BJP व JJP में बढ़ी दूरी
चंडीगढ़। किसान आंदोलन के लगभग दो महीने तक हरियाणा सरकार के दोनों प्रमुख घटक साथ साथ चलते रहे लेकिन खाप पंचायतों के आंदोलन के समर्थन में उतरते ही जेजेपी किसानों के पाले में जाने को मजबूर हो गयी है। मनोहर लाल खट्टर की सरकार ने भी नरमी का रुख अख्तियार किया है। सरकार ने इन्टरनेट सेवा रोक दी थी, जिसे पहली फरवरी से बहाल कर दिया गया है। किसान आंदोलन में एक बडा मोड़ तब आया जब लालकिले में हिंसा के बाद सरकार का मिजाज भी कड़ा हो गया और राज्य सरकारों ने भी अपनी-अपनी सीमा खाली करने की चेतावनी दे दी। किसान आंदोलन टूटता दिखाई पडने लगा, तभी किसान नेता राकेश टिकैत ने रोते हुए कहा कि सरकार की साजिश से आंदोलन तोड़ा जा रहा है। इसी के बाद खाप पंचायतों ने आपसी मतभेद भुलाकर किसान आंदोलन को समर्थन दिया।
हरियाणा के जिंद में खटकड़ टोल प्लाजा पर 17 खापों की ओर से बुलाई गई महापंचायत में 30 जनवरी को बड़ी संख्या में किसान पहुंचे। तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे इन खापों ने ऐलान किया कि किसान अपने छतों से बीजेपी और जेजेपी के झंडों को उतारकर राष्ट्रीय ध्वज और भारतीय किसान यूनियन का झंडा लगाएंगे। जाट बहुल इलाके के खापों से जुड़े किसानों ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और दुष्यंत चौटाला के जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के नेताओं के सामाजिक बहिष्कार का भी ऐलान किया। इन्हीं हालातों के चलते हरियाणा में इंटरनेट सेवा को बहाल कर दिया गया है। किसान आंदोलन के दौरान ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा के बाद हरियाणा के 17 जिलों में इंटरनेट सेवा 31 जनवरी शाम पांच बजे तक के लिए सस्पेंड कर दी गई थी। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा है कि हमने पूरा साल कोरोना काल में बिता दिया। छात्रों की कक्षाओं सहित सब कुछ डिजिटल हो गया है। मेरा मानना है कि सरकार ने 26 जनवरी के बाद स्थिति को देखते हुए इंटरनेट सेवा पर रोक लगाने के लिए कदम उठाए थे लेकिन अब सेवाएं बहाल की जा रही है। इससे खाप पंचायतों का रुख कितना बदला है, इसके बारे में अभी सटीक अभी नहीं कहा जा सकता है।
गौरतलब है कि हरियाणा में बीजेपी और जेजेपी गठबंधन की सरकार है। जींद में हुई बैठक की अध्यक्षता करते हुए खेरा खाप के प्रमुख सतबीर पहलवान ने कहा कि 7 फरवरी को टिकरी बॉर्डर तक पैदल मार्च का फैसला लिया गया है। उन्होंने कहा, हमने सर्वसम्मति से फैसला लिया है कि अपने घरों से बीजेपी-जेजेपी के झंडे हटा देंगे और तिरंगा, बीकेयू का झंडा लगाएंगे। यह फैसला उन लोगों को जवाब देने के लिए लिया गया है जो इस जमीन पर राष्ट्रीय झंडे के प्रति हमारे प्यार को लेकर सवाल उठा रहे हैं। ये सवाल उन लोगों की ओर से पूछे जा रहे हैं जिनकी पीढ़ी ने कभी सीमाओं की रक्षा नहीं की।
उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी-जेजेपी के नेताओं के सामाजिक बहिष्कार का भी फैसला लिया गया है। किसानों से यह भी कहा गया है कि इन पार्टियों के नेताओं को अपने गांवों में न घुसने दिया जाए। उन्होंने कहा, हम सामाजिक कार्यक्रमों में सत्ताधारी पार्टी के नेताओं को नहीं बुलाएंगे। हम बीजेपी-जेजेपी सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायकों के खिलाफ भी प्रदर्शन करेंगे।
इसी क्रम में सांगवान खाप ने दादरी में एक बैठक बुलाई और गांवों में सरपंच और वार्ड मेंबर्स की कमिटी बनाकर किसानों को दिल्ली की सीमाओं पर भेजने की घोषणा की। सांगवान खाप की अगुआई करने वाले दादरी के निर्दलीय विधायक सोमवीर सांगवान ने कहा कि उन्होंने बीजेपी-जेजेपी नेताओं और सरकार में चेयरमैन पदों पर बैठे लोगों के प्रवेश को रोकने का फैसला किया है। उन्होंने कहा, हमने पहलवान बबीता फोगाट के पिता महाबीर सिंह से कहा है कि वे अपनी बेटी को किसानों को गाली देने से रोकें, यदि वह ऐसा करना जारी रखती है तो खाप उनके परिवार के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा। उधर, भिवानी और दादरी में सबसे प्रभावशाली खापों में से एक श्योराण खाप ने हरियाणा के डेप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला, उनकी विधायक मां नैना चौटाला, भिवानी-महेंद्रगढ़ से सांसद धर्मेंबीर सिंह को अपने गांवों घुसने से रोकने का ऐलान कर दिया। इस प्रकार 17 खापों के प्रतिनिधियों और जिंद महापंचायत में शामिल हजारों किसानों ने कहा था कि यदि रविवार अर्थात 31 जनवरी तक इंटरनेट सेवा बहाल नहीं हुई तो वे जिले में सभी रास्तों को बंद कर देंगे। खाप नेताओं ने कहा, सरकार ने इंटरनेट बंद करके न केवल हमारी आवाज दबाने की कोशिश की है, बल्कि हरियाणा के लाखों विद्यार्थियों की पढ़ाई को बाधित करने का प्रयास किया है। विद्यार्थियों की परीक्षाएं जब नजदीक हैं, इंटरनेट बैन का हरियाणा सरकार का फैसला अलोकतांत्रिक है। हम इस सरकार को बर्दाश्त नहीं करेंगे। जेजेपी को इसी के चलते किसानों के पक्ष में खड़ा होना पड़ा है।
हरियाणा सरकार ने राज्य के 17 जिलों में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं के निलंबन की अवधि 31 जनवरी शाम पांच बजे तक के लिए बढ़ा दी थी। राज्य सरकार ने यह कदम शांति एवं कानून व्यवस्था में किसी तरह का व्यवधान रोकने के लिए उठाया। दरअसल, केंद्र के नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन के दौरान इस हफ्ते की शुरूआत में हुई हिंसा थी।
एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, सरकार ने मोबाइल इंटरनेट सेवाओं का निलंबन अंबाला, यमुनानगर, कुरूक्षेत्र, करनाल, कैथल, पानीपत, हिसार, जींद, रोहतक, भिवानी, चरखी दादरी, फतेहाबाद, रेवाड़ी, सिरसा, सोनीपत, झज्जर और पलवल जिलों में बढ़ा कर 31 जनवरी तक के लिए कर दिया था। विपक्षी दलों ने भी इसका विरोध किया।
कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक बयान में दावा किया कि इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाने का आदेश किसानों के आंदोलन को कुचलने के इरादे से दिया गया है और उन्होंने यह सेवा फौरन बहाल करने की मांग की। उन्होंने कहा कि यह फैसला कोरोना वायरस महामारी के चलते घर से काम कर रहे पेशेवरों, ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे छात्रों और व्यापारियों एवं दुकानदारों को प्रभावित करेगा तथा इससे आम आदमी को असुविधा होगी।
सुरजेवाला ने कहा, राज्य की भाजपा-जजपा सरकार किसान आंदोलन को कुचलने और इसे बदनाम करने के अपने नापाक मंसूबों में इस कदर लिप्त हो गई है कि उसे आम आदमी को होने वाली असुविधा की जरा भी परवाह नहीं रह गई है। इस तरह से दुष्यंत चौटाला को लगा कि अब उन्हें अपनी ही सरकार के खिलाफ बोलना जरूरी है। इससे भाजपा व जेजेपी में दूरी स्वाभाविक है। पंजाब में एनडीए की सहयोगी रही शिरोमणि अकाली दल ने तो आंदोलन की शुरूआत में ही एनडीए से नाता तोड़ लिया था। हर सिमरत कौर ने तो मंत्री पद से पहले ही इस्तीफा दे दिया था। अब ऐसे ही हालात जेजेपी के सामने भी पैदा होते दिखाई पड़ रहे हैं। (हिफी)