जन्मदिन विशेष: इस अभिनेत्री का जन्म होते ही पिता छोड़ आए थे अनाथालय

जन्मदिन विशेष: इस अभिनेत्री का जन्म होते ही पिता छोड़ आए थे अनाथालय

मुंबई। पहले बेटी के जन्म को इतनी तवज्जो नहीं दी जाती थी, जितनी बेटे के होने पर खुशी मनाई जाती थी। भारत की आजादी से पहले एक शख्स तीसरी संतान के रूप में बेटे के जन्म का इंतजार कर रहा था लेकिन बेटी पैदा होने पर वह उस बेटी को अनाथालय छोड़ आया था। बाद में मां की ममता ने तीसरी बेटी को अपनी ओर लाने पर अपने पति को मजबूत कर दिया था। उनको जब यह अंदाजा भी नहीं होगा कि उनकी है बेटी फिल्मी दुनिया में राष्ट्रीय फलक पर उनका नाम चमका देगी। बाल कलाकार के रूप में ही उसे बच्चों ने वह पहचान बनाई कि वह अपने दमदार अभिनय से सिनेमा प्रेमी के दिलों पर राज करने लगी। कौन थी यह अभिनेत्री पढ़िए खोजी न्यूज न्यूज़ की उनके जन्मदिन पर खास रिपोर्ट...

एक अगस्त 1932 का दिन था। मुंबई में एक क्लीनिक के बाहर मास्टर अली बक्श नाम के एक शख्स बड़ी बेसब्री से अपनी तीसरी औलाद के जन्म का इंतजार कर रहे थे। दो बेटियों के जन्म लेने के बाद वह इस बात की दुआ कर रहे थे कि अल्लाह इस बार बेटे का मुंह दिखा दे, तभी अंदर से बेटी होने की खबर आयी तो वह माथा पकड़ कर बैठ गये।मास्टर अली बख्श ने तय किया कि वह बच्ची को घर नहीं ले जायेंगे और वह बच्ची को अनाथालय छोड़ आये लेकिन बाद में उनकी पत्नी के आंसुओं ने बच्ची को अनाथालय से घर लाने के लिये उन्हें मजबूर कर दिया। बच्ची का चांद सा माथा देखकर उसकी मां ने उसका नाम रखा माहजबीं। बाद में यही माहजबीं फिल्म इंडस्ट्री में मीना कुमारी के नाम से मशहूर हुई।

वर्ष 1939 मे बतौर बाल कलाकार मीना कुमारी को विजय भटृ की लेदरफेस में काम करने का मौका मिला। वर्ष 1952 मे मीना कुमारी को विजय भटृ के निर्देशन में ही बैजू बावरा मे काम करने का मौका मिला। फिल्म की सफलता के बाद मीना कुमारी बतौर अभिनेत्री फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने मे सफल हो गई।वर्ष 1952 मे मीना कुमारी ने फिल्म निर्देशक कमाल अमरोही के साथ शादी कर ली।वर्ष 1962 मीना कुमारी के सिने कैरियर का अहम पड़ाव साबित हुआ। इस वर्ष उनकी आरती,मै चुप रहूंगी.और साहिब बीबी और गुलाम जैसी फिल्में प्रदर्शित हुई। इसके साथ हीं इन फिल्मों के लिये वह सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्म फेयर पुरस्कार के लिये नामित की गई। यह फिल्म फेयर के इतिहास मे पहला ऐसा मौका था जहां एक अभिनेत्री को फिल्म फेयर के तीन नोमिनेशन मिले थे।

वर्ष 1964 में मीना कुमारी और कमाल अमरोही की विवाहित जिंदगी मे दरार आ गई। इसके बाद मीना कुमारी और कमाल अमरोही अलग अलग रहने लगे। कमाल अमरोही की फिल्म ..पाकीजा ..के निर्माण में लगभग चौदह वर्ष लग गए। कमाल अमरोही से अलग होने के बावजूद मीना कुमारी ने शूटिंग जारी रखी क्योंकि उनका मानना था कि पाकीजा जैसी फिल्मों में काम करने का मौका बार बार नहीं मिल पाता है।मीना कुमारी के करियर में उनकी जोड़ी अशोक कुमार के साथ काफी पसंद की गई। मीना कुमारी को उनके बेहतरीन अभिनय के लिये चार बार फिल्म फेयर के सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरस्कार से नवाजा गया है। इनमें बैजू बावरा,परिणीता,साहिब बीबी और गुलाम और काजल शामिल है।

मीना कुमारी यदि अभिनेत्री नहीं होती तो शायर के रूप में अपनी पहचान बनाती। हिंदी फिल्मों के जाने माने गीतकार और शायर गुलजार से एक बार मीना कुमारी ने कहा था , ये जो एक्टिग मैं करती हूं उसमें एक कमी है .ये फन. ये आर्ट मुझसे नही जन्मा है ख्याल दूसरे का .किरदार किसी का और निर्देशन किसी का। मेरे अंदर से जो जन्मा है .वह लिखती हूं जो मैं कहना चाहती हूं वह लिखती हूं।मीना कुमारी ने अपनी वसीयत में अपनी कविताएं छपवाने का जिम्मा गुलजार को दिया जिसे उन्होंने ..नाज..उपनाम से छपवाया।सदा तन्हा रहने वाली मीना कुमारी ने अपनी रचित एक गजल के जरिये अपनी जिंदगी का नजरिया पेश किया है.

.. चांद तन्हा है आसमां तन्हा

दिल मिला है कहां कहां तन्हा

राह देखा करेगा सदियों तक

छोड़ जायेगें ये जहां तन्हा ..

अपने संजीदा अभिनय से दर्शको के दिल पर राज करने वाली मीना कुमारी 31 मार्च 1972 को अलविदा कह गयी। मीना कुमारी के करियर की अन्य उल्लेखनीय फिल्में है..आजाद, एक हीं रास्ता, यहूदी, दिल अपना और प्रीत पराई, कोहीनूर, दिल एक मंदिर, चित्रलेखा, फूल और पत्थर, बहूबेगम, शारदा, बंदिश, भींगी रात, जवाब, दुश्मन आदि।

Next Story
epmty
epmty
Top