एक और आफत-कैसे होगा इलाज -अस्पताल के सैकड़ों डॉक्टर पॉजिटिव
नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर अभी से ही लोगों के सामने खतरे खड़े कर रही है। एक ही झटके में 5 अस्पताल के 800 डॉक्टरों के कोरोना पॉजिटिव हो जाने से चिकित्सकों के साथ-साथ मरीजों के सामने भी संकट खड़ा हो गया है। बड़ी तादाद में स्वास्थ्य कर्मियों के पॉजिटिव होने से हॉस्पिटल में नियमित चेकअप, ओपीडी और गैरजरूरी सर्जरी के काम को रोक दिया गया है।
सोमवार को राजधानी दिल्ली में कोरोना संक्रमण के हालात और अधिक बिगड़ते हुए दिखाई दिए हैं, क्योंकि सरकार वेंटिलेटर, हॉस्पिटल, ऑक्सीजन बेड और बिल्डिंग आदि स्वास्थ्य संबंधी साजो सामान पैसे देकर खरीद सकती है। लेकिन जिस तरह से राजधानी के 5 अस्पतालों के 700 से लेकर 800 चिकित्सक पॉजिटिव हुए हैं, उसके चलते मरीजों के सामने संकट खड़ा हो गया है। वह इसलिए कि डॉक्टर एक ही झटके में पैसे देकर खरीदे नहीं जा सकते हैं। ऐसे में बडी संख्या में डाक्टरों के एक साथ कोरोना हो जाने से मरीजों का कैसे इलाज हो सकेगा। 1 रेजीडेंट डॉक्टर तैयार करने में तकरीबन 10 साल लग जाते हैं। अब देखने वाली बात यह है कि हेल्थ केयर सिस्टम उस समय ही मजबूत होगा। जब चिकित्सक खुद स्वस्थ होंगे। बड़ी संख्या में डॉक्टरों के पॉजिटिव पाए जाने के बाद अब उनके संपर्क में आए चिकित्सकों के साथ पैरामेडिकल स्टाफ को भी आइसोलेशन में जाना पड़ रहा है। बड़ी तादाद में स्वास्थ्य कर्मियों के पॉजिटिव होने की वजह से हेल्थ सिस्टम पर बुरा असर पड़ रहा है। हालात ऐसे हो चले हैं कि हॉस्पिटल में रूटीन चेकअप, ओपीडी और गैरजरूरी सर्जरी के काम रोक दिए गए हैं। सबसे बुरा हाल राजधानी दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल का बताया जा रहा है। जहां मरीजों को देखने वाले 350 रेजिडेंट डॉक्टर कोविड-19 हो गए हैं। यह संख्या सिर्फ कोविड-19 रेजिडेंट डॉक्टर की ही है, यदि अन्य स्टाफ को जोड़ लिया जाए तो यह आंकड़ा काफी ऊंचाई तक जा पहुंचेगा।