बिहार में दरार भरेगी फल्गु की रेती
लखनऊ। बिहार में विधानसभा के चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी जड़ों को मजबूत करने में जुट गये हैं। सत्तारूढ़ राजग के प्रमुख दल आरजेडी और भाजपा भी इसमें पीछे नहीं हैं। भाजपा के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की क्रीमीलेयर कैटेगरी के प्रावधानों में संशोधन की संभावनाओं पर विचार कर रही है जबकि पिछड़े वर्ग की राजनीति करने वाली आरजेडी को यह पसंद नहीं आ रहा है। इस प्रकार सत्तारूढ़ दोनों दलों में खाईं नजर आने लगी है। भाजपा के बुद्धिमानों ने इस खाईं को फल्गु नदी की रेती से पाटने का प्रयास किया है। फल्गु नदी की रेती का उपयोग अयोध्या में रामलला के विशाल मंदिर के निर्माण में किया जाएगा। इस प्रकार राम मंदिर से विचार को भी जुड़ने का मौका मिल रहा है जबकि उद्धव ठाकरे की शिवसेना इसी बात से नाराज हैं। फल्गु नदी का रामायण कालीन इतिहास से संबंध जोड़ दिया गया है। हालांकि महाराष्ट्र के नासिक (पंचवटी) का भी रामायणकालीन घटना से सीधा संबंध है लेकिन राम मंदिर से महाराष्ट्र को कैसे जोड़ा जाए, इस पर कोई चर्चा भी नहीं कर रहा है।
नरेन्द्र मोदी की सरकार क्रीमीलेयर के नियमों में परिवर्तन करने पर विचार कर रही है। अब तक सरकारी कर्मचारियों के ग्रेड के आधार पर ही क्रीमीलेयर को परिभाषित किया जाता है लेकिन सरकार अब इसमें वेतन और कृषि आय भी जोड़ने पर विचार कर रही है। अगर ऐसा होता है तो बड़ी संख्या में ओबीसी के लोग नाॅन क्रीमीलेयर कैटेगरी से बाहर हो जाएंगे और उन्हें ओबीसी आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाएगा। मोदी सरकार क्रीमीलेयर की सीमा 8 लाख से बढ़ाकर 12 लाख करने पर भी विचार कर रही है। बहरहाल, भाजपा के ओबीसी सांसद भी इससे सहमत नहीं हैं। बिहार विधानसभा चुनाव पर भी इसका असर पड़ सकता है।
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की तैयारियां जोरों पर हैं। पांच अगस्त को राम जन्म-भूमि पूजन का कार्यक्रम प्रस्तावित है। इसके साथ ही भव्य राम मंदिर निर्माण का काम शुरू हो जाएगा। भूमि-पूजन में नक्षत्र से लेकर बाकी तमाम मान्यताओं का विशेष ध्यान रखा गया है। गया की फल्गु नदी की बालू भी राम मंदिर की आधारशिला में इस्तेमाल होगी।
राम मंदिर भूमि-पूजन के दौरान गर्भगृह के अंदर चांदी की पांच ईंट का इस्तेमाल किया जाएगा। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, ये पांच ईंट पांच नक्षत्रों का प्रतीक होंगी। माना जाता है कि अभिजीत मुहूर्त में भगवान राम का जन्म हुआ था, उसी हिसाब से भूमि-पूजन का वक्त भी निर्धारित किया गया है। विश्व प्रसिद्ध मोक्ष भूमि गया से भी भगवान राम का कनेक्शन है, लिहाजा वहां की पवित्र फल्गु नदी की रेत का इस्तेमाल भी मंदिर में किया जा रहा है। बताया जाता है कि फल्गु के तट पर भगवान राम ने अपने भाई लक्ष्मण और सीता के साथ पिता राजा दशरथ की आत्मा की मुक्ति के लिए पिंड दान किया था। यही वजह है कि फल्गु नदी की रेत का उपयोग अयोध्या में बनने जा रहे भगवान राम के मंदिर में किया जा रहा है। गया में विश्व हिंदू परिषद के विभाग अर्चक पुरोहित प्रमुख प्रेमनाथ टइया ने बताया उन्हें यह जानकारी मिली कि अयोध्या में मंदिर निर्माण में सात समुद्रों का पानी, देश की सभी धार्मिक नदियों का पानी, प्रमुख धामों की मिट्टी और फल्गु नदी के बालू का उपयोग किया जाना है। प्रेमनाथ टइया ने ये भी बताया कि गया से फल्गु नदी का बालू करीब एक महीने पहले ही अयोध्या मंगवा लिया गया था। उन्होंने ये भी बताया कि गया धाम से सवा किलो चांदी की ईंट भी अयोध्या भेजी जा रही हैं।
गया से गुजरने वाली फल्गु नदी पर बड़ी तादाद में लोग अपने पूर्वजों की मोक्ष प्राप्ति के लिए पिंड दान करते हैं। कुछ लोग फल्गु नदी के बालू का पिंड बनाकर ही अपने पूर्वजों के लिए कामना करते हैं। अब इसी नदी के बालू को अयोध्या के राम मंदिर में लगाया जा रहा है। राम मंदिर निर्माण का शुभारंभ बहुत जल्द होने जा रहा है। बताया जा रहा है कि पांच अगस्त को अयोध्या में राम जन्मभूमि पूजन किया जाएगा। राम मंदिर निर्माण की रूपरेखा पर 18 जुलाई को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की अहम बैठक हुई। बैठक में कई मसलों पर अहम चर्चा हुई। राम मंदिर की भव्यता बढ़ाने के लिए भी कुछ बदलाव किए गए हैं। अब भगवान राम का मंदिर और अधिक ऊंचा व भव्य होगा।
राम मंदिर का जो मॉडल अब तक सबके सामने है वो विश्व हिंदू परिषद के आइडिया पर आधारित है। सुप्रीम कोर्ट से 9 नवंबर 2019 को जब राम मंदिर निर्माण की मंजूरी मिली तो मंदिर की जिम्मेदारी के लिए केंद्र सरकार को एक ट्रस्ट गठित करने के लिए कहा गया। मोदी सरकार ने राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट नाम से राम मंदिर ट्रस्ट का गठन किया। ये ट्रस्ट ही अब मंदिर निर्माण का काम देख रही है। मंदिर को लेकर लगातार मंथन भी हो रहा है। संतों की तरफ से राम मंदिर के विस्तार और उसकी भव्यता बढ़ाने की मांग लगातार की जा रही थी। ट्रस्ट ने संतों की इस मांग को गंभीरता से लेते हुए कुछ बदलाव के फैसले लिए हैं। हालांकि, मंदिर का मॉडल वही होगा, लेकिन उसकी भव्यता बढ़ाई जाएगी।
बताया जा रहा है कि 5 अगस्त को पीएम मोदी जा सकते हैं। राम मंदिर का भूमि-पूजन अभिजीत मुहूर्त में सर्वार्थ सिद्धि योग किया जाएगा। ताम्र कलश में गंगाजल और अन्य तीर्थों का जल लाकर पूजा की जाएगी। 3 अगस्त से पूजा-पाठ का काम शुरू हो जाएगा। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी भूमि-पूजन में शामिल होंगे। मंदिर के भूमि-पूजन में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास लगभग 40 किलो चांदी की श्रीराम शिला को समर्पित करेंगे। बताया जा रहा है कि पीएम मोदी इस शिला का पूजन करेंगे और इसे स्थापित करेंगे। बताया जा रहा है कि साढ़े 3 फीट गहरे गड्ढे में पांच चांदी की ईंट रखी जाएंगी, जो 5 नक्षत्रों की प्रतीक होंगी। माना जाता है कि अभिजीत मुहूर्त में भगवान राम का जन्म हुआ था। ट्रस्ट के अधिकारियों का कहना है कि राम मंदिर का नक्शा फाइनल होने के बाद 3 से साढ़े 3 साल के बीच निर्माण का काम पूरा हो जाएगा। राम मंदिर निर्माण के लिए पैसा जुटाने का काम भी किया जाएगा। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया है कि मानसून के बाद राम मंदिर ट्रस्ट 10 करोड़ परिवारों से संपर्क स्थापित करेगी और मंदिर के लिए आर्थिक सहायता की मांग की जाएगी।
बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी को लेकर भाजपा की क्षेत्रीय बैठक शुरू हो गई। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर संजय जायसवाल ने तेजस्वी यादव पर तंज कसते हुए कहा कि जिसने दसवीं की परीक्षा ही फेस नहीं किया हो वह चुनाव की परीक्षा कैसे फेस कर सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस जिसके सहारे बिहार विधानसभा चुनाव लड़ना चाहती है, आरजेडी का वह नेता ही चुनाव से भाग रहा है। भाजपा के साथ आरजेडी भी चुनाव की तैयारी कर रही है और राजद समेत अन्य विपक्षी दल भी अपने-अपने वोट बैंक संभाल रहे हैं। ओबीसी की क्रीमीलेयर को लेकर आरजेडी का चैकन्ना होना स्वाभाविक है।
(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)