देश की रक्षा के लिए सीमा पर शहीद होते रहे है मुज़फ्फरनगर के लाल

देश की रक्षा के लिए सीमा पर शहीद होते रहे है मुज़फ्फरनगर के लाल

मुजफ्फरनगर। आज़ादी से पहले और बाद में मुज़फ्फरनगर के जवानो ने देश की रक्षा के लिए हमेशा जान की बाजी लगाकर रखी है । एक महीने में ही तीन जवानो की शाहदत से ज़िले के लोग खुद को गौरवशाली मान रहे है । आज भी जिस शहीद प्रशांत शर्मा का अंतिम संस्कार हुआ है, उसके बहादुर पिता ने कहा है कि वो अब अपने दुसरे बेटे को देश की रक्षा के लिए बॉर्डर पर जरूर भेजेंगे। इससे पहले भी 1999 में जब देश अपने पडोसी पाकिस्तान से कारगिल में लड़ाई लड़कर जीता था, उसमें भी मुज़फ्फरनगर के सैनिकों ने अपनी जान कुर्बान कर बता दिया था कि इस जनपद की मिटटी हमेशा देश की रक्षा में जान देने से भी पीछे नहीं हटती है ।



शहर कोतवाली के बुढ़ाना मोड़ के रहने वाले जवान प्रशांत कुमार 28 अगस्त 2020 की देर रात जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हो गए । 23 साल के प्रशांत शर्मा के शहादत की खबर मिलने पर उनके परिवार और शहर में शोक की लहर दौड़ गई। वर्ष 2015 में स्पोर्ट्स कोटे से जांबाज शहीद जवान प्रशांत शर्मा सेना में भर्ती हुए थे। प्रशांत कुमार राष्ट्रीय राइफल की 50 बटालियन में सिपाही के तौर पर तैनात थे और इस समय पोस्टिंग जम्मू कश्मीर के पुलवामा सेक्टर पर चल रही थी। बीते शुक्रवार को पुलवामा में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान एनकाउंटर में प्रशांत शर्मा शहीद हो गए। इन एनकाउंटर में 3 आतंकवादी भी ढेर हुए थे । शहीद प्रशांत शर्मा की 6 दिसंबर को शादी होनी थी, जिसके लिए परिवार में तैयारियां चल रही थीं। उनकी शहादत की खबर सुनकर मुजफ्फरनगर के सांसद एंव केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ संजीव बालियान और उ.प्र. सरकार में राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार कपिल देव अग्रवाल भी शहीद जवान के घर उनके परिवार को सांत्वना देने तुरंत पहुंच गए थे। आज शहीद जवान प्रशांत शर्मा के अन्तिम संस्कार में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रतिनिधि के तौर पर गन्ना मंत्री सुरेश राणा भी पंहुचे और उनके पार्थिव शरीर को कंधा दिया ।




मोहित बालियान राजौरी पुंछ में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान शहीद

21 अगस्त 2020 मुजफ्फरनगर के भोराकला थाना क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम गढ़ी नोआबाद में उस वक्त शोक की लहर दौड़ गई जब ग्रामीणों को पता चला की उनके गांव का लाल जम्मू कश्मीर के राजौरी पुंछ में आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गया। जम्मू कश्मीर स्थित चाइना बोर्डर हेड क्वार्टर से फोन आने पर परिजनों को जानकारी दी गई, इसके बाद से परिजनों सहित पूरे गांव व क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई । मुजफ्फरनगर के ग्राम गढी नौआबाद का निवासी मोहित बालियान पुत्र तारा सिंह वर्ष 2015 में सेना में भर्ती हुआ था वर्तमान में उनकी पोस्टिंग पुंछ राजौरी सेक्टर में थी।



शहीद हुए लेफ्टिनेंट आकाश तोमर

मुजफ्फरनगर जिले का एक और लाल 21 अगस्त 2020 को ही असम में शहीद हो गया था। शहीद हुए लेफ्टिनेंट आकाश तोमर ने पेट्रोलिंग के दौरान शहादत पाई थी। मूल रूप से मुजफ्फरनगर के भौराकलां थाना क्षेत्र के गांव अलावलपुर माजरा के रहने वाले आकाश की शहादत से गांव मे शोक का माहौल था। लेफ्टिनेंट आकाश तोमर पूर्व राज्यमंत्री चौधरी योगराज सिंह के भतीजे थे। कुछ दिन पहले ही आकाश चौधरी सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर चयनित हुए थे। आकाश चैधरी के पिता कंवरपाल मेरठ में रह रहे थे। आकाश तोमर परिवार में अकेले लडके थे।


कारगिल युद्व में भी देश के लिए कुर्बान हुए थे मुजफ्फरनगर के वीर जवान

सन 1999 में पकिस्तान के खिलाफ कारगिल युद्व हुआ था। इस लडाई में मुजफ्फरनगर के जवानो ने भी शहादत दी थी। कौन कौन थे यह जवान आईये जाते है .........

बेलड़ा गांव के अमरेश पाल

मुज़फ्फरनगर के भोपा थाना इलाके के बेलड़ा गांव निवासी अमरेश पाल ने 28 जून 1999 को कारगिल की पहाड़ियों पर दुश्मनों से लड़ते हुए वीरगति पाई थी। अमरेश पाल के शहीद होने के बाद पूरा परिवार मुजफ्फरनगर में रहने लगा है । शहीद अमरेश पाल के दो बच्चे हैं। बड़ा बेटा बंटी बीएससी और बेटी ज्योति ने 12 वीं क्लास पास की है। गौरतलब है कि शहीद अमरेश पाल जिस दिन ड्यूटी पर लौट रहा था, उसी दिन बेटी ज्योति का जन्म हुआ। शहीद अमरेश पाल की पत्नी उमाकांता जानसठ स्थित गैस एजेंसी का कार्य देखती हैं।

पचेंडा कलां निवासी लांसनायक बचन सिंह ने कारगिल युद्ध में दी थी प्राणों की आहुति

मुज़फ्फरनगर के थाना नई मंडी इलाके के गाँव पचेंडा कलां निवासी लांसनायक बचन सिंह ने 12 जून 1999 को कारगिल युद्ध में बेटले ऑफ तोलोलिंग चोटी पर देश की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति दी थी। बाद में शहीद की पत्नी कामेशबाला ने बेटे हितेश को लेफ्टिनेंट बनाकर कारगिल शहीद पति को श्रद्धांजलि दी। लेफ्टिनेंट बना बेटा हितेश उसी राजपूताना रायफल्स में कमांडिंग अफसर बने हैं, जिस बटालियन में उनके पिता लांसनायक थे।

दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहीद हुए फुलत के सतीश कुमार

कारगिल युद्ध में दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहीद हुए रतनपुरी इलाके के गाँव फुलत के सतीश कुमार 26 जुलाई 1999 में देश की रक्षा करते हुए कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे । सतीश कुमार 238 इंजीनियर रेजीमेंट में थे । शहीद की पत्नी बिमलेश फिलहाल मेरठ के कंकरखेड़ा में रामनगर में अपने दो बेटी रुपाली व झलक और पुत्र अतुल के साथ रहती हैं।

विज्ञाना गांव के किसान अब्दुल खालिक का बेटा रिजवान त्यागी ने भी दी थी शाहदत

बुढ़ाना में विज्ञाना गांव के किसान अब्दुल खालिक का बेटा रिजवान त्यागी वर्ष 1990 में देश की सेवा करने के लिए सेना में भर्ती हुआ था। रिजवान त्यागी की माता नूरजहां ने अपने लाल को खुशी- खुशी देश की सेवा के लिए भेज दिया था। रिजवान त्यागी के माता पिता ने उसकी शादी शबनम बानो के साथ कर दी थी। बेटी के रूप में रिजवान त्यागी के घर में हिना रिजवान आ गई। रिजवान त्यागी की पोस्टिंग कारगिल क्षेत्र के खालूबार शिखर हुई थी। दुश्मन के साथ लोहा लेते हुए 3 जुलाई 1999 को ऑपरेशन विजय के दौरान दुश्मन के छक्के छुड़ाता हुआ रिजवान शहीद हो गया था। मी हमेशा खलती रहेगी।

इटावा निवासी ताल सिंह का बेटा नरेंद्र राठी ने भी देश के लिए कुर्बानी

बुढ़ाना में गांव इटावा निवासी ताल सिंह का बेटा नरेंद्र राठी देश की सेवा करने के लिए वर्ष 1987 में मेरठ में भर्ती हुआ था। नरेंद्र राठी की माता चंदन कौर ने अपने बेटे को खुशी-खुशी देश की सेवा के लिए भेजा था। इसी दौरान नरेंद्र राठी की शादी अनिता के साथ हो गई। अप्रैल 1999 में एक माह की छुट्टी घर पर काटने के बाद नरेंद्र राठी की पोस्टिंग कारगिल की पहाड़ियों पर हो गई। ऑपरेशन विजय के दौरान दुश्मन के साथ लोहा लेता हुआ नरेंद्र राठी शहीद हो गए थे ।

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