समस्तीपुर की पहली महिला सांसद बनीं शांभवी चौधरी
पटना। बिहार सरकार में ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी की पुत्री शांभवी चौधरी ने सस्तीपुर (सु) सुरक्षित पर ‘शांभवी है तो संभव है’ जैसे नारों के बीच शानदार जीत के साथ न सिर्फ अपनी सियासी जीवन की शानदार शुरूआत की बल्कि वह इस सीट पर पहली महिला सांसद भी बन गयी हैं।
जननायक कर्पूरी ठाकुर की जन्मस्थली समस्तीपुर संसदीय सीट से वर्ष 1957 में पहले आम चुनाव से वर्ष 2019 तक के लोकसभा चुनाव में किसी महिला प्रत्याशी के सर जीत का ताज नहीं सजा था। शांभवी चौधरी ने वर्ष 2024 के आम चुनाव में समस्तीपुर (सु) ने न सिर्फ जीत हासिल की और सांसद बनीं, साथ ही उन्होंने समस्तीपुर (सु) से पहली महिला सांसद चुने जाने का गौरव भी हासिल कर लिया।
समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र पर इस बार मुकाबला कई मायनों में दिलचस्प हो गया था। यहां से नीतीश सरकार के दो मंत्री अशोक चौधरी और महेश्वर हजारी के बच्चे चुनाव मैदान में उतरे थे। एक तरफ जहां नीतीश सरकार के ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी की पुत्री शांभवी चौधरी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक दल लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के टिकट पर चुनाव लड़ रही थी, वहीं सूचना जनसंपर्क मंत्री महेश्वर हजारी के पुत्र सन्नी हजारी इंडिया गठबंधन के घटक कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे थे। नीतीश सरकार के दो मंत्री के संतान के बीच चुनावी जंग पर लोगों की नजर थी।शांभवी और सनी दोनों पहली बार चुनावी अखाड़े में उतरे थे। समस्तीपुर (सु) संसदीय संसदीय सीट से लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) उम्मीदवार शांभवी चौधरी ने कांग्रेस प्रत्याशी सन्नी हजारी को एक लाख 87 हजार 251 मतों के अंतर से पराजित किया और पहली बार सांसद निर्वाचित हुयी। समस्तीपुर की पहिला महिला सांसद के साथ ही शांभवी चौधरी इस बार के चुनाव में सबसे कम उम्र की सांसद की फेहरिस्त में भी शामिल रहीं। पुष्पेंद्र सरोज, प्रिया सरोज, शांभवी चौधरी और संजना जाटव 18वीं लोकसभा में सबसे कम उम्र के सांसद बने हैं। इन चारों सासंदों की उम्र 25 वर्ष है।
शांभवी चौधरी को राजनीति विरासत में मिली। उनके पिता अशोक चौधरी बिहार सरकार में मंत्री हैं, जबकि दादा महाबीर चौधरी कई बार विधायक और मंत्री रहे हैं।शांभवी ने राजधानी पटना के प्रतिष्ठित नॉट्रेडैम एकेडमी से स्कूली पढ़ाई के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्री राम कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से मास्टर ऑफ आर्ट्स (समाजशास्त्र) में डिग्री हासिल की। शांभवी की शादी महावीर मंदिर न्यास के सचिव और पूर्व आइपीएस अधिकारी किशोर कुणाल के पुत्र सायण कुणाल से हुई है। शांभवी मौजूदा वक्त में पटना के ज्ञान निकेतन स्कूल में डायरेक्टर के पद पर है।वह स्कूल की सारी जिम्मेदारी देखती हैं।वह सामाजिक कार्यों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती हैं। उन्होंने एमिटी यूनिवर्सिटी से समाजशास्त्र में पीएचडी भी की है।
इस बार के चुनाव में रभंगा में एक सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शांभवी का विशेष उल्लेख करते हुए कहा था कि देश की इस बेटी को अवश्य जीतना चाहिए। शांभवी के प्रचार के दौरान लगाया जाने वाला नारा ‘शांभवी है तो संभव है’, “मोदी है तो मुमकिन है” से बहुत अलग नहीं था। शांभवी चौधरी ने एक पुराने इंटरव्यू में कहा था कि उन्हें हमेशा से राजनीति में रुचि थी। उन्होंने कहा था,कोई भी पिता अपनी बेटी के लिए जनादेश नहीं जीत सकता। इसके लिए मुझे कड़ी मेहनत करनी होगी। समस्तीपुर के लोग तय करेंगे कि मुझे लोकसभा में इस सीट का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलेगा या नहीं। मेरा परिवार यह तय नहीं कर सकता है। मुझे ऐसे लोकतांत्रिक व्यवस्था का हिस्सा बनना है जो लोगों के द्वारा और लोगों के लिए है।"मेरे लिए राजनीति और समाज को समझना कोई मुश्किल काम नहीं है। मेरे लिए राजनीति में शामिल होना उन सभी चीजों का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करना है, जिनका मैंने केवल अध्ययन किया है। मेरी शैक्षणिक पृष्ठभूमि निश्चित रूप से मुझे अपने क्षेत्र के लोगों द्वारा सामना की जा रही कठिनाइयों की पहचान करने में मदद करेगी। मैं उन्हें जल्द से जल्द हल करने की पूरी कोशिश करूंगी।
समस्तीपुर सीट से मिली शानदार जीत पर शांभवी ने कहा, मैं समस्तीपुर के लोगों को अपनी शुभकामनाएं देती हूं। उन्होंने सही फैसला लिया है और मैं उनकी उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश करूंगी। समस्तीपुर ने मुझे बड़ी जीत दिलाई है और मेरा मानना है कि लोगों ने मुझे अपने दिल में जगह दी है। मैंने कहा था कि मैं यहां बेटी के तौर पर आशीर्वाद लेने आई हूं और आज उन्होंने मुझे अपनी बेटी के तौर पर स्वीकार कर लिया है।राजनीति में मेरा उद्देश्य है समाज के आखिरी पायदान पर बैठे समाज के लोगों को मुख्यधारा में लाना और अपने लोकसभा क्षेत्र के साथ-साथ राज्य को विकसित बनाना जिसके लिए मैं लगातार काम करती रहूंगी।राजनीति में मेरे आदर्श मेरे पिता अशोक चौधरी हैं, जिन्होंने हर पल मुझे बताया कि समाज के हर तबके को कैसे आगे बढ़ाया जाता है। सबको साथ लेकर ही आगे बढ़ना है, वहीं दूसरे आदर्श चिराग पासवान जी है, जिनके विजन ने मुझे बेहद प्रभावित किया है। मैंने अपने ससुर आचार्य किशोर कुणाल से बहुत कुछ सीखा है।