व्यापारियों का एसडीएम चेयरमैन आश्वासन- क्या वास्तव में पॉलिथीन नहीं..
खतौली। शासन की ओर से पॉलिथीन एवं प्रतिबंधित डिस्पोजल गिलास, चम्मच एवं अन्य सामग्री पर प्रभावी अंकुश लगाए जाने के दृष्टिगत एसडीएम एवं चेयरमैन द्वारा बुलाई गई बैठक में कारोबारियों ने पॉलिथीन एवं अन्य प्रतिबंधित सामान की बिक्री नहीं करने का आश्वासन दिया है। यक्ष प्रश्न यह है कि व्यापारियों के इस आश्वासन के बाद क्या वास्तव में खतौली और उसके आसपास के गांव तथा कस्बों में पहुंचने वाली पॉलिथीन एवं डिस्पोजल वस्तुओं का कारोबार बंद हो जाएगा? शनिवार को एसडीएम खतौली सुबोध कुमार एवं नवनिर्वाचित चेयरमैन हाजी शाहनवाज उर्फ लालू द्वारा शहर में पॉलिथीन एवं डिस्पोजल सामान की बिक्री पर प्रभावी अंकुश लगाए जाने के दृष्टिगत शहर में व्यापारियों की नेतागिरी करने वाले व्यापार मंडल के पदाधिकारियों को बुलाकर बैठक की गई।
इस वार्ता में व्यापार मंडल खतौली के अध्यक्ष राजेश जैन, संयुक्त महामंत्री मुकेश तायल, तहसील अध्यक्ष मदन छाबड़ा, बड़ा बाजार व्यापार मंडल अध्यक्ष वैभव जैन, अंशु अग्रवाल एवं पतेंद्र जैन आदि अनेक व्यापारी बड़ी संख्या में शामिल हुए। एसडीएम एवं चेयरमैन द्वारा बुलाई गई इस बैठक में पॉलिथीन एवं प्लास्टिक व थर्माकोल के गिलास, चम्मच आदि डिस्पोजल सामग्री के इस्तेमाल से पर्यावरण पर पडने वाले दुष्प्रभाव की जानकारी देते हुए इनकी बिक्री बंद करने में सहयोग मांगा गया।
बैठक में उपस्थित हुए व्यापारियों ने वैसे तो एसडीएम और चेयरमैन को आश्वासन दिया है कि भविष्य में व्यापारी समाज प्रतिबंधित की गई पॉलिथीन एवं प्लास्टिक के डिस्पोजल गिलास एवं चम्मच आदि की बिक्री और इस्तेमाल का काम नहीं करेंगे।परंतु अब देखने वाली बात यह रह गई है कि क्या एसडीएम और चैयरमेन को आश्वासन देने वाले कारोबारी अपने वायदे पर वास्तव में खरे उतर पाते हैं? क्योंकि अभी तक खतौली और उसके आसपास के इलाके में कभी भी प्रतिबंधित की गई पॉलिथीन एवं डिस्पोजल गिलास आदि की बिक्री पर प्रभावी अंकुश नहीं लग पाया है। वह इसलिये कि बाजार में दुकानें खोले बैठे कारोबारी बाजार में पॉलीथिन व डिस्पोजल गिलास और चम्मच आदि दुकान उठाकर ले जाने के बाद अपने घर से इनकी बिक्री का काम शुरू कर देते हैं।
मुख्य बात यह है कि चोरी-छिपे बेचे जाने पर पॉलिथीन एवं अन्य प्रतिबंधित सामान के बाजार में बैठकर बेचने के मुकाबले अधिक दाम मिलते हैं। पकड़े जाने का डर का दिखाते हुए खरीदने वाले को चोरी-छिपे बेची जाने वाली पॉलिथीन एवं अन्य वस्तुओं के महंगे दाम वसूले जाते हैं। इस तरह से यह कहना गलत नहीं होगा कि शासन और प्रशासन की पॉलीथिन पर अंकुश लगाने वाला यह कवायद व्यापारियों के लिए सोने का अंडा देने वाली होती है।