योगी की एजुकेशन की टाउनशिप - कोरे कागज की तरह आएं और हुनर लेकर जाएं

योगी की एजुकेशन की टाउनशिप - कोरे कागज की तरह आएं और हुनर लेकर जाएं

लखनऊ। उत्तर प्रदेश को उद्योग धंधे में नम्बर वन प्रदेश बनाने के लिए यहां की शिक्षा व्यवस्था को उसी के अनुरूप बनाने की जरूरत है। यह बात मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने काफी पहले से सोची थी क्योंकि राज्य में उच्च शिक्षा पर उनकी सरकार ने पर्याप्त ध्यान दिया। अब यूजीसी के पूर्व चेयरमैन प्रो. धीरेन्द्र पाल सिंह मुख्यमंत्री के शिक्षा सलाहकार बनाये गये हैं। प्रो. धीरेन्द्र पाल के सहयोग से प्रदेश में एजूकेशन टाउन शिप विकसित की जाएगी। माना जा रहा है कि यह टाउनशिप अमेरिका की तर्ज पर बनायी जा रही है जिसमें शिक्षा के साथ कौशल विकास का प्रशिक्षण युवाओं को मिलेगा। मुख्यमंत्री ने प्रदेश में पांच टाउनशिप के लिए कार्य योजना बनाने के निर्देश दिये हैं। शिक्षाविदों की सलाह पर प्रदेश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में काफी कार्य हुआ है। एजुकेशन टाउनशिप में अभ्युदय जैसे कई कोचिंग संस्थान भी शुरू किये जाऐंगे। सबसे प्रमुख बात यह है कि एजुकेशन टाउनशिप में निजी क्षेत्र की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। देश और दुनिया के प्रतिष्ठित सरकारी और निजी विश्वविद्यालय इसमें अपना कैम्पस खोल सकेंगे। कहने की जरूरत नहीं कि देश में यह पहला प्रयोग शिक्षा के क्षेत्र में योगी आदित्यनाथ यूपी में करने जा रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था को एक ट्रि नियम बनाने के लिए मुख्यमंत्री ने सलाहकार कम्पनी डेलाइट इंडिया के प्रतिनिधियों के साथ गत दिनों बैठक की थी। इसी बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एजुकेशन टाउनशिप पर वृहद कार्ययोजना बनाने को कहा था। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री चाहते हैं कि एजुकेशन टाउनशिप में सिंगल एंट्री मल्टिपल एग्जिट अर्थात कोरे कागज की तरह आइए और एजूकेशनल टाउनशिप से बहुत सारे हुनर लेकर जाएं। इससे बेरोजगारी की समस्या लगभग समाप्त हो जाएगी। विदेशी मुद्रा अर्जन के भी अवसर बढ़ेंगे। योगी के एजूकेशन टाउनशिप में 25 फीसद अतिरिक्त सीटें विदेशियों के लिए रहेंगी। इनको प्रवेश परीक्षा से छूट भी दी जाएगी। यूपी में शिक्षा का परिवेश ही बदल जाएगा।

उत्तर प्रदेश ने शिक्षा के क्षेत्र में भी एक नया कीर्तिमान गढ़ा है। यूपी देश में उच्च शिक्षा में नम्बर वन राज्य बन गया है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट ने यूपी में शिक्षा की बुलंद तस्वीर को सामने रखा है। देश भर में केंद्र सरकार द्वारा कराए गए सर्वे में उच्च शिक्षा के संस्थानों के मामले में यूपी नंबर वन है।सर्वे के मुताबिक, देश में उच्च शिक्षा के सबसे ज्यादा 7,078 कॉलेज उत्तर प्रदेश में हैं। केंद्र सरकार के अनुसार, देश में उच्च शिक्षा के कालेजों का 18.54 फीसदी हिस्सा अकेले उप्र का है। उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों की संख्या के मामले में भी यह आगे है। सर्वे के मुताबिक राज्य के कालेजों में देश के 47.92 लाख छात्र पंजीकृत हैं।योगी आदित्यनाथ ने वर्ष 2017 में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के साथ शिक्षा और रोजगार के विकास का जो संकल्प लिया था उसे 4 साल में पूरा कर दिखाया। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कराये गए देशव्यापी सर्वे की रिपोर्ट यूपी में शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव की कहानी बयान कर रही है।

सर्वे के मुताबिक यूपी में 4,340 कॉलेजों की संख्या के साथ महाराष्ट्र दूसरे और 3,670 कॉलेजों के साथ कर्नाटक तीसरे स्थान पर है। इस श्रेणी में राजस्थान चौथे और आंध्र प्रदेश देश में पांचवें नंबर पर है। उच्च शिक्षा में सबसे ज्यादा छात्र संख्या के लिहाज से भी यह अन्य राज्यों के मुकाबले बहुत आगे है। राज्य में 47.92 लाख छात्र पंजीकृत हैं। दूसरे नंबर पर चल रहे महाराष्ट्र में उच्च शिक्षा के कॉलेजों में कुल 29.57 लाख, तीसरे नंबर पर तमिलनाडु में 22.74 लाख छात्र पंजीकृत हैं। इस सूची में चौथे नंबर पर पश्चिम बंगाल में मात्र 16.03 लाख छात्र ही पंजीकृत हैं। विश्वविद्यालयों की संख्या के लिहाज से भी योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश ने देश में जबरदस्त उपस्थिति दर्ज कराई है। इस सूची में 79 विश्वविद्यालयों के साथ यूपी का देश में दूसरा स्थान है। 83 विवि के साथ पहले नंबर पर मौजूद राजस्थान और उत्तर प्रदेश के बीच मात्र 4 विश्वविद्यालयों का ही फर्क है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास विभाग ने अपने इस देशव्यापी सर्वे में सभी प्रदेशों के निजी, सरकारी और केंद्रीय विश्वविद्यालयों के साथ उच्च शिक्षा के कॉलेज और शिक्षण संस्थानों को शामिल किया है। सर्वे में सामने आए आंकड़े यूपी में शिक्षा के क्षेत्र में योगी सरकार के प्रयासों का परिणाम माना जा रहा है।

प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दूसरी बार सरकार बनने पर शिक्षाविदों को उच्चशिक्षा के क्षेत्र में ज्यादा संभावनाएं नजर आ रहीं हैं। उनका मानना है कि गोरखपुर शिक्षा के क्षेत्र में हब बनेगा। यह शहर देश के बड़े शहरों की तरह उभर कर सामने आएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शासनकाल में गोरखपुर में उच्चशिक्षा को नई ऊंचाइयां प्राप्त हुईं हैं। पुनः सरकार बनने से यह प्रबल संभावना बनी है कि गोरखपुर भविष्य में शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा हब बनेगा। गोरखपुर विश्वविद्यालय एवं मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की व्यवस्था पहले से न केवल बेहतर हुई है, बल्कि दोनों ही उच्च शिक्षण संस्थानों से रोजगार की राह खुली है। साथ ही महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के रूप में पूर्वांचल के युवाओं को उच्च शिक्षा में अध्ययन के लिए एक और विकल्प मिला है। जिस तरह गोरखपुर, योगी के कारण एक ब्रांड बनकर उभरा है, उससे उम्मीद बढ़ी है कि शिक्षा के क्षेत्र में भी यह देश के बड़े शहरों की तरह उभर कर सामने आएगा। जहां तकनीकी, व्यावसायिक एवं चिकित्सा शिक्षा आदि की उन्नत सुविधा मिलेगी।योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद शैक्षिक सुविधाओं को बढ़ाने के लिए लगातार काम किया गया, जिसके परिणामस्वरूप गोरखपुर में चार विश्वविद्यालय कार्य कर रहे हैं। सकारात्मक प्रशासनिक मिलने के बाद निजी शिक्षण संस्थानों एवं सिविल, मेडिकल, इंजीनियरिंग आदि के कोचिंग संस्थाओं का रुख भी गोरखपुर की तरफ हुआ है। यह संभावना बढ़ी है कि दिल्ली, कोटा, बेंगलुरु और इलाहाबाद आदि शहरों की तरह गोरखपुर भी शिक्षा का बड़ा केंद्र बनेगा।इस सरकार से सभी क्षेत्रों में मूलभूत परिवर्तन के साथ ही उच्च शिक्षा एवं अनुसंधान के क्षेत्र में बहुत सी अपेक्षाएं हैं। उन अपेक्षाओं पर वर्तमान सरकार निश्चित रूप से खरी उतरेगी, ऐसा आशा और विश्वास है। नई सरकार भारत को विश्व गुरु बनाने में सक्षम होगी। संपूर्ण भारत अपराध रहित होगा तो समाज, राष्ट्र, स्त्रियों, शिक्षकों एवं किसानों के विकास और उत्थान के लिए निश्चय ही वातावरण बनेगा। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने से उच्च शिक्षा के क्षेत्र में प्रभावी कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन से प्रदेश के विकास को एक नई दिशा मिलेगी। नई शिक्षा नीति के अनुरूप प्रदेश के समस्त उच्च शिक्षण संस्थानों में सीबीसीएस पाठ्यक्रम को और सुदृढ़ करने का अवसर मिलेगा। प्रदेश में रोजगारपरक शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा। योगी सरकार प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में और अधिक उच्च शिक्षण संस्थानों को स्थापित करने, शिक्षा बजट बढ़ाने एवं व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को संचालित करने जोर देगी। इससे प्रदेश में एक नई क्रांति की शुरुआत होगी। (हिफी) (अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

epmty
epmty
Top