कांग्रेस से मायावती की नाराजगी

कांग्रेस से मायावती की नाराजगी

लखनऊ। अभी ज्यादा दिनों की बात नहीं जब उत्तर प्रदेश में प्रवासी मजदूरों को बसों से लाने के लिए कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी और योगी आदित्यनाथ सरकार में जमकर तनातनी हुई थी । इसी क्रम में उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार सिंह लल्लू को गिरफ्तार भी किया गया। उस समय भी बसपा प्रमुख मायावती कांग्रेस की अप्रत्यक्ष रूप से आलोचना कर रही थीं । मायावती कांग्रेस और भाजपा को एक जैसा बताती है। इसके बावजूद मध्यप्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनाने में बसपा ने मदद की थी। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बसपा के सभी विधायको को तोडकर कांग्रेस में शामिल कर लिया था। मध्यप्रदेश में तो कांग्रेस की आपसी लड़ाई में ही कमलनाथ की सरकार चली गयी । अब वहां 24 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। कांग्रेस ने एक बार फिर बसपा के वोटबैंक में सेंध लगाकर मायावती को नाराज कर दिया है। इसका असर उपचुनावों पर भी पड सकता है। हालांकि उपचुनावों में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही होना है। भाजपा के लिए भी ये उपचुनाव प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गये हैं । कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर कई आरोप लगाए हैं ।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कांग्रेस नेताओं पर पलटवार करते हुए कहा कि आपके मुद्दा उठाने से पहले ही सरकार उस पर संज्ञान लेकर निपटारे का काम करती है। दरअसल बीजेपी सरकार की कोशिश 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव से पहले विपक्ष को मुद्दाविहीन करने की है और इसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह कोर कसर नहीं छोडना चाहते हैं। मध्यप्रदेश की 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव से पहले दलबदल का सिलसिला तेज हो गया है। ग्वालियर इलाके में ब्राह्मण चेहरा बालेंद्र शुक्ला के बीजेपी से कांग्रेस में आने के बाद अब एससी एसटी वोट पर कांग्रेस पार्टी की नजरें हैं और यही कारण है कि बीएसपी के वोट बैंक में कांग्रेस ने अब सेंध लगाना शुरू कर दिया है। कांग्रेसी इसमें काफी हद तक कामयाब होते हुए दिख रहे हैं। बीएसपी के कई बड़े नेता गत 7 जून को कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए।पिछली बार ही अर्थात 2018 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी के टिकट पर करेरा विधानसभा सीट से चुनाव लड़े प्रागी लाल जाटव कांग्रेस में शामिल हो गए। इसके अलावा डबरा नगरपालिका की पूर्व अध्यक्ष सत्य प्रकाशी बीएसपी कार्यकर्ताओं के साथ कांग्रेस में शामिल हो गईं। यह दोनों ग्वालियर चंबल इलाके में बसपा के बड़े चेहरे माने जाते थे। सन 2018 के चुनाव में प्रागी लाल जाटव ने चुनाव लड़ा था और कांग्रेस, बीजेपी के बाद तीसरे नंबर पर रहे थे। करेरा समेत ग्वालियर के कई विधानसभा सीटों पर जाटव वोट बैंक चुनाव में निर्णायक भूमिका में रहते हैं और ऐसे में कांग्रेस ने बीएसपी के साथ ही जाटव वोट बैंक साधने के लिए प्रागी लाल जाटव को कांग्रेस में शामिल कर लिया है। प्रदेश कांग्रेस दफ्तर में कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष रामनिवास रावत पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा एमपी प्रजापति और पीसी शर्मा की मौजूदगी में प्रागी लाल जाटव, सत्य प्रकाशी समेत कई बीएसपी कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की।

ध्यान देने की बात है कि ग्वालियर चंबल इलाके की ही १६ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने है। उसमें करेरा विधानसभा सीट पर कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए जसवंत जाटव बीजेपी के संभावित उम्मीदवार होंगे। ऐसे में कांग्रेस प्रागी लाल जाटव को अपने खेमे में शामिल कर जसवंत जाटव की मुश्किलें बढ़ा सकती है। इसी तरीके से डबरा विधानसभा सीट से पूर्व मंत्री इमरती देवी अब बीजेपी की संभावित उम्मीदवार होंगी। ऐसे में पार्टी सत्य प्रकाशी को टिकट देकर इमरती देवी के खिलाफ चुनाव लड़ा सकती है। कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष रामनिवास रावत ने कहा कि बीएसपी समेत दूसरे दलों के कई बड़े नेता कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं। प्रदेश में लोकतंत्र को बचाने के लिए बीएसपी के कई बड़े नेता कांग्रेस का साथ देने को तैयार हैं। आने वाले दिनों में कुछ और नेता और कार्यकर्ता कांग्रेस पार्टी में शामिल हो सकते हैं।

प्रदेश कांग्रेस दफ्तर में बीएसपी नेताओं ने कांग्रेस की सदस्यता ली, लेकिन इस दौरान कांग्रेस और बीएसपी के नेता सोशल डिस्टेंसिंग और चेहरे पर मास्क लगाना भूल गए। मंच पर खड़े नेताओं ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया और ज्यादातर नेताओं के चेहरे पर मास्क भी नहीं लगा था। उपचुनावों के मद्देनजर ही मध्य प्रदेश की सियासत में इन दिनों सोशल मीडिया के जरिए बीजेपी और कांग्रेस में वार-पलटवार का दौर जारी है। कांग्रेस के नेता शिवराज सरकार की घेराबंदी करने के लिए हर दिन सोशल मीडिया के जरिए कई मुद्दों को उठाकर आक्रामक रुख अख्तियार किए रहते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ, विवेक तनखा, दिग्विजय सिंह से लेकर पार्टी के दूसरे बड़े नेता हर दिन सोशल मीडिया के जरिए प्रदेश से जुड़े हुए मुद्दों को लेकर सरकार को घेर रहे हैं। कांग्रेस ने सोशल मीडिया के माध्यम से मजदूरों, किसानों और बेरोजगारों तक के मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश की है। कांग्रेस द्वारा अपनी सरकार को निशाना बनाए जाने का जवाब अब खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने दिया है।

सीएम शिवराज ने ट्वीट कर कहा, मेरा कांग्रेस के मित्रों से अनुरोध है कि वो अपने ट्वीट की संख्या बढ़ाएं और उचित समय का भी ध्यान रखें। आजकल यह हो रहा है कि किसी भी वस्तु को मुद्दा कहते हुए ट्वीट-ट्वीट खेलते रहते हैं और मैं पहले ही जनता की हर एक समस्या का संज्ञान लेकर उसके निवारण का काम शुरू कर देता हूं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि कांग्रेस जब सत्ता में थी तब भ्रष्टाचार छोड़ अगर जनता के सोशल इश्यूज का संज्ञान लिया होता तो आज सोशल मीडिया का सहारा नहीं लेना पड़ता। चलिए कोई बात नहीं वो राजनीति करते रहे और हम काम। जनता तो सब जानती ही है। दरअसल कांग्रेस ने किसानों के अनाज खरीदी के मुद्दे को उठाते हुए सरकार से सवाल पूछा था. लेकिन बीजेपी ने किसानों का अनाज लक्ष्य से ज्यादा खरीद कर मुद्दे का समाधान कर दिया। बारिश में अनाज (गेहूं) गीला हो जाने पर सरकार ने कहा कि गीला गेहूं सूखने पर किसानों से खरीदी होगी, वहीं मजदूरों के मुद्दे पर कांग्रेस के तमाम बड़े नेताओं ने सरकार की जमकर घेराबंदी की लेकिन शिवराज सरकार ने ट्रेन और बसों के जरिए प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचा कर इसे मुद्दाविहीन बनाने की कोशिश की है। इसप्रकार बीजेपी सरकार की कोशिश 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव से पहले विपक्ष को मुद्दाविहीन करने की है और कांग्रेस भी इसे समझती है ।इसलिए उप चुनावों में घेराबंदी के दूसरे रास्ते भी तलाश रही है। ये रास्ते मायावती की नाराजगी का कारण भी बन रहे हैं । इसका राजनीतिक नुकसान कांग्रेस को होगा तो भाजपा को फायदा मिलेगा। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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