अमेरिकन भारतीयों को रिझाने के लिए बाइडेन की पैंतरेबाजी
नई दिल्ली। संयुक्त राज्य अमेरिका में 3 नवंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में अमेरिकन भारतीय अर्थात अमेरिकन हिन्दू महत्वपूर्ण भूमिका में परिलक्षित हो रहे हैं। डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बाइडेन ने अमेरिकन भारतीयों को रिझाने के लिए भावनात्मक अपील की है।
बाइडेन ने भारत के स्वतंत्रता दिवस पर भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए कहा, 15 साल पहले मैं भारत के साथ ऐतिहासिक परमाणु समझौते को स्वीकृति दिलाने के लिए जारी प्रयासों का नेतृत्व कर रहा था। मैंने उस समय कहा था कि अगर भारत और अमेरिका नजदीकी मित्र और भागीदार बन गए तो यह दुनिया एक सुरक्षित स्थान बन जाएगी। यदि मैं राष्ट्रपति बनता हूं तो मैं आगे भी इसमें विश्वास जारी रखूंगा। साथ ही इलाके में भारत पर उसी के इलाके और सीमा पर आने वाले खतरों के समय खड़ा रहूंगा। वह दोनों देशों के बीच दोतरफा व्यापार के विस्तार पर काम करेंगे और जलवायु परिवर्तन तथा वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा जैसे मुद्दों का मिलकर सामना करेंगे। 77 वर्षीय जो बाइडेन वर्तमान राष्ट्रपति और रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप को चुनौती दे रहे हैं। उन्होंने एच1बी वीजा के खिलाफ ऐक्शन लेने के लिए ट्रंप की आलोचना करते हुए वादा किया कि वह राष्ट्रपति बने तो भारतीय समुदाय पर भरोसा करते रहेंगे।
डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रचार अभियान ने भारतीय-अमेरिकी समुदाय के लिए जो बाइडेन का एजेंडा जारी किया। यह नीतिपत्र भारतीयों और 40 लाख भारतीय-अमेरिकियों द्वारा भारत का 74 वां स्वतंत्रता दिवस मनाए जाने के अवसर पर आया है। ध्यान रहे जून में अमेरिका के राष्ट्रपति पद के चुनावों में डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार और पूर्व उपराष्ट्रपति जो बाइडेन प्रचार अभियान की वेबसाइट पोस्ट किए गए 'जो बाइडेन के मुस्लिम अमेरिकी समुदाय के लिए एजेंडा' यानी नीति पत्र के अनुसार बाइडेन चाहते हैं कि भारत सभी कश्मीरियों के अधिकारों को बहाल करने के लिए आवश्यक कदम उठाए। उन्होंने असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी लागू करने के साथ ही नागरिकता (संशोधन) कानून को लेकर निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि भारत देश में बहुजातीय तथा बहु धार्मिक लोकतंत्र बनाए रखने और धर्मनिरपेक्षता की पुरानी परंपरा को देखते हुए ये कदम असंगत हैं । इन टिप्पणियों के बाद हिंदू अमेरिकियों के एक समूह ने भारत के खिलाफ इस्तेमाल की गई भाषा पर नाराजगी जताते हुए बाइडेन के प्रचार अभियान से संपर्क किया और उनसे इस पर पुनः विचार करने का अनुरोध किया। समूह ने हिंदू अमेरिकियों पर भी इसी तरह का नीति-पत्र लाने की मांग की है। इसके बाद हिन्दू अमेरिकियों की नाराजगी दूर करने के कई प्रयास किये गए परंतु सफलता न मिलने पर उक्त नीतिपत्र जारी किया गया। दस्तावेज में राष्ट्रपति ओबामा के कार्यकाल के समय भारत व अमेरिकी सम्बन्धों की गर्मजोशी का स्मरण करते कहा गया है कि पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा-बाइडेन प्रशासन ने संयुक्त राष्ट्र की विस्तारित सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन करने की औपचारिक रूप से घोषणा की थी। 2006 में बाइडेन ने अमेरिका-भारत संबंधों के भविष्य के लिए अपनी दूरदृष्टि की घोषणा की थी- मेरा यह सपना है कि 2020 में, दुनिया में दो करीबी राष्ट्र भारत और अमेरिका होंगे। इसमें कहा गया है कि बाइडेन अमेरिका-भारत साझेदारी बढ़ाने एवं विस्तारित करने के प्रबल समर्थक रहे हैं। नीतिपत्र कहता है कि उनका (बाइडेन) प्रशासन भारत-अमेरिका संबंधों को लगातार मजबूत करने को उच्च प्राथमिकता देगा। उनका (बाइडेन का) मानना है कि दक्षिण एशिया में, एक देश की सीमा से दूसरे देश में या किसी अन्य रूप में आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। भारत और अमेरिका की दायित्वपूर्ण साझेदारी के बिना किसी साझा वैश्विक चुनौती का समाधान नहीं किया जा सकता। नीतिपत्र में कहा गया कि, साथ मिलकर, हम भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत कर सकते हैं तथा आतंकवाद रोधी साझेदार के रूप में काम कर सकते हैं। स्वास्थ्य प्रणाली को बेहतर कर सकते हैं और महामारी से निपटने में बेहतर कदम उठा सकते हैं। साथ ही उच्चतर शिक्षा, अंतरिक्ष एवं मानवीय सहायता के क्षेत्रों में सहयोग को और मजबूत कर सकते हैं।
महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए कहा गया कि बाइडेन प्रशासन नियम आधारित और स्थिर हिंद-प्रशांत क्षेत्र का समर्थन जारी रखने पर काम करेगा, जिसमें चीन सहित कोई भी देश अपने पड़ोसी देश को धमकी नहीं दे सकेगा।
डेमोक्रेटिक पार्टी के दस्तावेज में अमेरिकन भारतीयों को लुभाते हुए कहा गया है, बाइडेन यह सुनिश्चित करेंगे कि दक्षिण एशियाई अमेरिकियों का उनके प्रशासन में प्रतिनिधित्व हो, यह उपराष्ट्रपति पद के लिए नामित सीनेटर कमला हैरिस के साथ शुरू होता है, जिनकी मां भारत से अध्ययन के लिए आईं और अमेरिका में अपना जीवन संवारा।
दस्तावेज को सैद्धान्तिक आधार देते हुए कहा गया है कि दुनिया के सबसे पुराने और बडे लोकतंत्र होने के नाते, अमेरिका और भारत अपने साझा लोकतांत्रिक मूल्यों से आबद्ध हैं। ये है-स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव, कानून के तहत समानता और अभिव्यक्ति एवं धार्मिक आचरण की स्वतंत्रता। ये मूल सिद्धांत हमारे राष्ट्रों के इतिहास से लिए गए हैं और भविष्य में हमारी मजबूती के स्रोत रहेंगे।
ज्ञात हो अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद कोई व्यक्ति सबसे पहले जो बड़ा निर्णय लेता है- वह है उपराष्ट्रपति की नियुक्ति। इसके पहले राष्ट्रपति चुनाव के समय वह रनिंग मेट का चयन करता है। राष्ट्रपति पद के लिए मतदान राष्ट्रपति प्रत्याशी व रनिंग मेट के नाम होता है। अलग से उपराष्ट्रपति पद के लिए मतदान नहीं होता है। डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडेन ने अपने रनिंग मेट के रूप में कमला हैरिस का चुनाव किया है। कमला हैरिस भारतीय और जमैकन मूल की अमेरिकी नागरिक हैं. कमला हैरिस जैसे ही अमेरिका के उपराष्ट्रपति पद की डेमोक्रेटिक दावेदार बनीं. वैसे ही भारत में उनकी शान में कसीदे पढ़े जाने लगे। कहा जा रहा है कि कमला हैरिस के रूप में अमेरिका में कमल खिल गया है। बाइडेन ट्रम्प के सामने हल्के पड़ रहे थे। इसलिए अश्वेत के साथ ही अफ्रीकन, मूल अमेरिकी, लैटिन अमेरिकी व भारतीय अमेरिकी समुदाय को एक साथ साधने के लिए कमल हैरिस को पाँच महिला उम्मीदवारों में से चुना गया। वस्तुस्थिति यह है कि कमला में नाम के अलावा कुछ भी भारतीय नहीं है । अभी तक अपने को भारतीय कहने से बचती रहीं हैरिस अपनी भारतीय पहिचान को बता रही है। वे भारतीय नीतियों की मुखर विरोधी रही हैं। अपने को केवल अमेरिकी कहने वाली कमल का यह बदलता रंग अमेरिकन हिंदुओं के लिए हतप्रभ कर देने वाला है।
बताया जाता है कि कमला हैरिस का नाम अमेरिकन भारतीयों में उत्साह नहीं भर सका। इसलिए भारतीय- अमेरिकी समुदाय के लिए जो बाइडेन का एजेंडा जारी किया गया। यह एजेंडा व अमेरिकन मुस्लिमों के जो बाइडेन का एजेंडा परस्पर विरोधाभाषी परिलक्षित हो रहे हैं। कमला हैरिस सक्रिय मानवाधिकार कार्यकर्ता के रूप में जानी जाती हैं। वामपंथ व जेहादी विचारधारा एक ही गर्भनाल से जुड़ी नजर आ रही है। बाइडेन व हैरिस की इस विचारधारा से प्रतिबद्धता कोई छिपी बात नहीं दिखाई पड़ती है। भारत की जड़ों से जुड़े अमेरिकन भारतीय अमेरिका में नेतृत्वकारी स्थिति में है। रिपब्लिक उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प व डेमोक्रेटिक उम्मीदवार बाइडेन दोनों में इस वर्ग को अपने पाले में लाने की गलाकाट प्रतिस्पर्धा चल रही है। देखना है कि ऊँट किस करवट बैठता है।
(मानवेन्द्र नाथ पंकज-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)