फ़िनिशर बनने के लिए शारीरिक से अधिक मानसिक मज़बूती ज़रूरी: शाहरूख़ ख़ान
मुंबई। शाहरूख़ ख़ान जब घर पर खाली बैठे रहते हैं तो भी वह गेंद पर प्रहार करने के बारे में ही सोचते हैं। उनका मानना है कि अगर आप पहली ही गेंद से आक्रमण कर सकते हैं, तो 10 गेंद तक रूकना ही क्यों है? वह कहते हैं, "अगर आपको लगता है कि आप पहले ही गेंद पर गेंदबाज़ को छक्का मार सकते हैं, तो बस मार दो, इतना सोचना ही क्यों है। मैं तो बस इसी सोच के साथ मैदान पर उतरता हूं।"
तमिलनाडु के आक्रामक बल्लेबाज़ शाहरूख़ ख़ान का, जिनका चयन हाल ही में वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ घरेलू सीरीज़ के लिए टीम इंडिया के रिज़र्व के रूप में हुआ है। शाहरूख़ ख़ान ने पिछले साल सैयद मुश्ताक़ अली ट्रॉफ़ी के फ़ाइनल में अंतिम गेंद पर छक्का लगाकर कर्नाटक पर तब एक रोमांचक जीत दिलाई थी, जब उनकी टीम तमिलनाडु को अंतिम गेंद पर पांच रन की ज़रूरत थी। शाहरूख़ जब क्रीज़ पर आए तो उनकी टीम को 17 गेंदों में 36 रन की ज़रूरत थी और उन्होंने अकेले 15 गेंदों में 33 रन बनाकर अपनी टीम को अविश्वसनीय जीत दिला दी।
इसके बाद शाहरूख़ ने विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी के फ़ाइनल में भी 21 गेंदों में 42 रन की धुआंधार पारी खेली और टीम इंडिया में अपना दावा पेश किया। इससे पहले शाहरूख़ ने आईपीएल 2021 में भी सबको प्रभावित करते हुए पंजाब किंग्स की ओर से निचले क्रम में कुछ महत्वपूर्ण पारियां खेली थीं।
कुल मिलाकर शाहरूख़ ने बेहद ही कम समय में सबको अपनी तरफ़ आकर्षित किया है और आगामी इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) नीलामी में उन्हें एक बड़े दावेदार के रूप में देखा जा रहा है। इसके अलावा क्रिकेट के जानकार लोग उनमें टीम इंडिया के भविष्य का फ़िनिशर भी देख रहे हैं। फ़िनिशर की भूमिका के बारे में शाहरूख़ कहते हैं, "इस भूमिका के लिए आपके दिमाग में स्पष्टता होना बहुत ज़रूरी है। आपके पास गेंदें कम होती है और रन बनाने का मौक़ा भी कम होता है। इसके अलावा आउट होने का जोखिम हर गेंद पर होता है। लेकिन अगर आप दिमाग से स्पष्ट हैं, तो आपको अपने खेलने की तकनीक में अधिक बदलाव करने की ज़रूरत नहीं होती है।"
शाहरूख़ ने बताया कि उन्हें फ़िनिशर का रोल चार साल पहले 2018 के घरेलू सत्र में मिला था, जब उनकी टीम तमिलनाडु की विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी टीम में सिर्फ़ नंबर छह की जगह खाली थी। उनके टीम प्रबंधन ने उनसे इस नई भूमिका को भरने को कहा और तब से ही वह फ़िनिशर की अपनी भूमिका को बेहद ही संजीदा ढंग से निभा रहे हैं। पहले उन्होंने घरेलू क्रिकेट में प्रभावित किया, फिर वह तमिलनाडु प्रीमियर लीग (टीएनपीएल) के प्रदर्शन के जरिये आईपीएल में आए और अब वह टीम इंडिया के दरवाजे पर भी दस्तक दे रहे हैं।
एमएस धोनी को अपना आदर्श मानने वाले शाहरूख़ ने बताया कि वह हार्ड हिटिंग के लिए अपनी बाज़ुएं मज़बूत करने की बजाय दौड़ पर ध्यान देते हैं। उन्होंने बताया, "मेरी शारीरिक बनावट पहले से ही मज़बूत है, इसलिए मैं जिम से अधिक रनिंग पर ध्यान देता हूं। मुझे लगता है कि रनिंग आपको मानसिक रूप से मज़बूत बनाता है। जिम में मैं बस इतना समय बिताता हूं, जितना क्रिकेट के लिए ज़रूरी है। इसके अलावा मैं नेट्स में समय बिताना पसंद करता हूं क्योंकि नेट्स में सबसे अधिक तैयारी होती है। जो आप नेट्स में खेलते हो, वही मैच में भी लागू करते हो।"
वह आगे बताते हैं, "मैच से पहले मैं अपने दिमाग को सबसे पहले स्थिर करता हूं और मैच की हर परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए अपने आप को मैच से एक दिन पहले तैयार करता हूं कि अगर 60 रन पर पांच विकेट है, तो क्या करना है? अगर 200 रन पर चार विकेट है, तो क्या करना है? मैं नेट्स में अपने आप को हर परिस्थिति के लिए तैयार करता हूं ताकि अगले दिन मैच के समय मैं सामान्य रहूं।"
आईपीएल नीलामी के बारे में पूछने पर शाहरूख़ कहते हैं, "मैं झूठ नहीं बोलूंगा कि मैं नीलामी के बारे में सोच ही नहीं रहा हूं। मैं ज़रूर सोच रहा हूं लेकिन इतना भी नहीं सोच रहा कि उससे मेरा आज प्रभावित हो।" किसी फ़ेवरिट आईपीएल टीम के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, "मुझे जिस टीम में मौक़ा मिलेगा, वहां बेहतर करने की कोशिश करूंगा। मेरी कोई फ़ेवरिट टीम नहीं है और मैं किसी भी टीम से खेलने को तैयार हूं। यह नीलामी पर निर्भर करता है, आपका नाम किस सेट में आता है, किस टीम को क्या ज़रूरत है और उनके पास कितने पैसे बचे हैं? हालांकि मैं यह सब ना सोचकर अपने दिमाग को फ़्रेश रखने की कोशिश कर रहा हूं ताकि क्रिकेट और सिर्फ़ क्रिकेट पर ही फ़ोकस कर सकूं।"
वार्ता