बिजली इंजीनियर व कर्मियों की हड़ताल-चरमराई बिजली व्यवस्था
मुजफ्फरनगर। उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के चेयरमैन के रवैये के विरोध में कार्य बहिष्कार पर उतरे जूनियर इंजीनियर और अभियंताओं व कर्मचारियों की वजह से निगम में कामकाज पूरी तरह से ठप रहा। जिससे बिजली व्यवस्था चरमरा गई है। उत्पीड़न के विरोध में अब बिजली कर्मियों ने लाइटिंग हड़ताल की चेतावनी दे डाली है।
उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के चेयरमैन के रवैये के विरोध में बुधवार को पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम में पूरी तरह से कार्य ठप रहा। विद्युत वितरण निगम कर्मचारी महासंघ के जनपदीय महासचिव प्रभात सिंह ने बताया कि कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों एवं अभियंताओं ने 24 घंटे के पूर्ण कार्य बहिष्कार किया। सवेरे 8.00 बजे से आरंभ हुआ 24 घंटे का कार्य बहिष्कार बृहस्पतिवार की सवेरे 8.00 बजे तक लगातार जारी रहेगा। कर्मचारियों और इंजीनियरों के अभाव में कई जनपदों में बिजली व्यवस्था चरमराने के आसार उत्पन्न हो गए है। ंउत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ के अध्यक्ष वी पी सिंह और महासचिव प्रभात सिंह ने बताया कि बीते दिनों उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा के लगभग 23 जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओं को बिना कारण बताए सुदूर पूर्वांचल और कुछ अन्य वितरण निगम स्थानांतरित कर दिया है। विद्युत अभियंता संघ और संघर्ष समिति कि यह स्पष्ट राय है कि अस्थाई बिजली संयोजन देने में यदि कोई अनियमितता हुई है तो उसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए और अनियमितता के दोषियों पर तदनुसार कार्यवाही की जानी चाहिए। किंतु बिना जांच पूरी हुए बड़े पैमाने पर अभियंताओं व जूनियर इंजीनियरों को सुदूर स्थानांतरित किया जाना स्पष्टतया उत्पीड़नात्मक कार्यवाही है। यह भी उल्लेखनीय है कि अधिकांश जूनियर इंजीनियर व अभियंता पहले ही ग्रेटर नोएडा व नोएडा से स्थानांतरित होकर पश्चिमांचल में अन्य स्थानों पर तैनात किये जा चुके हैं। ऐसे में इन सभी का बड़े पैमाने पर पुनः स्थांतरण किया जाना उत्पीड़न के अलावा और कुछ नहीं है।
अभियंता पदाधिकारियों ने इस बात पर क्षोभ प्रकट किया कि विगत एक सप्ताह से पश्चिमांचल में चल रहे व्यापक आंदोलन के बावजूद पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने अभियंताओं से बातचीत करना तक जरूरी नहीं समझा जिससे स्पष्ट है की पावर कारपोरेशन प्रबंधन जानबूझकर बिजली निगमों में कार्य के स्वस्थ वातावरण को बिगाड़ रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि पश्चिमांचल या प्रदेश में कहीं भी आंदोलन के फलस्वरूप किसी भी कर्मचारी का उत्पीड़न किया गया तो प्रदेश के तमाम बिजली कर्मी मूकदर्शक नहीं रहेंगे और सीधी कार्यवाही करने हेतु बाध्य होंगे जिसकी सारी जिम्मेदारी प्रबंधन की होगी। इस आशय का पत्र विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति पहले ही ऊर्जा मंत्री को प्रेषित कर चुकी है।
उन्होंने एक बार पुनः प्रदेश के ऊर्जा मंत्री पंडित श्रीकांत शर्मा से अपील की कि वे तत्काल प्रभावी हस्तक्षेप करें जिससे पावर कारपोरेशन के प्रबंधन के अलोकतांत्रिक तानाशाही रवैया पर अंकुश लग सके, उत्पीड़न की दृष्टि से किए गए सामूहिक स्थानांतरण रद्द हों और बिजली कर्मियों को कार्य का स्वास्थ्य वातावरण मिल सके।