ग्लेशियर हादसाः जलीय जीव-जंतुओं पर आई भारी आफत
देहरादून। उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर फटने के बाद जो तबाही मची, वह किसी से छिपी नहीं है। अब तक 200 के लगभग लोग लापता हैं, जिनके बारे में कुछ भी पता नहीं चल रहा है। वहीं दूसरी ओर, ग्लेशियर फटने के बाद अलकनंदा के पानी में गाद, सीमेंट, मिट्टी और कैमिकल के मिलने के कारण जीव-जंतुओं पर भारी आफत आ गई है। मरी हुई मछलियों के कई स्थानों पर ढेर लग गए।
उत्तराखंड के चमोली क्षेत्र में विगत रविवार को अचानक ग्लेशियर फट गया था, जिसके बाद जल प्रलय आ गई थी और उसने रौद्र रूप धारण करते हुए उक्त क्षेत्र में भारी तबाही मचाई थी। पावर प्लांट के साथ ही कई पुल जमींदोज हो गये थे। वहीं बांध भी क्षतिग्रस्त हो गया था। इस आपदा से जहां जनहानि हुई है, वहीं जीव-जंतुओं पर भी आपदा ने भारी आफत लाकर खड़ी कर दी है। अलकनंदा नदी के पानी में कैमिकल, गाद, सीमेंट, मिट्टी के मिलने से बड़ी संख्या में मछलियों की मौत हो गई है। रुद्रप्रयाग में ही एक टन से अधिक मछलियों की मौत का समाचार है, जबकि चमोली जिले के साथ ही श्रीनगर तक मछलियों के मरने का सिलसिला जारी है। आज सुबह अलकनंद के किनारे कई स्थानों पर मरी हुई मछलियों के ढेर लगे हुए देखे गये। उक्त मछलियों को स्थानीय लोगों ने थैलों में भर लिया और अपने साथ ले गये। यह बहुत ही गंभीर मुद्दा है। जल के अंदर के जीव-जंतुओं में इस आपदा के चलते भारी तबाही मची हुई है। वन विभाग ने इस मामले में वाईल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट को जानकारी दी है। वहीं नागरिकों को भी सलाह दी गई है कि वे इस समय मछलियों का सेवन न करें।