किसानों को बदनाम कर रही है सरकार-2022 में देंगे करारा जवाब
मुजफ्फरनगर। संयुक्त किसान संघर्ष समिति के आह्वान पर भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने रेलवे स्टेशन पर जोरदार प्रदर्शन करते हुए रेल पटरियों पर धरना दिया। इस दौरान किसानों ने कहा कि सरकार हमें बदनाम करने की कोशिश कर रही है। 2022 में सरकार को करारा जवाब दिया जाएगा।
बृहस्पतिवार को देश में नए कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन का संचालन कर रही है संयुक्त किसान संघर्ष समिति के आह्वान पर भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारी और कार्यकर्ता जिला अध्यक्ष धीरज लाटियान के नेतृत्व में जोरदार नारेबाजी करते हुए स्थानीय रेलवे स्टेशन पर पहुंचे। जहां पर पुलिस ने पहले से भी अपना डेरा जमा रखा था। भाकियू पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं के रेलवे स्टेशन पर पहुंचते ही हलचल सी मच गई। नारेबाजी के बीच रेलवे स्टेशन पर पहुंचे भाकियू कार्यकर्ता और पदाधिकारी रेल पटरियों पर धरना देकर बैठ गए। इस दौरान वक्ताओं ने आरोप लगाया कि सरकार किसानों की उपज को दोगुना करने का झांसा देकर नए कृषि कानून जबरदस्ती किसानों पर थोप रही है। राजधानी दिल्ली के टिकरी, गाजीपुर और सिंघु बॉर्डर पर देशभर के किसान पिछले लगभग 3 माह से धरना दे रहे हैं। लेकिन सरकार ने अभी तक किसानों की आवाज नहीं सुनी है। वार्ता के नाम पर बार-बार बुलाकर किसानों को अपमानित करने की कोशिश की जा रही है। किसान एमएसपी पर कानून बनाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार इससे पीछे भाग रही है। इस समय किसान अपने मान-सम्मान की लड़ाई लड़ रहा है और वह कृषि कानूनों को वापस लिए जाने तक आंदोलन से पीछे नहीं हटेगा। इस दौरान वक्ताओं ने कहा की सरकार को मुगालता हो गया है कि वह सत्ता से नहीं जाएगी, लेकिन उसे मतदाताओं की हैसियत को समझना पड़ेगा।
वर्ष 2022 में किसान सरकार को अच्छा खासा सबक सिखाएंगे। वक्ताओं ने कहा कि सरकार ने किसानों को 14 दिनों के भीतर गन्ना भुगतान कराने का वादा किया था, लेकिन प्रदेश की चीनी मिलों पर किसानों का अभी तक करोड़ों रुपया बकाया पड़ा है। किसानों की बिजली पर मिलने वाली सब्सिडी भी सरकार की ओर से खत्म कर दी गई। किसानों पर घरेलू व टयूबवैलों की विद्युत दरों में बढ़ोतरी कर दी गई है जिसे वापिस लिया जाना जरूरी है। भूमि अधिग्रहण में सहमति बनाकर सरकार द्वारा किसानों की भूमि पर कब्जा कर लिया गया है परंतु कुछ किसानों की नष्ट की गई फसलों का मुआवजा व जमीन का उचित भुगतान अभी तक किसानों को नहीं मिला है। जिले में गन्ना किसानों की कम इंडेंट की शिकायतें आ रही है। इंडेंट बढ़ाकर गन्ना तौल कराना किसानों के लिए जरूरी हो चुका है। वक्ताओं ने कहा कि जब तक किसानों की समस्याओं का पूरी तरह से समाधान नहीं हो जाता है तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा। इस दौरान भाकियू की ओर से प्रशासन को अपना ज्ञापन भी दिया गया।