धमाका बताई जा रही पंचायत निकली फुस्स पटाखा-नहीं जुटी किसानों की भीड़
मुजफ्फरनगर। राष्ट्रीय किसान मोर्चा की किसान महापंचायत के जवाब में आहूत की गई हिन्द किसान मजदूर समिति की किसान पंचायत में दावों और अपेक्षा के अनुरूप किसानों की भीड़ नहीं जुट सकी, जिसके चलते धमाका बताई जा रही किसान पंचायत एक फुस्स पटाखा ही निकली। भीड़ के अभाव में ट्रैक्टर ट्रॉलियों व बसों आदि को मैदान में खड़े करवाते हुए भीड का टेंपो बनाने की कोशिश की गई। अभी तक परमधाम न्यास आश्रम का संचालन कर रहे चंद्रमोहन महाराज को बतौर किसान मंच से पगड़ी बांधकर सम्मानित किया गया।
सोमवार को हिंद मजदूर किसान समिति के आह्वान पर जिला मुख्यालय के महावीर चौक के निकट स्थित राजकीय इंटर कॉलेज के मैदान में किसान मजदूर महापंचायत का आयोजन किया गया। जिसमें उत्तर प्रदेश के किसानों को पड़ोसी राज्य पंजाब और हरियाणा से अधिक गन्ना मूल्य दिए जाने की मांग की गई। किसान पंचायत को संबोधित करते हुए आध्यात्मिक किसान नेता चंद्रमोहन ने कहा कि जीआईसी के मैदान पर आज हो रही इस महापंचायत पर सत्ता और विपक्ष दोनों की नजरें लगी हुई हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश में गुंडाराज खत्म करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्हें इस बात का दुख है कि पिछले 4 साल से उत्तर प्रदेश में गन्ना मूल्य में बढ़ोतरी नहीं की गई है। वैसे तो मौजूदा सरकार में बिजली भरपूर मिल रही है लेकिन उसके बिल बहुत ज्यादा आ रहे हैं, जिनकी अदायगी करने में किसानों और मजदूरों के पसीने छूट रहे है। सरकार की ओर से सड़के तो बनवा दी गई है, लेकिन डीजल-पेट्रोल के दाम बेतहाशा बढ़ाए गए हैं। गौ हत्या सरकार ने बंद कर दी है लेकिन सड़कों पर बेसहारा गोवंश आवारा घूम रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्राचीन काल से ही किसान गन्ने की खेती करता हुआ आया है। भगवान राम ने भी गन्ने की खेती की थी। इसलिए किसान भगवान राम के वंशज हैं और गन्ना किसानों का अपमान करना पाप है। उन्होंने कहा कि वैसे तो गन्ने का दान 475 रुपए प्रति कुंतल होना चाहिए, लेकिन उत्तर प्रदेश के किसानों को पड़ोसी राज्य हरियाणा और पंजाब से अधिक तो मिलना ही चाहिए। उन्होंने कहा कि किसान और मजदूर एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, यदि किसान सुखी और संपन्न रहेगा तो मजदूरों में भी खुशहाली आएगी। उन्होंने कहा कि गोवंश की समस्या के निस्तारण के लिए सरकार को गाय का गोबर 20 रूपये प्रति किलो की दर से खरीदना चाहिए। उन्होंने मेरठ या मुजफ्फरनगर में वादकारियों के हितों के लिए हाईकोर्ट बेंच स्थापित किए जाने की मांग भी मंच के ऊपर से उठाई। उन्होंने कहा कि वह किसी भी पार्टी से नहीं जुड़े हुए हैं और ना ही जुड़ेंगे। लेकिन किसान और मजदूर का अधिकार नहीं मरने देंगे। 75 सालों से किसान को बेवकूफ बनाया जा रहा है। एसी में रहने वाले लोग पसीना बहने से बचने के लिये वोट कम करते हैं जबकि किसान मजदूर बंपर वोटिंग करते हुए सरकार को बनाने का काम करते हैं। लेकिन इसी वर्ग की चिंता किसी भी सरकार की ओर से नहीं की जाती है जो बहुत ही अफसोस जनक है। उन्होंने नारा दिया कि जो अन्न उगाएगा-वही देश चलाएगा। देश चलाना हल चलाने से भी कठिन नहीं है। गठवाला खाप के चौधरी राजेंद्र सिंह मलिक ने रविवार को हुई किसान पंचायत को असली बताया और कहा कि पिछले 4 साल से प्रदेश में गन्ने का मूल्य नहीं बढ़ाया गया है और बिजली की दरें आसमान छू रही हैं। बेसहारा गोवंश के सड़कों पर घूमने से किसान परेशान हैं। किसान मुख्यमंत्री का सम्मान करते हैं। राजा का विरोध विद्रोह के बराबर है, इसलिए हम विद्रोही नहीं है। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग उठाई कि वह किसानों की सुने और गन्ना मूल्य में बढ़ोतरी करें।
रविवार को राजकीय इंटर कॉलेज के मैदान पर हिंद किसान मजदूर समिति के तत्वाधान में आयोजित की गई किसान महापंचायत की यदि इसी 5 सितंबर को राजकीय इंटर कॉलेज के मैदान पर आयोजित की गई राष्ट्रीय किसान मोर्चा की किसान महापंचायत से तुलना की जाए तो आज हुई पंचायत अपेक्षा के अनुरूप भीड़ नहीं जुटा सकी। भीड़ नहीं जुटने के अभाव में आयोजकों की ओर से ट्रैक्टर ट्रॉली और बसों आदि वाहनों को ग्राउंड के अंदर खड़ा कराया गया। दोपहर से कुछ समय पहले तक भी ग्राउंड में लोगों का अभाव सा ही दिखाई दे रहा था। लेकिन कुछ क्षेत्रों से किसानों के ट्रैक्टर आ जाने से ग्राउंड के भीतर कुछ चहल-पहल सी दिखाई दी। किसान महापंचायत में जो चेहरे नजर आ रहे थे उनमें से अधिकांश को जानकार लोगों ने आध्यात्मिक किसान नेता के अनुयाई बताया है।