कल्याणकारी योजनाओं से 75 आदिवासी परिवारों की जिंदगी हुयी बेहतर

कल्याणकारी योजनाओं से 75 आदिवासी परिवारों की जिंदगी हुयी बेहतर

मुंगेर। बिहार के मुंगेर जिले के नक्सल प्रभावित धरहरा प्रखंड के आदिवासी बाहुल्य गांव ‘न्यू पेसरा’ में अब आदिवासियों की जिंदगी केंद्र और राज्य सरकारों की कल्याणकारी योजनाओं से बदल रही है।

केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना, मनरेगा योजना, स्वच्छ भारत अभियान योजना, बिहार सरकार की ग्रामीण आवास योजना, अनुसूचित जनजाति कल्याण सहित अन्य योजनाओं से 75 आदिवासियों के परिवार में धीरे-धीरे खुशियाली लौट रही है। अब उनके बच्चे स्कूल में भी पढ़ने जाने लगे हैं। अब बीमार पड़ने पर सरकारी और निजी चिकित्सा संभव हो सकी है। यह आदिवासी जब पहाड़ों पर जंगलों में रहते थे तो उन्हें न चिकित्सा मिल पाती थी, न आसानी से पानी मिल पाता था और हमेशा आतंक के साए में जीते थे।

आदिवासी समाज के लोग नक्सलियों से भी प्रताड़ित होते थे और पुलिस जुल्म का भी शिकार होते थे। 10 वर्ष पहले जिला प्रशासन ने क्रांतिकारी कदम उठाया और पहाड़ के जंगलों में बसने वाले 75 आदिवासियों के परिवार को पहाड़ के नीचे नई कॉलोनी में बसाने का काम किया था। अब 10 वर्षों से जो न्यू पेसरा कॉलोनी बसी है और जहां 75 आदिवासी परिवार बसे हैं उनकी जिंदगी में धीरे-धीरे बदलाव आ रहा है। अभी आदिवासी परिवार दूसरों के खेतों में मजदूरी कर और सूखी लकड़ी को बाजारों में बेचकर अपना परिवार किसी तरह चला रहे हैं। आदिवासियों के बाल-बच्चे अब धीरे-धीरे स्कूल भी जाने लगे हैं लेकिन रोजगार के कोई स्थाई साधन नहीं रहने से आदिवासियों के युवक दूसरे राज्यों में रोजगार के लिए पलायन भी कर रहे हैं।

मुंगेर जिले की जिला कल्याण पदाधिकारी श्रीमती कुमारी रानी ने कहा, "केंद्र और राज्य सरकार की कल्याणकारी और विकास योजनाओं से न्यू पेसरा गांव में आदिवासियों की जिंदगी धीरे-धीरे बेहतर हो रही है। केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत 30 आदिवासी परिवारों को आवास योजनाओं का लाभ मिला है। सरकार चाहती है की आदिवासी समाज के लोग सरकार की विकास योजनाओं का लाभ प्राप्त कर समाज की मुख्यधारा से जुड़ें और अपनी आर्थिक प्रगति करें।

धरहरा प्रखंड के अजीमगंज पंचायत के विकास मित्र श्याम कुमार ने बताया कि किस प्रकार आदिवासियों की जिंदगी पहले की तुलना में अब बदल रही है। आदिवासी बच्चे बच्चियों को पढ़ाई के लिए भी सरकार योजनाओं का लाभ पहुंचा रही है।

न्यू पेसरा गांव के निवासी रंजन कुमार कोड़ा, देवराज कोड़ा, कार्तिक कोड़ा और रीता देवी ने बताया कि जब वे लोग पहाड़ के जंगलों में रहते थे तो जिंदगी बहुत ही कष्ट भरी थी। बीमार पड़ने पर खटोला में पहाड़ से नीचे उतारा जाता था और रास्ते में ही आदिवासी बीमार व्यक्ति की मौत हो जाती थी। उन्हें इलाज भी नसीब नहीं था जबकि अब उन्हें और उनके परिवार में कोई बीमार पड़ता है तो सरकारी और निजी दोनों स्तर से इलाज संभव हो पाया है। अब उनके बच्चे पढ़ने के लिए भी जाने लगे हैं। सभी आदिवासियों ने प्रधानमंत्री को धन्यवाद देते हुए उनके लिए इस पहाड़ी इलाके में रोजगार उपलब्ध कराने की गुहार की है।

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