गन्ना किसानों के लिए "पंचामृत" साबित हो रहीं हैं नवीन तकनीकें

गन्ना किसानों के लिए पंचामृत साबित हो रहीं हैं नवीन तकनीकें

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों के हितों के प्रति अत्यंत सजग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रेरणा तथा चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग के मंत्री सुरेश राणा के निर्देश पर गन्ना किसानों की आय बढ़ाने के संकल्प को साकार करने के लिए प्रदेश के गन्ना विकास विभाग ने अनेक कदम उठाये हैं। इसी क्रम में प्रदेश के आयुक्त, गन्ना एवं चीनी, संजय आर. भूसरेड्डी ने बताया कि प्रदेश में गन्ना उत्पादन एवं चीनी परता में वृद्धि, उत्पादन लागत में कमी तथा कृषकों की आय में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए विभाग द्वारा इस दिशा में लगातार कार्य किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि गन्ने की खेती के लिए ट्रैंच प्लांटिंग, सहफसली, रैटून मेनेजमेन्ट, ट्रैश मल्चिंग एवं ड्रिप सिंचाई जैसी नवीन तकनीकें गन्ना किसानों के लिए "पंचामृत" साबित हो रहीं हैं।

इस संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि गन्ने की खेती में आधुनिक तकनीकी पद्धतियों को एक साथ अपनाने से गन्ने की उत्पादन लागत में कमी के साथ-साथ उपज में बढ़ोत्तरी का सर्वोत्तम लाभ प्राप्त होगा। इसके साथ ही ट्रेंच विधि से बुवाई, सहफसली खेती एवं ड्रिप के प्रयोग एक ही खेत पर शुरू करने वाले सफल कृषकों को विभागीय योजनाओं तथा कार्यक्रमों के अन्तर्गत उपज बढ़ोत्तरी में प्राथमिकता तथा 'उत्तम गन्ना कृषक' का प्रमाण-पत्र भी दिया जायेगा।

प्रदेश के आयुक्त, गन्ना एवं चीनी, संजय आर. भूसरेड्डी ने यह भी बताया कि समन्वित प्रबंधन करते हुए तकनीकी पद्धतियों के माध्यम से जिन प्लाटों पर खेती की जायेगी उन्हें आदर्श मॉडल के रूप में प्रदर्शित किया जायेगा। तकनीकी पद्धति अपनाकर खेती करने से होने वाले लाभ के विषय में प्रचार प्रसार भी किया जायेगा जिससे प्रदेश के अन्य गन्ना किसान भी समन्वित तकनीकों को अपनाये जाने के प्रति आकर्षित होंगे एवं गन्ना खेती में तकनीकी पद्धतियों का आच्छादन बढ़ेगा। उन्होंने बताया कि गन्ने की खेती में नवीन तकनीकों के प्रयोग से उत्पादन लागत में कमी आयेगी साथ ही गन्ना किसानों को उपज बढ़ोत्तरी का लाभ मिलेगा।

उन्होंने यह भी बताया कि इस कार्यक्रम की शुरूआत हेतु बसन्तकालीन बुवाई का समय महत्वपूर्ण है तथा इस बुआई के अन्तर्गत प्रारम्भिक तौर पर प्रदेश में कुल 1,555 कृषकों का चयन कर गन्ना खेती के आदर्श मॉडल प्लाट बनाये जाने का लक्ष्य निर्धारित किया जा रहा है। ऐसे आदर्श मॉडल प्लाट का न्यूनतम क्षेत्रफल 0.5 हेक्टेयर होगा तथा मध्य एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश की प्रत्येक गन्ना विकास परिषदों में न्यूनतम 10 एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश की गन्ना विकास परिषद में न्यूनतम 05 आदर्श मॉडल का चयन किया जाना अनिवार्य होगा।

इस कार्य के लिए किसानों के बीच समाचार पत्रों, गोष्ठियों एवं पम्फ्लेट, दूरदर्शन, एफ.एम., सोशल मीडिया इत्यादि के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार किये जाने तथा गन्ना कृषकों को गन्ना किसान प्रशिक्षण संस्थानों में प्रशिक्षण कार्यक्रम में भागीदारी सुनिश्चित कराने हेतु भी विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया गया है, इसके साथ ही एवं बसन्तकालीन बुवाई 2020-21 के अन्तर्गत ट्रेंच विधि से बुवाई का लक्ष्य 3,33,067 हे., गन्ने के साथ सहफसली खेती का लक्ष्य 2,69,123 हे. एवं ड्रिप सिंचाई के आच्छादन का लक्ष्य 777 हे. भी निर्धारित किया गया है।

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