भारत के हिमायती है US के बिडेन
वाशिंगटन। अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति जो बिडेन 1970 के दशक के दौर से ही भारत-अमेरिका के बीच मजबूत संबंधों के हिमायती रहे हैं। साल 2008 में दोनों देशों के बीच असैन्य परमाणु समझौते के लिए सीनेट की मंजूरी दिलवाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी तथा आतंकवाद निरोधी कई विधेयकों का उन्होंने समर्थन भी किया। वर्ष 2001 में जो बिडेन सीनेट की विदेशी संबंध समिति के अध्यक्ष थे और उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश को पत्र लिखकर भारत पर लगे प्रतिबंधों को हटाने की मांग की थी। असैन्य परमाणु समझौते को अमलीजामा पहनाने के लिए जब दोनों देशों के बीच गहन बातचीत चल रही थी तब जो बिडेन सीनेट में भारत के एक महत्वपूर्ण सहयोगी के तौर पर मौजूद थे। वह समझौता दोनों मजबूत लोकतंत्रों के बीच संबंधों को और गहरा करने के लिए एक नींव साबित हुआ। इस प्रकार हम देखते हैं कि अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बिडेन भारत के बारे में सकारात्मक विचार रखते रहे हैं। अब वह राष्ट्रपति बन गये तो दोनों देशों के संबंध और मजबूत होंगे। भारत जब अपना 74वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा था, तब अमेरिका के एक डेमोक्रेट नेता ने कहा था कि मैंने सीनेटर और अमेरिका के उपराष्ट्रपति के तौर पर भारत के साथ काम किया है और मेरा ये अनुभव है कि अगर अमेरिका और भारत गहरे दोस्त बन जाएं तो पूरी दुनिया सुरक्षित हो जाएगी। अब वह अवसर आ गया है। उनका साथ देने के लिए उपराष्ट्रपति कमला हैरिस भी हैं। भारतीय मूल की कमला हैरिस पहले से ही भारत के प्रति सहानुभूति प्रदर्शित करती रही हैं।
सामरिक मामलों के जाने मानें विशेषज्ञ पी.एस. राघवन ने कहते हैं, राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में जो बिडेन उपराष्ट्रपति थे और संबंधों को विकसित करने की प्रक्रिया का अहम हिस्सा थे। हिंद-प्रशांत साझेदारी ओबामा के कार्यकाल में शुरू हुई थी। इनको बढावा मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 7 नवम्बर रात को अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता जो बिडेन को बधाई दी। उन्होंने अमेरिकी उपराष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान भारत-अमेरिकी संबंधों को और मजबूती प्रदान करने में उनके योगदान का भी जिक्र किया है। मोदी ने कहा जो बिडेन, शानदार जीत के लिए आपको बधाई। बतौर उपराष्ट्रपति, भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत करने में आपका योगदान महत्वपूर्ण और अमूल्य था। मैं भारत-अमेरिका संबंधों को और अधिक ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए एक बार फिर साथ मिलकर काम करने के लिए उत्सुक हूं। जो बिडेन बतौर उपराष्ट्रपति जुलाई 2013 में चार दिवसीय दौरे पर भारत आए थे, तब उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, तत्कालीन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी से मुलाकात की थी और दिल्ली में गांधी स्मृति संग्रहालय भी गए थे। वह मुंबई भी गए थे जहां पर उन्होंने कारोबारी अगुवाओं से मुलाकात की थी और बंबई स्टॉक एक्सचेंज में नीति पर भाषण दिया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सितंबर 2014 में जब अमेरिका दौरे पर गए थे तब तत्कालीन उपराष्ट्रपति जो बिडेन ने उनके लिए भोज की मेजबानी की थी। बराक ओबामा के कार्यकाल में भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक और रक्षा संबंधों में प्रमुख विस्तार हुआ और उसमें जो बिडेन ने अहम भूमिका निभाई थी। ओबामा प्रशासन ने ही 2016 में भारत को अमेरिका का 'प्रमुख रक्षा साझेदार' का दर्जा दिया था। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के स्थायी सदस्यता के दावे का भी ओबामा प्रशासन ने समर्थन किया था। अपने प्रचार दस्तावेजों में जो बिडेन ने अमेरिका और भारत की साझेदारी को लेकर अपने दृष्टिकोण को पेश किया है तथा क्षेत्र में खतरों का सामना करने में भारत का साथ देने की बात कही है। ओबामा की सरकार के दौरान अमेरिका और भारत के संबंधों में काफी विकास हुआ है और इसमें अमेरिका में मौजूद 40 लाख भारतीय-अमेरिकी लोगों की विशेष भूमिका रही है। अमेरिका भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है। अमेरिका में रहने वाले भारतीयों ने भी जो बिडेन के प्रति विश्वास जताया है। न्यू जर्सी में 14 इलेक्टोरल वोट्स हैं। यहां 1 लाख से ज्यादा गुजराती वोटर्स हैं। जो बिडेन को न्यू जर्सी से जीत हासिल हुई है।
अमेरिका में रह रहे भारतीयों को विश्वास है कि निर्वाचित राष्ट्रपति जो बिडेन पांच लाख भारतीयों समेत लगभग 1 करोड़ 10 लाख ऐसे आप्रवासियों को अमेरिकी नागरिकता प्रदान करने का रोडमैप तैयार करेंगे, जिनके पास दस्तावेज नहीं हैं। इसके अलावा वह सालाना न्यूनतम 95,000 शरणार्थियों को अमेरिका में प्रवेश दिलाने की प्रणाली भी बनाएंगे। जो बिडेन के अभियान द्वारा जारी एक नीतिगत दस्तावेज में यह जानकारी दी गई है। दस्तावेज में कहा गया है, वह (जो बिडेन) जल्द ही कांग्रेस में एक आव्रजन सुधार कानून पारित कराने पर काम शुरू करेंगे, जिसके जरिए हमारी प्रणाली को आधुनिक बनाया जाएगा। इसके तहत 5 लाख से अधिक भारतीयों समेत लगभग एक करोड़ 10 लाख ऐसे आप्रवासियों को अमेरिका की नागरिकता प्रदान करने का रोडमैप तैयार किया जाएगा, जिनके पास दस्तावेज नहीं हैं। दस्तावेज के अनुसार वह अमेरिका में सालाना 1,25,000 शरणार्थियों को प्रवेश देने का लक्ष्य निर्धारित करेंगे। इसके अलावा वह सालाना न्यूनतम 95,000 शरणार्थियों को देश में प्रवेश दिलाने के लिए कांग्रेस के साथ काम करेंगे। जो बिडेन से पहले चार सालों तक अमेरिका के राष्ट्रपति रहे डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी फस्र्ट का नारा देते हुए प्रवासियों को नागरिकता देने के नियमों को कठोर कर दिया था। राष्ट्रपति चुनाव के दौरान जो बिडेन प्रचार अभियान द्वारा जारी एक नीति पत्र में यह भी कहा गया है कि अमेरिका के राष्ट्रपति निर्वाचित होने पर जो बिडेन का प्रशासन भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य बनवाने में मदद करने, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोग जारी रखने जैसे कदमों के साथ भारत और अमेरिका के बीच संबंधों को मजबूत करने को उच्च प्राथमिकता देगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बिडेन ने 7 नवम्बर को रिपब्लिकन पार्टी के अपने प्रतिद्वंद्वी डोनाल्ड ट्रंप को कड़े मुकाबले में हरा दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद जो बिडेन के पास अमेरिका और भारत के बीच संबंधों को मजबूत करने के उनके 14 साल पुराने सपने को पूरा करने का एक मौका भी है। इसे पुराना सपना इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि जो बिडेन ने दिसंबर 2006 में एक समाचार पत्र से बातचीत में कहा था मेरा ख्वाब है कि 2020 में दुनिया के दो सबसे करीबी मुल्क भारत और अमेरिका हों। अगर ऐसा होता है तो दुनिया पहले से अधिक सुरक्षित होगी। जो बिडेन प्रचार अभियान द्वारा जारी एक नीति पत्र में यही बात दोहराई गई थी और बताया गया कि वह इसे कैसे अमल में लाएंगे।
जो बिडेन के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने की खबरों के साथ ही कमला हैरिस के अमेरिकी उपराष्ट्रपति चुने जाने की सुर्खियां भारत के साथ ही एशिया के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं। हैरिस पहली अफ्रीकी अमेरिकी महिला, पहली दक्षिण एशियाई अमेरिकी और पहली भारतीय मूल की महिला हैं, जो इस मुकाम तक पहुंची हैं। चुनाव से पहले ही विशेषज्ञों और एक्टिविस्टों ने अनुमान लगाया था, ठीक उसी तरह हैरिस को चुनाव में अश्वेत अल्पसंख्यकों के वोट अच्छी तादाद में मिले हैं। अपने चुनाव प्रचार के दौरान अश्वेत नेताओं और वोटरों को प्रभावित करने में हैरिस ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी। अश्वेत आबादी के लिए ऐतिहासिक तौर पर पहचाने गए कॉलेजों और यूनिवर्सिटियों से लेकर महिलाओं के अल्फा कप्पा जैसे संगठनों के साथ हैरिस ने ठीक ढंग से तालमेल बिठाया। इसीलिए समझा जा रहा है कि हैरिस की जीत ऐतिहासिक है। जो बिडेन और हैरिस की जोड़ी भारत के साथ राजनयिक और सामरिक संबंधों में और बेहतरी लाएगी। (हिफी)