस्कार और दण्ड की व्यवस्था इसीलिए की गयी है कि लोग अच्छे कार्य करने की प्रेरणा प्राप्त करें और समाज के लिए अहितकर कार्य करने से भयभीत हों। बच्चे स्कूल में पढ़ने-लिखने में अच्छे होते हैं तो उन्हें गुरुजी की तारीफ मिलती है लेकिन जब कोई बच्चा होमवर्क करके नहीं लाता तो उसे प्रताड़ना भी मिलती है। यही सिद्धांत बड़े लोगों पर भी लागू होता है। उन्हें असामाजिक कार्य करने पर ऐसा दण्ड दिया जाता है ताकि दूसरे भी उससे शिक्षा लें।
उत्तर प्रदेश के ही हाथरस में सासनी इलाके में छोड़छाड़ की पुरानी रंजिश में आरोपियों ने लड़की के पिता को सरेआम गोलियों से भून डाला। मुख्यमंत्री योगी ने आरोपियों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लगाने के निर्देश दिये हैं। इस प्रकार की कड़ाई आवश्यक भी है क्योंकि अपराधियों में जब तक कानून के प्रति भय नहीं होगा, तब तक समाज में लोग शांति से नहीं रह पायेंगे। योगी आदित्यनाथ ने तो प्रदेश में राम राज्य का आश्वासन दिया है। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण (संशोधन) विधेयक 2021 गत 2 मार्च 2021 को पारित कराया गया है। यह कानून अपराधियों में भय पैदा करेगा।
प्रदेश की योगी सरकार ने विधानसभा से उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण (संशोधन) विधेयक 2021 को पारित करा दिया है। इसके तहत अब लखनऊ और गौतमबुद्धनगर में डीसीपी स्तर का अधिकारी गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई कर सकेगा। पहले ये अधिकार पुलिस कमिश्नर के पास था। विधेयक में मानव तस्करी, मनी लॉन्ड्रिंग, गोहत्या, बंधुआ मजदूरी और पशु तस्करी पर कड़ाई से रोक लगाने का प्रावधान है। इसके अलावा जाली नोट, नकली दवाओं का व्यापार, अवैध हथियारों का निर्माण और व्यापार, अवैध खनन जैसे अपराधों पर गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई का प्रावधान है। गुंडा एक्ट में पकड़े गए अपराधियों की आसानी से जमानत नहीं हो पाएगी। इसके अलावा अपराधियों की संपत्ति भी जब्त की जाएगी। नए प्रावधान के तहत पुलिस अपराधियों को 14 दिन के बजाय अधिकतम 60 दिन के लिए बंद कर सकती है।
हालांकि नेता प्रतिपक्ष राम गोविन्द चौधरी ने इस विधेयक का विरोध करते हुए इसे प्रवर समिति के पास भेजने की मांग की, जिसे अस्वीकार कर दिया गया। राम गोविंद चौधरी ने कहा कि इस विधेयक के पास होने से पुलिस की मनमानी बढ़ेगी और न्याय नहीं हो सकेगा। उन्होंने कहा कि पहले थाने की पुलिस गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई करती थी, जिसकी निगरानी डीएम के पास होती थी। लेकिन अब पुलिस ही गुंडा एक्ट की कार्रवाई करेगी और पुलिस कमिश्नर ही इसकी जांच करेगा। ऐसे में न्याय कहां होगा? गुंडा एक्ट संशोधन विधेयक के अलावा योगी सरकार ने एक और महत्वपूर्ण विधेयक पास करवाया।
अब धरना प्रदर्शन के दौरान सरकारी और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वाले उपद्रवियों से जुर्माना वसूलने का रास्ता साफ कर दिया गया है। विधानसभा में उत्तर प्रदेश लोक एवं निजी संपत्ति विरूपण निवारण विधेयक-2021 पास हो गया। हालांकि मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने विधेयक को प्रवर समिति को भेजने की मांग की थी। धरना प्रदर्शन के दौरान उग्र प्रदर्शन में सम्पत्तियों को नुकसान पहुंचाने की पुष्टि होने पर 5000 से एक लाख रुपये तक जुर्माना भरना पड़ेगा।
संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि सरकार की मंशा सरकारी और निजी संपत्तियों की रक्षा करना है। इसीलिए यह विधेयक लाया गया है। अधिसूचना जारी होने के बाद प्रदेश में राजनीतिक जुलूसों, प्रदर्शन, हड़ताल, कामबंदी और आंदोलन के दौरान सरकारी और निजी संपत्ति को क्षति पहुंचाना भारी पड़ेगा। केंद्र, राज्य सरकार, स्थानीय प्राधिकरण, स्थानीय निकाय, निगम, राज्य अधिनियम द्वारा स्थापित संस्थाओं को नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकेगा।
गौरतलब है कि दिसंबर 2019 में नागरिक संशोधन कानून के विरोध में लखनऊ समेत प्रदेश के कई जिलों में हिंसक प्रदर्शन हुआ था। जिसमें करोड़ों की सरकारी और सार्वजानिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया था। जिसके बाद योगी सरकार ने अध्यादेश लाकर नुकसान की भरपाई का प्रावधान किया था। अब इस विधेयक को सदन से पारित कराया गया है। सदन में नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी विधेयक को प्रवर समिति को भेजे जाने संबंधी प्रस्ताव पर कहा कि इसके बहाने सरकार आंदोलन पर रोक लगाना चाहती है। बसपा के लालजी वर्मा ने कहा कि सरकार विधेयक बहुत तेजी से लाती है और बहुत तेजी से वापस भी लेती है। इसी प्रकार कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि यह बहुत ही शर्मनाक है कि पूरे देश में महिलाओं के साथ हो रहे अपराधों वाली सूची के राज्यों में उत्तर प्रदेश सबसे ऊपर है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस बारे में कुछ करना चाहिये। प्रियंका अपनी मां सोनिया गांधी के लोकसभा क्षेत्र रायबरेली में नवनियुक्त पार्टी पदाधिकारियों की तीन दिवसीय कार्यशाला में शामिल होने पहुंची थीं।
कांग्रेस महासचिव ने पत्रकारों से संक्षिप्त बातचीत में उत्तर प्रदेश में खराब कानून व्यवस्था की बात कही। उन्होंने कहा, ''पूरे देश में महिलाओं पर सर्वाधिक अपराध उत्तर प्रदेश में हो रहे हैं। एक साल में 56,000 से ज्यादा और इसमें वो घटनाएं शामिल भी नहीं है, जिनकी रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई। क्या ये आँकड़ा इतना भी गंभीर नहीं कि मुख्यमंत्री जी इसका संज्ञान लेते?
प्रियंका गांधी के इस ट्वीट के जवाब में प्रदेश सरकार के मंत्री और प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ सिंह ने एक बयान में कहा कि विपक्ष एनसीआरबी 2017 के अपराध आंकड़ों को जनता के बीच तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहा है। उन्होंने कहा कि विपक्ष, विशेष तौर पर प्रियंका गांधी वाड्रा बिना समुचित अध्ययन किये राजनैतिक रोटियां सेंकने का प्रयास कर रही हैं। सिंह ने कहा कि एनसीआरबी के आंकड़ों को समझने के लिये जनसंख्या के आधार पर अनुपात निकाला जाना चाहिए। सिंह ने कहा कि जिन प्रदेशों कि जनसंख्या अधिक है वहां पर अपराध भी अधिक घटित व पंजीकृत होते हैं। राज्य सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि इस प्रकार क्राइम रेट ही अपराधों की सही स्थिति समझने के लिए वास्तविक संकेतक है। अपराध दर प्रदेश की प्रति लाख जनसंख्या के आधार पर निकाली जाती है। उन्होंने कहा कि योगी सरकार में महिलाओं की स्थिति काफी सुदृढ़ हुई है। वर्तमान समय में प्रदेश की महिलाएं स्वयं को पूर्व की अपेक्षा अधिक सुरक्षित महसूस कर रही है।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक देश भर में वर्ष 2017 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 3,59,849 मामले दर्ज किए गए। महिलाओं के खिलाफ अपराधों में लगातार तीसरे साल वृद्धि हुयी है। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, अधिकतम मामले उत्तर प्रदेश (56,011) में दर्ज किए गए। उसके बाद महाराष्ट्र में 31,979 मामले दर्ज किए गए। (हिफी)