जेलों का होगा अपना जेल रेडियो

जेलों का होगा अपना जेल रेडियो

चंडीगढ़। नए साल की शुरुआत में कैदियों के कल्याणार्थ, उनमे सकारात्मक ऊर्जा भरने और तनाव मुक्ति के लिए पानीपत जिला नवनिर्मित जेल में आज राज्य के पहले जेल रेडियो की शुरुआत की गई।

पानीपत जेल रेडियो का उद्घाटन जेल मंत्री, रणजीत सिंह ने किया। इस अवसर पर अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव अरोड़ा , पुलिस महानिदेशक के.सेल्‍वराज, तिनका तिनका फाउंडेशन एवं लेडी श्रीराम कालेज में पत्रकारिता विभाग की अध्‍यक्ष डा. वर्तिका नंदा उपस्थित थे। दिसम्बर 2020 में फरीदाबाद, अम्बाला और पानीपत जेल में जेल रेडियो के लिए कैदियों की ट्रेनिंग कराई गई थी। तिनका तिनका फाउंडेशन ने जेल रेडियो स्‍टेशन की शुरुआत के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस अवसर पर पानीपत जेल के अधीक्षक देवी दयाल, उपाधीक्षक जोगेंद्र सिंह और जेल स्टाॅफ भी था।

इस अवसर पर जेल मंत्री ने कहा कि जेल में जेल रेडियो शुरू करने का अनूठा प्रयास जेलों को सुधार गृह बनाने की तरफ एक और अग्रणी कदम है। अरोड़ा कहा कि जेल रेडियो की वजह से जेलों में संवाद की कमी पूरी होगी और कैदियों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलेगा। के. सेल्‍वराज ने कहा कि बहुत जल्द जिला जेल फरीदाबाद और केंद्रीय जेल अम्बाला में भी जेल रेडियो शुरु कर दिए जाएंगे और इसके उपरांत हरियाणा की अन्य जेलों में भी इसे शुरू करना प्रस्तावित है।


डा.वर्तिका ने बताया कि जेल रेडियो में रोजाना एक घंटे का कार्यक्रम प्रसारित होगा। यह कार्यक्रम पूरी तरह से जेल की गतिविधियों पर केंद्रित होगा। कैदी ही कलाकार होंगे। हरियाणा में इस समय करीब 18 हजार कैदी हैं। पानीपत जेल में फिलहाल 940 कैदी हैं। पहले चरण में पानीपत जेल के छह कैदियों को रेडियो जाॅकी बनने का मौका मिला है। इन्‍हें रेडियो जाकी की टीशर्ट और रेडियो स्‍किल ट्रेनिंग का सर्टिफिकेट भी सौंपा गया गया। जेल रेडियो स्‍टेशन का उद्देश्य कैदियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना है और उनके अंदर हर्षोउल्लास और ऊर्जा भरना है ताकि वे तनाव से दूर रहें और जेल में अपनी सजा का यापन शांति से कर सके। वर्कशाप के दौरान ही देखा गया है कि कैदियों में काफी सकारात्‍मक बदलाव आए हैं। वे अपने बारे में खुलकर बात करने लगे है और सजायापन के बाद समाज के साथ घुलमिलकर रहने की बात कहते हैं। जेल रेडियो ने उन्‍हें नई जिंदगी दी है तथा इसके माध्‍यम से उनके अंदर छिपी प्रतिभा भी सामने आएगी।

पहले दिन कैदियों को उनकी ही आवाज में रिकार्ड किया गया कार्यक्रम सुनाया गया। एक घंटे के इस कार्यक्रम में रेडियो जाकी बंदियों की ही आवाज सुनाई गई। कैदी बैरकों में ही रेडियो सुन सकेंगे। पूरी तरह से जेल का आतंरिक रेडियो स्टेशन होगा। बैरकों के बाहर स्पीकर लगाए गए हैं। रेडियो जाॅकी रोजाना अपने अनुभव साझा करेंगे। प्रेरक कहानी सुनाएंगे। फरमाइश पर गीत सुनाएंगे। बंदियों की तरफ से पूछे जाने वाले सवालों के जवाब देंगे। ये सवाल पर्ची के माध्यम से पूछे जाएंगे। उन्होंने बताया कि तिहाड़ जेल में यह व्यवस्था देखी थी और तभी सोचा था कि अन्य जेलों में ऐसी शुरुआत की जानी चाहिये। आगरा जिला जेल में 2019 में तिनका तिनका फाउंडेशन ने जेल रेडियो स्‍थापित किया था।

वार्ता

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