शब्दों का खजाना- मेरा सपना कुछ इस तरह से अपना भविष्य सजाना, मेरी कविता

मेरे सपने
कुछ हजारों लोग रातों में देखा करते है सपने,
तो कुछ दिनभर जिया करते है सपने,,
कुछ कड़वे जहर से तो कुछ मीठे अमृत से पिया करते है सपने,
कुछ पुरे तो कुछ अधूरे सपने,,
कुछ नए तो कुछ पुराने सपने,
कुछ पुरे करने तो कुछ सिर्फ बहाने है सपने,,
कुछ सिर्फ सोचते रहना तो कुछ जिंदगी में लाने है सपने,
किसी को सिर्फ देखना पसंद तो किसी को पाने है सपने!!
सपने दो प्रकार के होते है-
एक रात को देखा गया तो एक आने वाली रातों के लिए,
मैंने रात को देखा रातों के लिए,,
दुसरो के लिए नहीं अपने हालातों के लिए,
अपने लिए न की दुसरो की कड़वी बातों के लिए,,
मन में उभरते मेरे जज्बातों के लिए,
सिर्फ अपने लिए नहीं अपने घर वालों की आने वाली रातों के लिए,,
खुद के लगी खुद की लातो के लिए,
भविष्य से डर कर कपट मेरे हाथो के लिए,,
मेरे अच्छे दिनों और रातों के लिए,
मैंने एक सपना देखा है सबके लिए!!
कवि= अंशुल शर्मा