यह आंदोलन की धरती है, नही दब सकती किसानों की आवाज- हरेन्द्र मलिक
मुजफ्फरनगर। पूर्व सांसद एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरेन्द्र मलिक ने जोरदार आवाज में कहा कि हम खुद्दार हैं, गद्दार नहीं। किसान धरती का पुत्र है। उन्होंने कहा कि किसानों की आवाज को दबाया नहीं जा सकता। सरकार को कृषि बिलों को वापिस लेना होगा।
बघरा में आयोजन किसान महापंचायत को सम्बोधित करते हुए हरेन्द्र मलिक ने कहा कि यह आंदोलन की धरती है। आज भी याद है जब वर्ष 1987 में धर्मपाल और अकबर अली की शहादत हुई थी। स्व. चौधरी महेन्द्र सिंह टिकैत, बाबा सीताराम, बाबा हरिकिशन सिंह और सभी बिरादरियों के चौधरियों ने मिलकर बढ़े हुए बिजली बिलों का विरोध किया था। बिजली के बढ़े बिलों के विरोध में ही धर्मपाल और अकबर अली की शहादत हुई थी। आखिर सरकार को झुकना पड़ा था और उनकी मांग पूरी हुई थी। उन्होंने कहा कि किसान स्वाभिमानी है, खुद्दार है, गद्दार नहीं। उन्होंने कहा कि किसान धरती का सीना चीरकर फसल उगाता है। उन्होंने कहा कि किसानों को परेशान किया जा रहा है। उनका उत्पीड़न किया जा रहा है। भसाना शुगर मिल ने अब तक 0.25 प्रतिशत भुगतान किया है।
किसानों का करोड़ों रुपया बकाया है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग प्रचार करते हैं कि एमएसपी से किसानों का कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने कहा कि किसानों का लम्बे समय से आंदोलन चल रहा है, सरकार किसानों की नहीं सुन रही है। यह आंदोलन की धरती है। किसानों की आवाज को दबाया नहीं जा सकता है। सरकार को किसानों की सुननी होगी और कृषि अध्यादेशों को वापिस लेना होगा।