डॉ. की सलाह: डिप्रेशन की करें पहचान, आयेंगे ये विचार- जानिए बचाव टिप्स
निम्नलिखित लक्षणों के आधार पर हम अवसाद (Depression) नामक रोग की पहचान कर सकते है:-
• उदास मन।
• पश्चाताप की भावना।
• नींद कम आना या अत्याधिक आना।
• किसी काम में मन न लगना।
• उलझन एवं घबराहट होना।
• वजन कम या ज्यादा होना।
• निराशा के भाव
• ऐसा जीवन प्रतीत होना कि जीवन व्यर्थ है एवं महत्वहीन है।
• आत्महत्या के विचार आना।
• सुबह बिस्तर छोड़ने की इच्छा न करना।
• नींद निर्धारित समय से दो घंटे पहले खुल जाना।
• यौन इच्छा में कमी।
• रोने की इच्छा न होना।
• शारीरिक लक्षण जैसे कि कमर दर्द (लम्बे समय तक), सिर में दर्द इत्यादि।
यदि उपरोक्त में से 5 लक्षण लगातार 15 दिनों तक मौजूद रहें तो व्यक्ति को अवसाद के उपचार हेतु मनोवैज्ञानिक / मनोचिकित्सक की आवश्यकता हो सकती है।
रोगी स्वयं की सहायता कैसे कर सकता है?
• उपरोक्त लक्षण स्वयं में महसूस होने पर, तुरन्त मनोवैज्ञानिक / मनोचिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिये।
• सकारात्मक सोच रखें।
• नियमित व्यायाम करें।
• अपने रूचि के अनुसार अपने आप को व्यस्त रखें।
• संगीत सुनें।
• योग, प्राणायाम एवं ध्यान लाभकारी हो सकती है।
डिप्रेशन के रोगी का परिवार वाले ऐसे रखें ख्याल
• परिवार के सदस्य / देखभालकर्ता, रोगी को लंबे समय के लिए अकेला न छोड़ें।
• उसे किसी न किसी कार्य में व्यस्त रखने का प्रयत्न करें।
• अति शीघ्र किसी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ का परामर्श लेने हेतु व्यक्ति (मरीज) को प्रेरित करें।
• यदि रोगी को दवा लिखी गई है तो चिकित्सकीय परामर्श के अनुसार दवाई टीक समय पर देना सुनिश्चित करें।
• लक्षणों में सुधार होते ही परिवार वाले रोगी पर दवा कम करने अथवा बन्द करने का दबाव न बनायें,
• चिकित्सकीय परामर्श के उपरान्त ही दवा में कोई बदलाव करें।
• दवा का असर आने तक, परिवार वाले रोगी का मनोबल बढ़ाने का प्रयत्न करें।
• रोगी से अपेक्षायें कम करें, ताकि उस पर दबाव कम किया जा सके।
डॉ. अर्पण जैन, मनोचिकित्सक मुजफ्फरनगर।