महापंचायतः बंदे में है दम- वरना हमने दिग्गज को सलवार में भागते देखा है...
मुजफ्फरनगर। रालोद सुप्रीमो चौधरी अजीत सिंह की लोकसभा चुनाव में हुई हार के मलाल के साथ महज चंद घंटों के आह्वान पर बुलाई गई भाकियू की महापंचायत शांति के साथ निपट गई। सब कुछ सुव्यवस्थित और शांतिपूर्ण तरीके से निपट जाने से पुलिस और प्रशासन ने राहत की सांस ली है। महापंचायत में शामिल होने के लिए आए जनपद और आसपास के जिलों के किसान अब जब अपने घरों को लौट गए हैं, तो महापंचायत को लेकर लोगों में मंथन भी शुरू हो गया है।
आमतौर पर देश के बड़े-बड़े राजनीतिक दल अपनी रैली में भीड़ जुटाने के लिए रात दिन प्रचार-प्रसार करने को भाग-दौड़ करते हैं, फिर भी तमाम कोशिशों के बावजूद अनुमान के मुताबिक भीड़ नहीं जुट पाती है। लेकिन भाकियू सुप्रीमो चौधरी नरेश टिकैत के आह्वान पर संगठन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत की आंखों से निकले आंसूओं को देखकर जिस तरह से चंद घंटों के आह्वान के भीतर शहर के राजकीय इंटर कॉलेज के मैदान पर शुक्रवार को जनपद और आसपास के जिलों के किसानों का सैलाब उमड़ा और उसमें राजनीति के बड़े-बड़े दिग्गजों ने अपनी भागीदारी कर किसानों के साथ स्वयं के खड़े होने का एहसास दिलाया, उससे राजनीति के बड़े जानकारों के कान खड़े हो गए हैं।
महापंचायत के शांतिपूर्ण ढंग से निपट जाने को भी राजनीति के जानकारों ने एक बड़ी उपलब्धि माना है। क्योंकि जिस तरह से राजकीय इंटर कॉलेज की महापंचायत में किसानों का ज्वार भाटा उमड़ा है, उसे संभालकर महापंचायत को सुव्यवस्थित तरीके से शांतिपूर्ण संपन्न कराना आसान नहीं था। भीड़ ने आलोचकों को भी बहुत कुछ सोचने समझने को मजबूर कर दिया है। अब लोग वर्ष 2013 में सिखेडा थाना क्षेत्र के गांव नंगला मंदौड में हुई किसानों की महापंचायत के परिणामों की तरफ झांक रहे हैं। जिसने भाजपा के पक्ष में हवा बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।
राजनीति के जानकारों में इस बात पर मंथन शुरू हो गया है कि क्या राजकीय इंटर कॉलेज मैदान पर संपन्न हुई भाकियू की महापंचायत इस बार के विधानसभा और लोकसभा चुनावों के परिदृश्य को बदलेगी। लोगों ने यहां तक कहना शुरू कर दिया है कि चौधरी राकेश टिकैत में दम तो है, वरना हमने लोगों को पुुलिस और प्रशासन का दबाव पडने पर आंदोलन से जान बचाकर सलवार पहनकर भागते हुए देखा है। उधर महापंचायत के शांतिपूर्ण निपट जाने से पुलिस और प्रशासन ने भी राहत की सांस ली है। अन्यथा जिस तरह बृहस्पतिवार को भावुक होकर भाकियू प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने अपना बयान दिया था, उसके चलते किसानों में भारी गुस्सा था, जो किसी अनहोनी से कम नहीं था। भाकियू सुप्रीमो चौधरी नरेश टिकैत ने महापंचायत में कहा है कि गाजीपुर बाॅर्डर पर हुए घटनाक्रम से किसानों का भारी अपमान हुआ है। ठीक ऐसा ही अपमान वर्ष 2000 में कांग्रेस उपाध्यक्ष और पूर्व विधायक पंकज मलिक का हुआ था।
वर्ष 2002 में भी भाकियू संस्थापक टिकैत साहब का हुआ था। इतना ही नही हाथरस में भी रालोद नेता पूर्व सांसद जयंत चौधरी का अपमान किया गया। इन सब में यह सुखद बात रही कि आप सब लोग इकट्ठे हो गए थे और आपने तार-तार होती किसानों की इज्जत बचा ली थी। इस बार भी सब इकट्ठे होकर इज्जत बचाओ। उन्होंने चेताया कि संगठन न हो तो भाजपा के लोग किसानों को जेल में डाल देंगे। उन्होंने कहा कि चौधरी अजीत सिंह को हराना हम सब किसानों की सबसे बडी भूल थी। इस सरकार को जितनी आशाओं और उम्मीदों के साथ भारी समर्थन देकर बनाया था, उसने उतना ही बडा ही अपमान किया है।
उन्होंने कहा कि चौधरी चरण सिंह सचमुच में कलयुग के अवतार थे। अब किसानों को चौधरी अजीत सिंह और चौधरी जयंत के हाथों को मजबूत करना चाहिए। चूंकि जब भी किसान के सामने मान-सम्मान का संकट आया है, तो इन्होंने ही किसानों की मदद की है।