Watch Video~मिसाइल हमले में 10 लोगों की मौत 40 जख्मी
बाकू । अजरबैजान के गांजा शहर पर हुए मिसाइल हमले में दस लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 40 अन्य घायल हुए हैं। अजरबैजान के राष्ट्रपति कार्यालय के अधिकारी हिकमत हाजीयेव ने शनिवार को ट्वीट कर यह जानकारी दी।
हाजीयेव ने ट्वीट किया, " अर्मेनिया की ओर से किए गए मिसाइल हमलों में दस नागरिकों की मौत हो चुकी है जबकि चालिस नागरिक घायल हो चुके हैं। आपातकालीन सेवाओं के कर्मचारी राहत एवं बचाव कार्यों में जुटे हुए हैं। अर्मेनिया का आतंकवाद और युद्ध अपराध लगातार जारी है।"
दरअसल, आर्मेनिया और अजरबैजान की सेना के बीच 27 सितंबर से ही नागोर्नो-काराबख क्षेत्र में एक इलाके पर कब्जे को लेकर हिंसक संघर्ष जारी है। इस संघर्ष में अब तक दोनों ओर से कई लोगों की मौत हो चुकी है। रूस की मध्यस्थता के बाद 10 अक्टूबर को दोनों ही देश युद्ध विराम लागू करने पर सहमत हो गए थे, लेकिन हिंसा दोबारा शुरू हो गयी है।
Innocent civilians in the second biggest city of Azerbaijan are under the indiscriminate and targeted missile attack of Armenia. Unscrupulous calls for humanitarian ceasefire should see these war crimes of #Armenia. According to initial info more than 20 houses destroyed. pic.twitter.com/fznh82kqur
— Hikmet Hajiyev (@HikmetHajiyev) October 16, 2020
अजरबैजान ने आंशिक रूप से देश में मार्शल लॉ लागू कर दिया है। अजरबैजान ने अपने हवाई अड्डों को सभी अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए बंद कर दिया है। केवल तुर्की को इससे छूट दी गयी है। तुर्की ने खुले तौर पर अजरबैजान को समर्थन देने की घोषणा की है।
गौरतलब है कि अर्मेनिया और अजरबैजान दोनों ही देश पूर्व सोवियत संघ का हिस्सा थे। लेकिन सोवियत संघ के टूटने के बाद दोनों देश स्वतंत्र हो गए।अलग होने के बाद दोनों देशों के बीच नागोर्नो-काराबख इलाके को लेकर विवाद हो गया। दोनों देश इस पर अपना अधिकार जताते हैं। अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत इस 4400 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को अजरबैजान का घोषित किया जा चुका है, लेकिन यहां आर्मेनियाई मूल के लोगों की जनसंख्या अधिक है।
इसके कारण दोनों देशों के बीच 1991 से ही संघर्ष चल रहा है। वर्ष 1994 में रूस की मध्यस्थता से दोनों देशों के बीच संघर्ष-विराम हो चुका था, लेकिन तभी से दोनों देशों के बीच छिटपुट लड़ाई चलती आ रही है। दोनों देशों के बीच तभी से 'लाइन ऑफ कंटेक्ट' है। लेकिन इस वर्ष जुलाई से हालात खराब हो गए हैं। इस इलाके को अर्तसख के नाम से भी जाना जाता है।
अमेरिका, रूस, जर्मनी और फ्रांस समेत कई अन्य देशों ने दोनों पक्षों से शांति की अपील की है।