यूपी में नेपाल सीमा पर बनेगी 599 किमी सड़क, केंद्रीय गृह विभाग को भेजा प्रस्ताव
लखनऊ। नेपाल के साथ हालिया तनाव के बाद इंडो-नेपाल बॉर्डर रोड प्रोजेक्ट में तेजी लाने का निर्णय लिया गया है। इसके तहत यूपी में इस अंतरराष्ट्रीय सीमा पर 599 किलोमीटर लंबी सड़क बनाई जाएगी। पीडब्ल्यूडी व सीमा सुरक्षा बल ने सड़क के सीमांकन को अंतिम रूप दे दिया है और इस प्रस्ताव को केंद्रीय गृह मंत्रालय की मंजूरी के लिए भेजा गया है।
चीन के साथ नेपाल की बढ़ रही नजदीकियों के चलते भारत-नेपाल सीमा पर चैकसी बढ़ाना बेहद जरूरी हो गया है। यूपी के 7 जिलों पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, महराजगंज और सिद्धार्थनगर की सीमाएं नेपाल से मिलती हैं। इन जिलों में सीमा पर सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) की पोस्टें हैं, पर इन को आपस में जोड़ने के लिए सड़क नहीं है।
इसके चलते सुरक्षा बलों को गश्त में काफी दिक्कतें आ रही हैं। सीमा पर निगरानी में मुश्किलें आती हैं। हालांकि, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2010 में ही भारत-नेपाल सीमा पर सड़क बनाने का निर्णय ले लिया था, लेकिन तमाम तरह की पर्यावरणीय व अन्य कानूनी अड़चनों के कारण यह प्रोजेक्ट अटकता ही गया।
अब योगी सरकार व केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस प्रोजेक्ट को जल्द पूरा करने के निर्देश दिए हैं। इसके तहत हाल ही में एसएसबी और पीडब्ल्यूडी की टीम ने सर्वे किया था। तय हुआ कि रोड बनाई जाए और कम से कम पेड़ काटने पड़े। जिस रूट पर यह सड़क प्रस्तावित है, सिद्धार्थनगर के अलावा सभी जिलों में वहां वन क्षेत्र है। इसलिए इस प्रस्ताव पर अमल तभी संभव होगा, जब केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से भी हरी झंडी मिल जाए।
पीडब्ल्यूडी व एसएसबी के सर्वे के बाद तैयार सीमांकन प्रस्ताव के मुताबिक, इस सड़क की कुल लंबाई 599 किलोमीटर और चैड़ाई 7 मीटर होगी। राज्य सरकार ने भी पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों को कहा है कि प्रस्तावित सड़क का वो हिस्सा जहां वन क्षेत्र नहीं है, वहां जमीन अधिग्रहण की कार्यवाही में तेजी लाई जाए। इसके लिए जरूरी बजट भी दे दिया गया है। पीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता पीके सिंघल ने बताया कि नए सीमांकन के आधार पर प्रस्ताव गृह मंत्रालय को भेज दिया गया है। जैसे ही केंद्र से इस सीमांकन को हरी झंडी मिलेगी, आगे की कार्यवाही तीव्र गति से प्रारंभ कर दी जाएगी।
(हिफी न्यूज)