उप चुनाव - क्या समाजवादी पार्टी के मजबूत किले में सेंध लगा पाएगी भाजपा

उप चुनाव - क्या समाजवादी पार्टी के मजबूत किले में सेंध लगा पाएगी भाजपा

मैनपुरी। मैनपुरी लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी का का गढ़ रही है। 1952 से वजूद में आई मैनपुरी लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी कभी चुनाव नहीं जीत पाई। 2014 के मोदी लहर में भी भारतीय जनता पार्टी मुलायम सिंह यादव के इस किले को भेद नहीं पाई थी। मैनपुरी लोकसभा सीट के लिए हो रहे उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने मुलायम सिंह यादव की बहू और अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को चुनावी रण में उतार दिया है। आज डिंपल यादव नामांकन दाखिल करेंगी मगर मैनपुरी सदर, भोगांव, किशनी, करहल और जसवंत नगर विधानसभा की सीटों को समाहित करने वाली मैनपुरी लोकसभा सीट पर क्या भाजपा मुलायम सिंह यादव के गढ़ में अपनी एंट्री करा पाएगी या नहीं, यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

गौरतलब है 1996 में पहली बार मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी से चुनाव लड़ा और उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी उपदेश सिंह चौहान को 50000 से भी अधिक वोटों से हराया था। इसके बाद 1998 और 1999 में बलराम सिंह यादव समाजवादी पार्टी के टिकट पर लड़े और लोकसभा के सांसद बन गए थे। 2004 में फिर से मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी सीट से चुनाव लड़ा और रिकॉर्ड 3,37,000 वोटों से बसपा के अशोक शाक्य को चुनाव में हरा दिया था। इस चुनाव में बलराम सिंह यादव भी भाजपा के टिकट पर लड़े थे मगर एक लाख के लगभग वोट से ही उन्हें संतोष करना पड़ा था।

2003 में जब मायावती सरकार गिराकर मुलायम सिंह यादव ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की कमान संभाली तो उन्होंने मैनपुरी सीट से इस्तीफा दे दिया था। 2004 में हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने मुलायम सिंह यादव के भतीजे धर्मेंद्र यादव को चुनाव लड़ाया। धर्मेंद्र यादव ने भी एक बड़ी जीत के साथ लोकसभा में एंट्री की थी। मुलायम सिंह यादव के परिवार के लिए सबसे सुरक्षित माने जाने वाली मैनपुरी लोकसभा सीट पर 2009 में भी मुलायम सिंह यादव ने ताल ठोकी, तब भी उन्होंने बसपा के विनय शाक्य को एक बड़े अंतर से हरा दिया था। 2014 में जब पूरे देश में मुजफ्फरनगर दंगों के बाद मोदी लहर चल रही थी तब भी मुलायम सिंह यादव की मैनपुरी सीट सबसे सुरक्षित थी। इस चुनाव में मुलायम सिंह यादव ने आजमगढ़ और मैनपुरी से चुनाव लड़ा। मैनपुरी लोकसभा सीट पर मोदी लहर में मुलायम सिंह यादव ने छह लाख के लगभग वोट पाकर बीजेपी के शत्रुघ्न सिंह चौहान को 3,64,000 वोटों से हराया था।

बाद में मुलायम सिंह यादव ने आजमगढ़ लोक सभा सीट को बरकरार रखा और मैनपुरी सीट से इस्तीफा दे दिया। 2014 में फिर से मैनपुरी लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुआ और इस बार भी मुलायम सिंह यादव के परिवार के तेज प्रताप सिंह यादव चुनाव लड़े और उन्होंने भाजपा के प्रत्याशी को 3 लाख से अधिक वोटों से हराया। 2019 में फिर से मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी लोकसभा सीट पर अपनी किस्मत आजमाई और इस बार भी उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी प्रेम सिंह शाक्य को 94000 वोटों से हराया था। अब मुलायम सिंह यादव की लंबी बीमारी से निधन के बाद मैनपुरी लोकसभा सीट पर तीसरी बार उपचुनाव होगा। इससे पहले 2004 में मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद तथा दूसरी बार 2014 में मुलायम सिंह के आजमगढ़ से सांसद रहने की वजह से उप चुनाव हुआ था। मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुरी में लोकसभा सीट के लिए उप चुनाव होना है और समाजवादी पार्टी ने मुलायम सिंह यादव की बहू और अखिलेश यादव की पत्नी डिम्पल यादव आज नामांकन दाखिल कर देंगी। अब देखना यह होगा कि क्या मैनपुरी में आजमगढ़ की तरह इतिहास बदलेगा और भाजपा समाजवादी पार्टी का मजबूत किला धा देगी या अखिलेश यादव अपने सबसे सुरक्षित गढ़ को बचाने में कामयाब होंगे।

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